जेफ्री हिन्टन का जीवन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के पितामह - Geoffrey Hinton Biography
Geoffrey Hinton Biography: इस लेख में हम जेफ्री हिन्टन के जीवन, शिक्षा, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तथा डीप लर्निंग में उनके योगदान पर चर्चा करेंगे। उनके बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म और इमेजनेट प्रतियोगिता में सफलता ने उन्हें AI के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया। साथ ही, हम उनके पुरस्कार, सम्मान और AI के नैतिक पहलुओं पर उनके विचारों का भी उल्लेख करेंगे। यह लेख तकनीक और विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए प्रेरणादायक है।
जीवनी By Tathya Tarang, Last Update Thu, 10 October 2024, Share via
जेफ्री हिन्टन का जीवन और शिक्षा
जेफ्री हिन्टन का जन्म 6 दिसम्बर 1947 को इंग्लैंड के लंदन में हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं, जहां उनके पूर्वजों में वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थे। उनके परदादा जॉर्ज बूल थे, जो बूलीय बीजगणित (Boolean algebra) के जनक माने जाते हैं। हिन्टन के परिवार का अकादमिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला।
हिन्टन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लंदन में प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की, जहां से उन्होंने 1970 में एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वे अपने उच्च शिक्षा के लिए एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी गए, जहां से उन्होंने 1978 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस का विषय मानव मस्तिष्क के कामकाज को समझने और उसे कंप्यूटर के साथ कैसे संगत किया जा सकता है, इस पर केंद्रित था।
हिन्टन की शिक्षा ने उनके भविष्य के शोध कार्यों की दिशा निर्धारित की और उन्हें न्यूरल नेटवर्क और डीप लर्निंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी कार्य करने की प्रेरणा दी।
जेफ्री हिन्टन का जीवन कालक्रम और प्रमुख घटनाएँ
जेफ्री हिन्टन का जीवन और करियर तकनीकी और अकादमिक सफलता के कई महत्वपूर्ण पड़ावों से भरा हुआ है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डीप लर्निंग, और न्यूरल नेटवर्क्स के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है। यहाँ उनके जीवन के प्रमुख घटनाओं और उपलब्धियों का कालक्रम प्रस्तुत है:
1947: जन्म: जेफ्री हिन्टन का जन्म 6 दिसंबर 1947 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ। वे एक वैज्ञानिक और अकादमिक परिवार से हैं। उनके परदादा जॉर्ज बूल थे, जिन्होंने बूलियन एल्जेब्रा का आविष्कार किया।
1970: स्नातक: जेफ्री हिन्टन ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्रायोगिक मनोविज्ञान (Experimental Psychology) में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
1978: पीएचडी पूरी: हिन्टन ने यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनका शोध मानव मस्तिष्क के कामकाज को समझने और उसे कंप्यूटर के माध्यम से नकल करने पर आधारित था।
1980: शोध में योगदान: 1980 के दशक में, हिन्टन ने न्यूरल नेटवर्क्स पर गहराई से शोध करना शुरू किया, जब यह तकनीक मुख्यधारा में नहीं थी। उन्होंने न्यूरल नेटवर्क्स और बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म पर काम किया, जो AI के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी खोज साबित हुआ।
1986: बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म: हिन्टन ने अपने साथियों के साथ मिलकर बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म को विकसित किया। यह एल्गोरिथ्म न्यूरल नेटवर्क्स को सीखने और जटिल समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाता है। यह AI और मशीन लर्निंग की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
