डेनियल बालाजी: साउथ सिनेमा के खलनायक एक नाम, एक पहचान! Superstar Daniel Balaji Biography in Hindi with FAQs
डेनियल बालाजी (T. C. बालाजी), जिन्हें उनके फिल्मी नाम से जाना जाता है, (2 दिसंबर 1975 - 29 मार्च 2024) दक्षिण भारतीय फिल्मों में एक जाना माना चेहरा थे. उन्होंने मुख्य रूप से तमिल...
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जीवनी Last Update Tue, 23 July 2024, Author Profile Share via
फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश
डेनियल बालाजी ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत कमल हासन की अधूरी फिल्म "मरुधनायगम" के सेट पर बतौर यूनिट प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में की थी. हालांकि, उनका असली जुनून अभिनय का था. टेलीविजन सीरियल "चित्ती" में "डेनियल" नाम का किरदार निभाकर उन्होंने पहली बार छोटे पर्दे पर कदम रखा. सीरियल की सफलता के बाद, अगले सीरियल "अलैगल" में निर्देशक सुंदर K. विजयन ने उन्हें "डेनियल बालाजी" नाम दिया, शायद यह सोचकर कि वह "चित्ती" में अपने ही किरदार को निभा रहे हैं.
खलनायक के रूप में पहचान
बालाजी की पहली तमिल फिल्म "अप्रैल माधातहिल" थी, इसके बाद उन्होंने "काधल कोंडेइन" में एक भूमिका निभाई. लेकिन उन्हें असली सफलता फिल्म "काखा काखा" से मिली, जिसमें उन्होंने सूर्या के साथ पुलिस वाले की भूमिका निभाई थी. यह फिल्म संगठित अपराध से लड़ने वाले पुलिस दस्ते की कहानी थी. इसके बाद, उन्होंने गौतम वासुदेव मेनन की अगली ब्लॉकबस्टर फिल्म "वेट्टैयाडु विलैयाडु" में खलनायक अमुधन की भूमिका निभाई. कमल हासन अभिनीत यह फिल्म एक पुलिस प्रक्रियात्मक थ्रिलर थी. इन दोनों फिल्मों में बालाजी के अभिनय को काफी सराहना मिली.
डेनियल बालाजी ने अपने पूरे करियर में कई तमिल और मलयालम फिल्मों में काम किया, जिनमें "गुरु एन आलु", "सिंघम", "पोक्किरी", "युगम" और "मजहर" जैसी फिल्में शामिल हैं. वह खलनायक की भूमिकाओं में सहज दिखते थे और अपनी दमदार उपस्थिति से दर्शकों को प्रभावित करते थे.
जुनून बना पेशा
डेनियल बालाजी का फिल्मी सफर यूं तो बतौर यूनिट प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में शुरू हुआ था. वह महान अभिनेता कमल हासन की अधूरी फिल्म "मरुधनायगम" के सेट पर काम कर रहे थे. लेकिन फिल्म निर्माण की बारीकियों को सीखने के साथ-साथ उनका असली जुनून अभिनय का ही था. यही वजह है कि उन्हें छोटे पर्दे पर कदम रखने का मौका मिलते ही उन्होंने उसे भुना लिया. टेलीविजन सीरियल "चित्ती" में "डेनियल" नाम का किरदार निभाकर उन्होंने छोटे पर्दे पर धमक दी.
डेनियल बालाजी : एक नाम, एक पहचान
टीवी सीरियल की सफलता के बाद निर्देशक सुंदर K. विजयन ने उन्हें अगले सीरियल "अलैगल" में "डेनियल बालाजी" नाम दिया. शायद यह सोचकर कि वह उसी किरदार को आगे निभा रहे हैं. लेकिन ये नाम उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ. यही नाम उन्हें फिल्मी पर्दे पर भी मिला और यही नाम उनकी पहचान बन गया.
सकारात्मक भूमिकाओं से खलनायक तक
फिल्मों में शुरुआत भले ही सकारात्मक भूमिकाओं से हुई हो, लेकिन डेनियल को असली पहचान खलनायक के रूप में मिली. उनकी पहली तमिल फिल्म "अप्रैल माधातहिल" और "काधल कोंडेइन" रही होंगी, लेकिन गौतम वासुदेव मेनन की फिल्म "काखा काखा" ने उनके करियर को नई दिशा दी. सूर्या के साथ बनी इस फिल्म में उन्होंने एक दबंग पुलिस वाले का किरदार निभाया, जिसने दर्शकों को खूब प्रभावित किया.
इसके बाद आई कमल हासन अभिनीत फिल्म "वेट्टैयाडु विलैयाडु" में डेनियल बालाजी का खलनायक अमुधन का किरदार दर्शकों को भुला ही नहीं पाया. उनकी दमदार एक्टिंग और खास अंदाज ने उन्हें खलनायक के तौर पर स्थापित कर दिया.
आखिरी सफर
29 मार्च 2024 को दिल का दौरा पड़ने से दुखद रूप से डेनियल बालाजी का निधन हो गया. उनके निधन से साउथ सिनेमा जगत को गहरा आघात पहुंचा. उन्होंने सिनेमा जगत को कई यादगार किरदार दिए और उनकी कमी हमेशा खलेगी.
डेनियल बालाजी: कलात्मक विरासत से जुड़े रिश्ते
डेनियल बालाजी (T. C. बालाजी) के फिल्मी सफर और पर्दे के पीछे की शख्सियत को जानने के बाद, अब उनकी पृष्ठभूमि (background) पर भी गौर करना ज़रूरी है. डेनियल बालाजी का जन्म तो चेन्नई में हुआ था, लेकिन उनका परिवारिक इतिहास साउथ सिनेमा जगत से गहराई से जुड़ा हुआ था.
बहुभाषी सिनेमा का सिलसिला
डेनियल बालाजी के पिता तेलुगू थे और माता तमिल. इस तरह वह बचपन से ही दो दक्षिण भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों से जुड़े रहे. शायद यही वजह है कि उन्होंने अपने फिल्मी करियर में तमिल और मलयालम दोनों भाषाओं की फिल्मों में काम किया.
नाता कला से, नाता खून से
डेनियल बालाजी के सिनेमाई जुनून को सिर्फ उनकी निजी दिलचस्पी से नहीं, बल्कि उनके पारिवारिक माहौल से भी बल मिला होगा. गौर करने वाली बात ये है कि उनके मामा (चाचा) कन्नड़ फिल्म निर्देशक सिद्धालिंगैया थे, जो जाने-माने तमिल अभिनेता मुरली के पिता भी हैं. इस तरह डेनियल बालाजी का नाता न सिर्फ कला से था, बल्कि खून के रिश्ते से भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा था.
हालांकि, उन्होंने कभी किसी रिश्ते का सहारा नहीं लिया और अपने टैलेंट के दम पर ही फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई. लेकिन ये पारिवारिक माहौल निश्चित रूप से उनके लिए प्रेरणा का स्रोत रहा होगा.
भांजे को मिला फिल्मी जगत का सहारा
डेनियल बालाजी के भांजे अथर्व ने भी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा है. उन्होंने 2010 में फिल्म "बाना काथाडी" से डेब्यू किया था. यह दिलचस्प बात है कि डेनियल बालाजी ने अथर्व को फिल्म इंडस्ट्री में लाने में भी मदद की थी.
डेनियल बालाजी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन दक्षिण भारतीय सिनेमा में उनका योगदान और उनकी यादें हमेशा फिल्मप्रेमियों के दिलों में रहेंगी.
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