बर्बादी पर हंसना: दर्द में भी मजाक

जब ज़िन्दगी हमें गिरा देती है और हम खुद को मुश्किलों के बीच पाते हैं, तब कई बार हमारे पास सिर्फ हंसी ही बचती है। बर्बादियों पर हंसना एक तरह की ढाल है, जो हमें अंदरूनी दर्द से बचाने का काम करती है। यह हंसी बाहरी दुनिया को दिखाने के लिए होती है कि हम अभी भी टूटे नहीं हैं। लेकिन इस हंसी के पीछे दर्द छिपा होता है। ऐसे आंसू, जो हंसते हुए निकलते हैं, अक्सर खुशी के नहीं होते। वो आंसू उस दर्द की गवाही देते हैं, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

खुशी के आंसू या राहत के?