1987: टोरंटो विश्वविद्यालय में शामिल: हिन्टन ने यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में अध्यापन और शोध कार्य शुरू किया। यहीं पर उन्होंने AI और न्यूरल नेटवर्क्स पर अपने काम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
2006: डीप लर्निंग में सफलता: हिन्टन और उनकी टीम ने डीप लर्निंग के क्षेत्र में नई तकनीकें विकसित कीं, जो आज के AI सिस्टम के लिए नींव साबित हुईं। उन्होंने अनसुपरवाइज्ड लर्निंग तकनीकों को बेहतर बनाया, जो बड़ी मात्रा में डेटा को समझने में सक्षम थीं।
2012: इमेजनेट प्रतियोगिता जीत: हिन्टन के छात्रों ने उनके साथ मिलकर इमेजनेट कंपटीशन में हिस्सा लिया, जहाँ उनकी डीप लर्निंग आधारित तकनीक ने शानदार सफलता प्राप्त की। यह घटना डीप लर्निंग की शक्ति को दुनिया के सामने लाने में महत्वपूर्ण रही।
2013: गूगल में शामिल: हिन्टन ने गूगल के साथ काम करना शुरू किया, जहाँ उन्होंने Google Brain प्रोजेक्ट के तहत न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग को उन्नत किया। उनके शोध ने गूगल के वॉयस रिकग्निशन और इमेज सर्च जैसे उत्पादों को बेहतर बनाया।
2017: कैप्सूल नेटवर्क्स का विकास: हिन्टन ने कैप्सूल नेटवर्क्स की अवधारणा प्रस्तुत की, जो न्यूरल नेटवर्क्स की कुछ प्रमुख समस्याओं को हल करने के लिए डिजाइन की गई थी, खासकर इमेज रिकग्निशन में।
2018: ट्यूरिंग अवॉर्ड: हिन्टन को ट्यूरिंग अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जिसे कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। यह पुरस्कार उन्हें डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क्स के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार येन लेकून और योशुआ बेंगियो के साथ साझा किया गया।
2022: IEEE फ्रैंक रोसेनब्लाट अवॉर्ड: उन्हें न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग में उनके कार्य के लिए IEEE फ्रैंक रोसेनब्लाट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
2023: AI के खतरों पर ध्यान: हिन्टन ने AI के नैतिक और सामाजिक प्रभावों पर भी ध्यान देना शुरू किया। उन्होंने AI के विकास के संभावित खतरों पर चिंता व्यक्त की और इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।
जेफ्री हिन्टन का जीवन कालक्रम तकनीकी और अकादमिक सफलता के महत्वपूर्ण मील के पत्थरों से भरा हुआ है। उन्होंने AI और डीप लर्निंग के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी योगदान दिए हैं, जिनका प्रभाव आज की तकनीकी दुनिया में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
जेफ्री हिन्टन के बारे में महत्वपूर्ण और मुख्य जानकारी
सूचना | विवरण |
पूरा नाम | जेफ्री एवरेस्ट हिन्टन |
जन्म | 6 दिसंबर 1947, लंदन, इंग्लैंड (76 वर्ष) |
शिक्षा | स्नातक: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (प्रायोगिक मनोविज्ञान) |
प्रमुख कार्य | न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग में शोध |
प्रमुख संस्थान | यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो |
महत्वपूर्ण योगदान | डीप लर्निंग की क्रांति |
पुरस्कार और सम्मान | ट्यूरिंग अवॉर्ड (2018) |
सामाजिक योगदान | AI के नैतिक और सामाजिक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करना |
शौक और रुचियाँ | विज्ञान और शिक्षा में रुचि |
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जेफ्री हिन्टन का करियर और शोध:
जेफ्री हिन्टन ने अपने करियर और शोध कार्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान दिया है, खासकर न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग के विकास में। उनके कार्यों ने न केवल एआई के विकास को प्रभावित किया, बल्कि कम्प्यूटर साइंस, मशीनी अनुवाद, इमेज रिकग्निशन, और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए।
पीएचडी पूरी करने के बाद, हिन्टन ने विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और शोध किया। शुरुआत में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स और फिर कैनेडियन यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में पढ़ाया। 1987 में, वे टोरंटो चले गए और वहीं उन्होंने अपने शोध को आगे बढ़ाया।
