डेनियल काह्नमैन निर्णय लेने के मनोविज्ञान में अग्रणी! जीवन परिचय और उपलब्धियां Daniel Kahneman Biography
डेनियल काह्नमैन एक ऐसे नाम हैं, जिन्होंने निर्णय लेने के मनोविज्ञान (Psychology of Decision Making) के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. इस महान मनो वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री के बारे में जानना वाकई रोचक होगा. Daniel Kahneman Biography in hindi -
जीवनी By ADMIN, Last Update Tue, 23 July 2024, Share via
डेनियल काह्नमैन प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डेनियल काह्नमैन का जन्म 1934 में तेल अवीव, इज़राइल में हुआ था. उन्होंने यरूशलेम के हिब्रू विश्वविद्यालय से गणित और मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से मनोविज्ञान में पीएच.डी. की उपाधि हासिल की.
अनुसंधान और योगदान
काह्नमैन का सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनके सहयोगी अमोस टवर्स्की के साथ मिलकर किए गए शोध हैं. उन्होंने मिलकर "संभावना सिद्धांत" को विकसित किया, जो बताता है कि लोग कैसे अनिश्चितता की स्थिति में निर्णय लेते हैं. इस सिद्धांत के अनुसार, लोग लाभ की तुलना में हानियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं.
काह्नमैन ने "संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह" (Cognitive Biases) पर भी महत्वपूर्ण शोध किया. उन्होंने बताया कि किस तरह हमारी सोच में कुछ खामियां होती हैं, जो हमारे निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं. उदाहरण के लिए, हम अक्सर "हानि टालने" (Loss Aversion) की प्रवृत्ति रखते हैं, यानी हम संभावित लाभ से ज्यादा संभावित हानियों से बचने का प्रयास करते हैं.
पुरस्कार और सम्मान
अपने शानदार कार्यों के लिए डेनियल काह्नमैन को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2002 में अर्थशास्त्र में नोबेल स्मृति पुरस्कार भी शामिल है. यह पुरस्कार उन्होंने अमोस टवर्स्की के साथ साझा किया.
कहनेमान की पुस्तकें
डेनियल काह्नमैन ने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध है "थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो" (Thinking, Fast and Slow). इस पुस्तक में उन्होंने बताया है कि मस्तिष्क कैसे दो अलग-अलग प्रणालियों का उपयोग करके निर्णय लेता है. यह पुस्तक निर्णय लेने के मनोविज्ञान को समझने के लिए मील का पत्थर साबित हुई है.
डेनियल काह्नमैन: तर्कशील प्राणी के मिथक को तोड़ने वाले मनोविज्ञानी
आप ये सोचते हैं कि हर फैसला जो आप लेते हैं, वो पूरी तरह सोच-समझकर लिया गया होता है? डेनियल काह्नमैन आपकी इस धारणा को चुनौती देते हैं. जाने-माने मनो वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री काह्नमैन ने अपने शोधों के जरिए साबित किया है कि हम इंसान उतने तर्कशील नहीं होते जितना हम सोचते हैं.
तेज़ सोचने वाला और धीमी सोचने वाला मस्तिष्क
काह्नमैन ने अपनी प्रसिद्ध किताब "थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो" में इस बात को विस्तार से बताया है कि हमारा मस्तिष्क दो अलग-अलग प्रणालियों का उपयोग करके निर्णय लेता है.
सिस्टम 1:यह हमारा तेज़ सोचने वाला मस्तिष्क है. यह स्वचालित और सहज है. सिस्टम 1 परिचित परिस्थितियों में जल्दी से निर्णय लेने के लिए ज़िम्मेदार है. उदाहरण के लिए, सड़क पार करते समय आप ये सोचने के बजाए सीधे सड़क पार कर लेते हैं कि सामने से कोई गाड़ी तो नहीं आ रही है.
सिस्टम 2:यह हमारा धीमी सोचने वाला मस्तिष्क है. यह तर्क और विश्लेषण पर आधारित होता है. सिस्टम 2 जटिल समस्याओं को सुलझाने और सोच-समझकर फैसले लेने में मदद करता है. उदाहरण के लिए, कोई बड़ा निवेश करने से पहले आप उसके सारे पहलुओं पर विचार करेंगे.
