जेफ्री हिन्टन का जीवन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के पितामह - Geoffrey Hinton Biography
Geoffrey Hinton Biography: इस लेख में हम जेफ्री हिन्टन के जीवन, शिक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तथा डीप लर्निंग में उनके योगदान पर चर्चा करेंगे। उनके बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म और...
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जीवनी Last Update Sat, 08 February 2025, Author Profile Share via
जेफ्री हिन्टन का जीवन और शिक्षा
जेफ्री हिन्टन का जन्म 6 दिसम्बर 1947 को इंग्लैंड के लंदन में हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं, जहां उनके पूर्वजों में वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थे। उनके परदादा जॉर्ज बूल थे, जो बूलीय बीजगणित (Boolean algebra) के जनक माने जाते हैं। हिन्टन के परिवार का अकादमिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला।
हिन्टन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लंदन में प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की, जहां से उन्होंने 1970 में एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वे अपने उच्च शिक्षा के लिए एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी गए, जहां से उन्होंने 1978 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस का विषय मानव मस्तिष्क के कामकाज को समझने और उसे कंप्यूटर के साथ कैसे संगत किया जा सकता है, इस पर केंद्रित था।
हिन्टन की शिक्षा ने उनके भविष्य के शोध कार्यों की दिशा निर्धारित की और उन्हें न्यूरल नेटवर्क और डीप लर्निंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी कार्य करने की प्रेरणा दी।
जेफ्री हिन्टन का जीवन कालक्रम और प्रमुख घटनाएँ
जेफ्री हिन्टन का जीवन और करियर तकनीकी और अकादमिक सफलता के कई महत्वपूर्ण पड़ावों से भरा हुआ है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क्स के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है। यहाँ उनके जीवन के प्रमुख घटनाओं और उपलब्धियों का कालक्रम प्रस्तुत है:
1947: जन्म: जेफ्री हिन्टन का जन्म 6 दिसंबर 1947 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ। वे एक वैज्ञानिक और अकादमिक परिवार से हैं। उनके परदादा जॉर्ज बूल थे, जिन्होंने बूलियन एल्जेब्रा का आविष्कार किया।
1970: स्नातक: जेफ्री हिन्टन ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्रायोगिक मनोविज्ञान (Experimental Psychology) में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
1978: पीएचडी पूरी: हिन्टन ने यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनका शोध मानव मस्तिष्क के कामकाज को समझने और उसे कंप्यूटर के माध्यम से नकल करने पर आधारित था।
1980: शोध में योगदान: 1980 के दशक में, हिन्टन ने न्यूरल नेटवर्क्स पर गहराई से शोध करना शुरू किया, जब यह तकनीक मुख्यधारा में नहीं थी। उन्होंने न्यूरल नेटवर्क्स और बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म पर काम किया, जो AI के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी खोज साबित हुआ।
1986: बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म: हिन्टन ने अपने साथियों के साथ मिलकर बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म को विकसित किया। यह एल्गोरिथ्म न्यूरल नेटवर्क्स को सीखने और जटिल समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाता है। यह AI और मशीन लर्निंग की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
1987: टोरंटो विश्वविद्यालय में शामिल: हिन्टन ने यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में अध्यापन और शोध कार्य शुरू किया। यहीं पर उन्होंने AI और न्यूरल नेटवर्क्स पर अपने काम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
2006: डीप लर्निंग में सफलता: हिन्टन और उनकी टीम ने डीप लर्निंग के क्षेत्र में नई तकनीकें विकसित कीं, जो आज के AI सिस्टम के लिए नींव साबित हुईं। उन्होंने अनसुपरवाइज्ड लर्निंग तकनीकों को बेहतर बनाया, जो बड़ी मात्रा में डेटा को समझने में सक्षम थीं।
2012: इमेजनेट प्रतियोगिता जीत: हिन्टन के छात्रों ने उनके साथ मिलकर इमेजनेट कंपटीशन में हिस्सा लिया, जहाँ उनकी डीप लर्निंग आधारित तकनीक ने शानदार सफलता प्राप्त की। यह घटना डीप लर्निंग की शक्ति को दुनिया के सामने लाने में महत्वपूर्ण रही।
2013: गूगल में शामिल: हिन्टन ने गूगल के साथ काम करना शुरू किया, जहाँ उन्होंने Google Brain प्रोजेक्ट के तहत न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग को उन्नत किया। उनके शोध ने गूगल के वॉयस रिकग्निशन और इमेज सर्च जैसे उत्पादों को बेहतर बनाया।
2017: कैप्सूल नेटवर्क्स का विकास: हिन्टन ने कैप्सूल नेटवर्क्स की अवधारणा प्रस्तुत की, जो न्यूरल नेटवर्क्स की कुछ प्रमुख समस्याओं को हल करने के लिए डिजाइन की गई थी, खासकर इमेज रिकग्निशन में।
2018: ट्यूरिंग अवॉर्ड: हिन्टन को ट्यूरिंग अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जिसे कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। यह पुरस्कार उन्हें डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क्स के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार येन लेकून और योशुआ बेंगियो के साथ साझा किया गया।
2022: IEEE फ्रैंक रोसेनब्लाट अवॉर्ड: उन्हें न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग में उनके कार्य के लिए IEEE फ्रैंक रोसेनब्लाट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
2023: AI के खतरों पर ध्यान: हिन्टन ने AI के नैतिक और सामाजिक प्रभावों पर भी ध्यान देना शुरू किया। उन्होंने AI के विकास के संभावित खतरों पर चिंता व्यक्त की और इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।
जेफ्री हिन्टन का जीवन कालक्रम तकनीकी और अकादमिक सफलता के महत्वपूर्ण मील के पत्थरों से भरा हुआ है। उन्होंने AI और डीप लर्निंग के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी योगदान दिए हैं, जिनका प्रभाव आज की तकनीकी दुनिया में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
जेफ्री हिन्टन के बारे में महत्वपूर्ण और मुख्य जानकारी
सूचना | विवरण |
पूरा नाम | जेफ्री एवरेस्ट हिन्टन |
जन्म | 6 दिसंबर 1947, लंदन, इंग्लैंड (76 वर्ष) |
शिक्षा | स्नातक: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (प्रायोगिक मनोविज्ञान) |
प्रमुख कार्य | न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग में शोध |
प्रमुख संस्थान | यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो |
महत्वपूर्ण योगदान | डीप लर्निंग की क्रांति |
पुरस्कार और सम्मान | ट्यूरिंग अवॉर्ड (2018) |
सामाजिक योगदान | AI के नैतिक और सामाजिक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करना |
शौक और रुचियाँ | विज्ञान और शिक्षा में रुचि |
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