हिन्टन ने Google में भी काम किया, जहां उन्हें 2013 में हायर किया गया। यहां उन्होंने डीप लर्निंग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गूगल में उन्होंने Google Brain प्रोजेक्ट के तहत न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग को उन्नत करने में मदद की, जिससे वॉयस रिकग्निशन और इमेज सर्च जैसी तकनीकें विकसित हो सकीं।
जेफ्री हिन्टन के प्रमुख शोध और योगदान:
1. न्यूरल नेटवर्क्स और बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म:
हिन्टन का सबसे बड़ा योगदान न्यूरल नेटवर्क्स के विकास में रहा। 1980 के दशक में, जब अधिकांश वैज्ञानिकों ने न्यूरल नेटवर्क्स को असफल तकनीक मानकर छोड़ दिया था, हिन्टन ने इसे अपनाया और इसमें सुधार किया। उन्होंने बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिथ्म को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो न्यूरल नेटवर्क्स को डेटा के आधार पर खुद को सुधारने की क्षमता प्रदान करता है। इस एल्गोरिथ्म ने मशीन लर्निंग में एक नई क्रांति को जन्म दिया और इसे डीप लर्निंग के विकास के लिए आधारशिला बनाया।
2. डीप लर्निंग:
जेफ्री हिन्टन को डीप लर्निंग के गॉडफादर के रूप में भी जाना जाता है। 2000 के दशक में, उन्होंने डीप लर्निंग को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो आज की एआई तकनीक का मूल है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि बड़े पैमाने पर डेटा और बेहतर कम्प्यूटिंग पावर के साथ न्यूरल नेटवर्क्स को गहरा और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है, जिससे कंप्यूटर जटिल समस्याओं को हल करने में सक्षम हो सकते हैं, जैसे कि चित्रों की पहचान करना, भाषा को समझना, और स्वचालित रूप से अनुवाद करना।
3. कैप्सूल नेटवर्क्स:
2017 में, हिन्टन ने कैप्सूल नेटवर्क्स (Capsule Networks) का विचार प्रस्तुत किया। यह एक नया प्रकार का न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर है, जो पारंपरिक डीप लर्निंग के कुछ महत्वपूर्ण सीमाओं को दूर करने के लिए डिजाइन किया गया है, जैसे कि इमेज रिकग्निशन में त्रुटियाँ। कैप्सूल नेटवर्क्स की विशेषता यह है कि वे वस्तुओं और उनके गुणों के बीच संबंधों को बेहतर तरीके से समझते हैं।
4. टोरंटो में 'न्यूरल नेटवर्क्स' लैब:
टोरंटो यूनिवर्सिटी में, हिन्टन ने एक प्रमुख न्यूरल नेटवर्क्स रिसर्च लैब की स्थापना की। यहां से कई बड़े वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और बाद में डीप लर्निंग में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके कई छात्र अब एआई और डीप लर्निंग के क्षेत्र में अग्रणी हैं।
5. गूगल ब्रेन और डीपमाइंड:
हिन्टन ने गूगल ब्रेन प्रोजेक्ट के तहत न्यूरल नेटवर्क्स को गूगल के उत्पादों में लागू करने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने गूगल की एआई कंपनी DeepMind के साथ भी काम किया, जहां उन्होंने गेमिंग और स्वचालित सीखने के क्षेत्र में गहन शोध किया।
6. AI और नैतिकता:
हाल के वर्षों में, हिन्टन एआई के नैतिक और सामाजिक प्रभावों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वे इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कैसे एआई मानव समाज पर प्रभाव डाल सकता है और इसके संभावित खतरों से बचने के लिए किस प्रकार की नीतियाँ बनाई जानी चाहिए।
जेफ्री हिन्टन के पुरस्कार और सम्मान:
जेफ्री हिन्टन को उनके कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डीप लर्निंग के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनके शोध ने कंप्यूटर विज्ञान और मशीन लर्निंग में क्रांति ला दी, और इसके परिणामस्वरूप उन्होंने दुनिया भर में सराहना पाई।
1. ट्यूरिंग अवॉर्ड (2018):