काह्नमैन के अनुसार, हम ज्यादातर परिस्थितियों में सिस्टम 1 के सहारे काम चलाते हैं. यही कारण है कि हम कई बार गलत फैसले ले लेते हैं. सिस्टम 1 जल्दी से जवाब देने की कोशिश करता है और मानसिक शॉर्टकट अपनाता है, जिन्हें हम "संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह" (Cognitive Biases) कहते हैं.
संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह: निर्णय लेने में छिपी हुई खामियां
काह्नमैन ने कई तरह के संज्ञानात्मक पूर्वाग्रहों की पहचान की है, जो हमारे निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं. उदाहरण के लिए:
- लॉस एवर्सन (Loss Aversion): हम लाभ से ज्यादा हानियों से बचना पसंद करते हैं.
- अत्यधिक आत्मविश्वास: हमें अपनी क्षमताओं का थोड़ा ज्यादा ही अंदाजा होता है.
- एंकरिंग: हम पहली मिली जानकारी को बहुत ज्यादा महत्व देते हैं.
काह्नमैन ने बताया है कि किस तरह इन पूर्वाग्रहों को समझकर हम बेहतर निर्णय ले सकते हैं.
व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में प्रभाव
काह्नमैन के शोधों का प्रभाव व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों क्षेत्रों में पड़ा है. उनकी किताबें हमें अपने निर्णय लेने की प्रक्रिया को समझने और उसमें सुधार करने में मदद करती हैं. कंपनियां भी काह्नमैन के सिद्धांतों का इस्तेमाल कर अपने ग्राहकों को समझने और बेहतर मार्केटिंग रणनीति बनाने में मदद ले सकती हैं.
डेनियल काह्नमैन: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मनोवैज्ञानिक
डेनियल काह्नमैन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. अर्थशास्त्र में नोबेल स्मृति पुरस्कार से सम्मानित यह महान मनोवैज्ञानिक हमें यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या हम वाकई में उतने तार्किक प्राणी हैं जितना हम खुद को समझते हैं. आइए, उनके जीवन और कार्यों के बारे में कुछ और रोचक बातें जानते हैं.
बचपन का प्रभाव
डेनियल काह्नमैन का जन्म 1934 में तेल अवीव, इज़राइल में हुआ था. उनका बचपन नाज़ी उत्पीड़न के साए में बीता. यही वह दौर था जिसने उनके भविष्य के शोधों को दिशा दी. लोग अनिश्चित परिस्थितियों में कैसे निर्णय लेते हैं, इस सवाल ने उन्हें बचपन से ही प्रभावित किया.
अनुसंधान का सफर
काह्नमैन ने मनोविज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है. उनके शोधों का केंद्र बिंदु रहा है - "लोग कैसे निर्णय लेते हैं?" इसी सफर के दौरान उनकी मुलाकात अमोस टवर्स्की से हुई और यहीं से शुरू हुई उनकी सबसे महत्वपूर्ण सहयोगिता.
संभावना सिद्धांत (Prospect Theory):काह्नमैन और टवर्स्की ने मिलकर "संभावना सिद्धांत" को विकसित किया. यह सिद्धांत बताता है कि लोग अनिश्चितता की स्थिति में निर्णय लेते समय लाभ की तुलना में हानियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. आसान शब्दों में कहें तो हम जल्दी से पैसा कमाने के मौके को उतना महत्व नहीं देते जितना कि पैसा गंवाने के डर को.
संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह (Cognitive Biases):काह्नमैन ने इस बात पर भी गहराई से शोध किया कि हमारी सोच में कुछ खामियां होती हैं, जिन्हें "संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह" कहते हैं. उदाहरण के लिए, "अधिक आत्मविश्वास" (अहंकार) का शिकार होकर हम कई बार गलत फैसले ले लेते हैं.
काह्नमैन के अनुसार, हम अक्सर इन पूर्वाग्रहों से अनजान होते हैं, और यही कारण है कि हम कई बार गलत रास्ते पर चले जाते हैं.
व्यवहारिक अनुप्रयोग
काह्नमैन के सिद्धांतों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:
- व्यक्तिगत वित्त (Personal Finance): हमारी सोच का पैसा से गहरा नाता है. काह्नमैन के सिद्धांतों को समझकर हम बेहतर वित्तीय निर्णय ले सकते हैं.
- व्यवसाय जगत (Business World): कंपनियां काह्नमैन के सिद्धांतों का उपयोग कर यह समझ सकती हैं कि ग्राहक किस तरह निर्णय लेते हैं और इसी के आधार पर बेहतर मार्केटिंग रणनीति बना सकती हैं.
- सार्वजनिक नीति (Public Policy): नीति निर्माता काह्नमैन के सिद्धांतों का उपयोग कर लोगों के व्यवहार को समझने और बेहतर नीतियां बनाने में मदद ले सकते हैं.
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डेनियल काह्नमैन के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
डेनियल काह्नमैन का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
डेनियल काह्नमैन का जन्म 1934 में तेल अवीव, इज़राइल में हुआ था.
डेनियल काह्नमैन ने किन विषयों में डिग्री हासिल की?
काह्नमैन ने यरूशलेम के हिब्रू विश्वविद्यालय से गणित और मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से मनोविज्ञान में पीएच.डी. की उपाधि हासिल की.
डेनियल काह्नमैन को किस शोध के लिए जाना जाता है?
काह्नमैन को विशेष रूप से अमोस टवर्स्की के साथ मिलकर किए गए निर्णय लेने के मनोविज्ञान पर शोध के लिए जाना जाता है, जिसमें "संभावना सिद्धांत" (Prospect Theory) और "संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह" (Cognitive Biases) शामिल हैं.
संभावना सिद्धांत (Prospect Theory) क्या है?
संभावना सिद्धांत बताता है कि लोग अनिश्चितता की स्थिति में निर्णय लेते समय लाभ की तुलना में हानियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं.
संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह (Cognitive Biases) कैसे हमारे निर्णय लेने को प्रभावित करते हैं?
संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह हमारी सोच में मौजूद खामियां हैं जो हमें गलत निर्णय लेने की ओर ले जा सकती हैं. उदाहरण के लिए, "अधिक आत्मविश्वास" का पूर्वाग्रह हमें अपनी क्षमताओं को गलत आंकने पर मजबूर कर सकता है.
डेनियल काह्नमैन को किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
काह्नमैन को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें अर्थशास्त्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक, 2002 का नोबेल स्मृति पुरस्कार (अमोस टवर्स्की के साथ साझा) भी शामिल है.
डेनियल काह्नमैन की कौन सी पुस्तक निर्णय लेने के मनोविज्ञान को समझने में महत्वपूर्ण मानी जाती है?
उनकी पुस्तक "थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो" (Thinking, Fast and Slow) निर्णय लेने के मनोविज्ञान को समझने में एक मील का पत्थर साबित हुई है.
डेनियल काह्नमैन के बचपन के अनुभवों का उनके शोधों पर क्या प्रभाव पड़ा?
काह्नमैन का बचपन नाज़ी उत्पीड़न के दौरान बीता, जिसने उन्हें इस बात पर विचार करने के लिए प्रेरित किया कि लोग अनिश्चित परिस्थितियों में कैसे निर्णय लेते हैं.
क्या डेनियल काह्नमैन अभी जीवित हैं?
नहीं, डेनियल काह्नमैन का 2021 में निधन हो चुका है.
डेनियल काह्नमैन के शोधों का अर्थशास्त्र के अलावा किन क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा है?
काह्नमैन के कार्यों का मनोविज्ञान और अर्थशास्त्र के अलावा, व्यवहारिक अर्थशास्त्र, वित्त, मार्केटिंग, सार्वजनिक नीति और यहां तक कि व्यक्तिगत विकास जैसे क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ा है.
हम अपने दैनिक जीवन में काह्नमैन के सिद्धांतों का उपयोग कैसे कर सकते हैं?
काह्नमैन के सिद्धांतों को समझकर हम अपने निर्णय लेने की प्रक्रिया को बेहतर बना सकते हैं. उदाहरण के लिए, हम यह जान सकते हैं कि हमारी भावनाएं किस तरह हमारे फैसलों को प्रभावित करती हैं और हम जल्दबाजी में लिए गए निर्णयों से बच सकते हैं.
क्या डेनियल काह्नमैन के सिद्धांतों की कोई आलोचना भी हुई है?
हां, कुछ आलोचकों का मानना है कि काह्नमैन के प्रयोगशाला आधारित शोध वास्तविक दुनिया के निर्णय लेने की जटिलताओं को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करते हैं.
क्या भविष्य में निर्णय लेने के मनोविज्ञान के क्षेत्र में और भी खोज होने की संभावना है?
निश्चित रूप से. निर्णय लेने का मनोविज्ञान एक निरंतर विकसित होता हुआ क्षेत्र है. भविष्य में और अधिक शोध किए जाएंगे जो इस जटिल प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने में हमारी मदद करेंगे.