जेफ्री हिन्टन को कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में दिए जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित सम्मान ट्यूरिंग अवॉर्ड से नवाज़ा गया, जिसे कंप्यूटर विज्ञान का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है। यह अवॉर्ड उन्हें येन लेकून और योशुआ बेंगियो के साथ संयुक्त रूप से दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार न्यूरल नेटवर्क्स और डीप लर्निंग के क्षेत्र में उनके अग्रणी कार्यों के लिए प्रदान किया गया, जिसने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास को तेज किया।
2. कम्प्यूटर मशीनरी एसोसिएशन (ACM) के फेलो:
हिन्टन को कंप्यूटर विज्ञान में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और योगदान के लिए एसोसिएशन फॉर कम्प्यूटिंग मशीनरी (ACM) द्वारा फेलो के रूप में मान्यता दी गई। यह सम्मान दुनिया भर में कंप्यूटर वैज्ञानिकों को उनके योगदान के लिए दिया जाता है।
3. Order of Canada (Order of Officer, 2018):
जेफ्री हिन्टन को 2018 में ऑर्डर ऑफ कनाडा से सम्मानित किया गया, जो कनाडा का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। उन्हें यह पुरस्कार कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में उनके योगदान और उनके शोध से उत्पन्न व्यावसायिक और सामाजिक प्रभाव के लिए दिया गया। उन्होंने कनाडा में कंप्यूटर विज्ञान को नए स्तर पर पहुँचाया।
4. ब्रिटिश कम्प्यूटर सोसाइटी लवलेस मेडल (2011):
हिन्टन को 2011 में ब्रिटिश कम्प्यूटर सोसाइटी (BCS) द्वारा लवलेस मेडल से सम्मानित किया गया। यह मेडल उनके न्यूरल नेटवर्क्स और मशीन लर्निंग में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया, जो कई आधुनिक एआई तकनीकों का आधार बना।
5. IEEE फ्रैंक रोसेनब्लाट अवॉर्ड (2022):
2022 में, हिन्टन को IEEE फ्रैंक रोसेनब्लाट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जो न्यूरल नेटवर्क्स और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान को मान्यता देता है। यह अवॉर्ड उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने न्यूरल नेटवर्क्स के सिद्धांतों या उनके अनुप्रयोगों में उल्लेखनीय कार्य किए हों।
6. कनाडा की गवर्नर जनरल इनोवेशन अवॉर्ड (2016):
हिन्टन को 2016 में गवर्नर जनरल इनोवेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जो कनाडा में इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है। इस पुरस्कार ने उनके नवाचार और डीप लर्निंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता दी।
7. Royal Society Fellowship (1998):
जेफ्री हिन्टन को 1998 में रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया। यह ब्रिटिश वैज्ञानिकों को दिए जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है। उन्हें यह मान्यता मशीन लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क्स के क्षेत्र में उनके अनुसंधान और सफलता के लिए दी गई।
8. CIFAR फेलोशिप:
हिन्टन ने लंबे समय तक कनाडियन इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड रिसर्च (CIFAR) में फेलो के रूप में काम किया, जहां उन्होंने डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क्स के क्षेत्र में कई नए शोधों का नेतृत्व किया।
9. NSERC Herzberg Gold Medal for Science and Engineering (2010):
जेफ्री हिन्टन को 2010 में NSERC Herzberg Gold Medal for Science and Engineering से सम्मानित किया गया, जो कनाडा में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यह अवॉर्ड उनके अनुसंधान के व्यापक प्रभाव और योगदान को मान्यता देता है।
निष्कर्ष:
जेफ्री हिन्टन को उनके डीप लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए दुनिया भर में अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। उनका काम न केवल तकनीकी क्षेत्र में बल्कि व्यावसायिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है। उनकी उपलब्धियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि उनका अनुसंधान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा।