सैमुअल जॉनसन का जीवन सफर: अंग्रेजी साहित्य के महान आलोचक और शब्दकोशकार Samuel Johnson
Samuel Johnson: सैमुअल जॉनसन, अंग्रेजी साहित्य का एक महत्वपूर्ण नाम, अपने गहरे साहित्यिक आलोचनात्मक दृष्टिकोण और शब्दकोश निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं। इस लेख में हम उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं, जैसे उनके विवाह, मित्रता, और साहित्यिक प्रयासों पर प्रकाश डालेंगे।
जीवनी By Tathya Tarang, Last Update Tue, 29 October 2024, Share via
अंग्रेजी साहित्य के महान आलोचक और शब्दकोशकार: सैमुअल जॉनसन
सैमुअल जॉनसन का जन्म 18 सितंबर 1709 को इंग्लैंड के लिचफील्ड नामक छोटे से शहर में हुआ था। उनके पिता माइकल जॉनसन एक पुस्तक विक्रेता थे और उनकी मां का नाम सारा फोर्ड था। सैमुअल का परिवार आर्थिक रूप से बहुत संपन्न नहीं था, लेकिन उनके पिता का पुस्तक व्यापार उन्हें साहित्य के करीब ले आया।
सैमुअल जॉनसन का बचपन:
सैमुअल जॉनसन का बचपन कई चुनौतियों से भरा रहा। उनका स्वास्थ्य बचपन से ही कमजोर था और उन्हें कई बीमारियों का सामना करना पड़ा। उन्हें त्वचा की एक बीमारी 'स्क्रोफुला' थी, जो उस समय "राजरोग" के रूप में जानी जाती थी। इसके इलाज के लिए उन्हें लंदन ले जाया गया, लेकिन यह पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई। इसके बावजूद, जॉनसन के मन में पढ़ाई और साहित्य के प्रति गहरी रुचि थी, जो उन्हें आगे जीवन में सफलता की ओर ले गई।
बचपन में ही सैमुअल का परिवार वित्तीय समस्याओं से जूझ रहा था, जिससे उनका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। हालांकि, उनके पिता के पुस्तक विक्रय व्यवसाय ने उन्हें किताबों के बीच पलने का अवसर दिया, और यही से उनकी साहित्यिक यात्रा की शुरुआत हुई।
सैमुअल जॉनसन की प्रारंभिक शिक्षा:
सैमुअल जॉनसन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लिचफील्ड के ग्रैमर स्कूल में शुरू की, जहां उन्होंने लैटिन और ग्रीक भाषाओं में गहरी रुचि दिखाई। उनके शिक्षक उनके कौशल से प्रभावित थे, लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं और आर्थिक तंगी के कारण उनकी शिक्षा में कई बार रुकावटें आईं। 1728 में, वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पेमब्रोक कॉलेज में दाखिला लेने गए। हालांकि, उन्हें आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी, लेकिन ऑक्सफोर्ड में बिताए गए समय ने उनकी साहित्यिक नींव को और मजबूत किया।
बचपन और प्रारंभिक शिक्षा के दौरान सैमुअल जॉनसन ने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनका साहित्य के प्रति प्रेम और जिज्ञासा उन्हें जीवन में महानता की ओर ले गई। उनके द्वारा बनाए गए शब्दकोश और अन्य रचनाओं ने उन्हें विश्व साहित्य के इतिहास में अमर कर दिया।
सैमुअल जॉनसन के प्रारंभिक लेखन प्रयास
सैमुअल जॉनसन का लेखन करियर उनकी कठिनाइयों के बावजूद अत्यधिक प्रेरणादायक रहा। शुरुआती दिनों में उन्होंने आर्थिक संकट के बीच अपने साहित्यिक प्रयासों को जारी रखा। उनके प्रमुख प्रारंभिक कार्यों में नाटक "इरिन," यात्रा विवरण "अ वॉयज टू एबिसिनिया," और जीवनी "लाइफ ऑफ मिस्टर रिचर्ड सैवेज" शामिल हैं। इन रचनाओं के माध्यम से उन्होंने अपनी साहित्यिक योग्यता का प्रदर्शन किया और धीरे-धीरे खुद को एक प्रतिष्ठित लेखक के रूप में स्थापित किया।
1. इरिन (Irene)
सैमुअल जॉनसन का पहला बड़ा साहित्यिक प्रयास एक त्रासदी नाटक "इरिन" था। यह नाटक उनके जीवन में संघर्ष और साहित्यिक रुझान का परिणाम था। उन्होंने इसे 1720 के दशक के अंत में लिखना शुरू किया और लगभग एक दशक तक इसे पूरा करने में लगे रहे। "इरिन" एक ऐतिहासिक त्रासदी है, जिसमें ओटोमन साम्राज्य के दौरान इरिन नामक एक महिला की कहानी को दर्शाया गया है, जो आत्मसंघर्ष और राजनीतिक साजिशों में उलझी रहती है।
हालांकि यह नाटक उनके जीवनकाल में मंचित हुआ, परंतु इसे बहुत ज्यादा सराहना नहीं मिली। प्रसिद्ध अभिनेता डेविड गैरिक ने इस नाटक का मंचन 1749 में लंदन के ड्रुरी लेन थियेटर में किया, लेकिन दर्शकों और समीक्षकों के बीच इसकी प्रतिक्रिया मिश्रित रही। यह जॉनसन की साहित्यिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, क्योंकि इसने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की शुरुआत दी।
2. अ वॉयज टू एबिसिनिया (A Voyage to Abyssinia)
"अ वॉयज टू एबिसिनिया" सैमुअल जॉनसन का एक अनुवाद कार्य था, जिसे उन्होंने 1735 में प्रकाशित किया। यह किताब मूल रूप से पुर्तगाली लेखक फादर लोबो द्वारा लिखी गई थी और इथियोपिया (जिसे उस समय एबिसिनिया कहा जाता था) की यात्रा के विवरण को समाहित करती है। इस कार्य का मुख्य उद्देश्य इथियोपिया के संस्कृति, धर्म, और भूगोल के बारे में यूरोपीय पाठकों को जानकारी देना था।
जॉनसन ने इस पुस्तक का अनुवाद अपने लेखन करियर के शुरुआती चरण में किया, जब वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। यह अनुवाद उनके लिए एक व्यावहारिक कदम था, क्योंकि इससे उन्हें कुछ आर्थिक लाभ हुआ और साथ ही यह उनके गहन अध्ययनशील स्वभाव को भी दर्शाता है। इस पुस्तक ने जॉनसन के लेखन कौशल और अनुवाद कला को विकसित करने में मदद की और उनके आगे के लेखन कार्यों की नींव रखी।
3. लाइफ ऑफ मिस्टर रिचर्ड सैवेज (Life of Mr. Richard Savage)
"लाइफ ऑफ मिस्टर रिचर्ड सैवेज" 1744 में प्रकाशित हुई और यह सैमुअल जॉनसन की प्रारंभिक प्रमुख जीवनी रचना मानी जाती है। यह जीवनी उनके मित्र और विवादास्पद कवि रिचर्ड सैवेज पर आधारित है, जिनके साथ जॉनसन का व्यक्तिगत संबंध था। रिचर्ड सैवेज के जीवन में कई उतार-चढ़ाव थे, और उनकी जीवन कहानी ने जॉनसन को बहुत प्रभावित किया।
इस जीवनी में जॉनसन ने सैवेज के जीवन के संघर्षों, उनके कठिन बचपन, और उनके साहित्यिक करियर की जटिलताओं का विवरण दिया है। जॉनसन की लेखन शैली इस जीवनी में सरल लेकिन प्रभावी है, जो सैवेज के व्यक्तित्व और उनके जीवन की त्रासदियों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है। इस रचना ने जॉनसन को एक बेहतरीन जीवनलेखक के रूप में स्थापित किया और उनकी साहित्यिक प्रतिष्ठा को और मजबूत किया।
सैमुअल जॉनसन की जीवनी लेखन में नवाचार
सैमुअल जॉनसन को अंग्रेजी साहित्य में जीवनी लेखन की परंपरा में एक महत्वपूर्ण नवोन्मेषक माना जाता है। उन्होंने इस विधा में कई नए विचारों और तकनीकों का समावेश किया, जिससे उन्होंने जीवनी लेखन को एक नया दृष्टिकोण दिया। उनके कार्यों में विशेष रूप से "लाइफ ऑफ मिस्टर रिचर्ड सैवेज" और "लाइव्स ऑफ द पोएट्स" शामिल हैं, जो उनकी जीवनी लेखन शैली के उत्कृष्ट उदाहरण माने जाते हैं। आइए देखें कि सैमुअल जॉनसन ने जीवनी लेखन में कौन-कौन से नवाचार किए:
1. जीवनी को कहानी जैसा स्वरूप देना
सैमुअल जॉनसन ने जीवनी को केवल तथ्यों का संग्रह न मानकर उसे एक कहानी के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने पात्रों के जीवन के संघर्ष, संवेदनशीलता, और व्यक्तिगत अनुभवों को इस तरह से प्रस्तुत किया कि पाठक उनके साथ जुड़ सके। उनके लेखन में कहानी की सी निरंतरता और प्रवाह होता था, जिससे उनके द्वारा चित्रित व्यक्तियों का जीवन जीवंत और वास्तविक लगता था। इस दृष्टिकोण ने जीवनी लेखन को अधिक रोचक और सजीव बना दिया।
उदाहरण: "लाइफ ऑफ मिस्टर रिचर्ड सैवेज" में उन्होंने सैवेज के जीवन को केवल घटनाओं का वर्णन भर नहीं किया, बल्कि उनके जीवन की घटनाओं को भावनात्मक गहराई के साथ पेश किया, जिससे पाठक उनकी जटिलताओं और संघर्षों को समझ सके।
2. व्यक्तित्व की गहराई में उतरना
जॉनसन के लिए, जीवनी केवल बाहरी घटनाओं का वर्णन नहीं थी, बल्कि उन्होंने अपने पात्रों के आंतरिक व्यक्तित्व को भी उजागर किया। उन्होंने अपने विषयों की भावनाओं, विचारों, और प्रेरणाओं को सामने लाने का प्रयास किया। उनका मानना था कि किसी व्यक्ति के जीवन की सच्ची समझ तभी हो सकती है जब हम उसके आंतरिक संघर्षों और व्यक्तित्व की जटिलताओं को समझें।
उदाहरण: "लाइव्स ऑफ द पोएट्स" में उन्होंने न केवल कवियों की उपलब्धियों को वर्णित किया, बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन, विचारधाराओं, और रचनात्मक प्रक्रियाओं का भी विश्लेषण किया, जिससे पाठकों को उनके व्यक्तित्व की गहराई समझ में आ सके।
3. आलोचनात्मक दृष्टिकोण का समावेश
सैमुअल जॉनसन की जीवनी लेखन का एक और महत्वपूर्ण पहलू था उनका आलोचनात्मक दृष्टिकोण। उन्होंने अपने विषयों का केवल महिमामंडन नहीं किया, बल्कि उनकी कमजोरियों, असफलताओं, और खामियों को भी खुले तौर पर उजागर किया। यह दृष्टिकोण उनके लेखन को ईमानदार और यथार्थवादी बनाता है। जॉनसन का मानना था कि किसी व्यक्ति के जीवन की पूरी तस्वीर तभी पेश की जा सकती है जब उसकी अच्छाइयों और बुराइयों, दोनों को बराबर महत्व दिया जाए।
उदाहरण: "लाइफ ऑफ मिस्टर रिचर्ड सैवेज" में उन्होंने सैवेज की गलतियों और उनके जीवन के विवादास्पद पहलुओं को भी प्रमुखता से दर्शाया, जिससे जीवनी में संतुलित और वास्तविक दृष्टिकोण उभरता है।
4. विषय के जीवन के सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों पर ध्यान
सैमुअल जॉनसन ने अपने विषयों के जीवन को समाज और संस्कृति के व्यापक संदर्भ में प्रस्तुत किया। उन्होंने यह दिखाने का प्रयास किया कि उनके पात्रों के जीवन में घटित घटनाएं उनके समय और समाज से कैसे प्रभावित थीं। इससे उनकी जीवनी केवल व्यक्तिगत जीवन का विवरण न रहकर एक व्यापक सामाजिक अध्ययन का रूप ले लेती थी।
उदाहरण: "लाइव्स ऑफ द पोएट्स" में उन्होंने न केवल कवियों के व्यक्तिगत जीवन का वर्णन किया, बल्कि उनके लेखन और विचारधारा को उनके समय और सामाजिक परिस्थितियों के संदर्भ में भी समझने का प्रयास किया।
5. व्यक्तियों के चरित्र का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
जॉनसन ने जीवनी लेखन में मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण का समावेश भी किया। उन्होंने अपने पात्रों के व्यवहार, निर्णय, और कार्यों के पीछे छिपे मानसिक और भावनात्मक कारणों को उजागर करने का प्रयास किया। इससे उनके विषयों का व्यक्तित्व और भी अधिक सजीव और जटिल हो जाता था।
उदाहरण: "लाइफ ऑफ मिस्टर रिचर्ड सैवेज" में जॉनसन ने सैवेज के कठिन जीवन की परिस्थितियों को उनके मानसिक और भावनात्मक संघर्षों के माध्यम से समझने का प्रयास किया, जिससे उनकी जीवनी और भी प्रभावशाली बन गई।
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सैमुअल जॉनसन की सबसे महत्वपूर्ण कृति: "ए डिक्शनरी ऑफ द इंग्लिश लैंग्वेज"
सैमुअल जॉनसन का सबसे उल्लेखनीय और ऐतिहासिक कार्य "ए डिक्शनरी ऑफ द इंग्लिश लैंग्वेज" है, जिसे 1755 में प्रकाशित किया गया। यह केवल एक साधारण शब्दकोश नहीं था, बल्कि यह अंग्रेजी भाषा के विकास और मानकीकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। जॉनसन का यह कार्य आज भी उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है, और इसे अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में देखा जाता है।
1. शब्दकोश का निर्माण और उद्देश्य
"ए डिक्शनरी ऑफ द इंग्लिश लैंग्वेज" का उद्देश्य अंग्रेजी भाषा को व्यवस्थित और मानकीकृत करना था। 18वीं शताब्दी तक अंग्रेजी भाषा का कोई मानक रूप नहीं था, और विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों के लोग अलग-अलग शब्दों और वर्तनी का उपयोग करते थे। जॉनसन ने महसूस किया कि एक संगठित और व्यापक शब्दकोश की आवश्यकता है, जो न केवल शब्दों के अर्थ बताए, बल्कि उनके सही प्रयोग और व्याकरणिक संरचना को भी दर्शाए।
जॉनसन ने इस परियोजना की शुरुआत 1746 में की थी और इसके निर्माण में उन्हें लगभग नौ साल लगे। यह शब्दकोश न केवल शब्दों की परिभाषाएं देता है, बल्कि उनके उपयोग को साहित्यिक उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करता है। यह शब्दकोश लगभग 40,000 शब्दों और 114,000 उद्धरणों को समाहित करता है, जो इसे उस समय का सबसे व्यापक और सटीक शब्दकोश बनाता है।
2. जॉनसन का दृष्टिकोण और शैली
जॉनसन के शब्दकोश की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों की परिभाषाओं को केवल तकनीकी या वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नहीं लिखा, बल्कि उनमें हास्य, व्यंग्य, और व्यक्तिगत दृष्टिकोण भी जोड़ा। उनके द्वारा दी गई परिभाषाएं केवल सूचनात्मक नहीं थीं, बल्कि उनमें जॉनसन के विचारों और शैली की झलक भी मिलती थी। उदाहरण के लिए, उन्होंने शब्द "lexicographer" (शब्दकोश निर्माता) की परिभाषा इस प्रकार दी: "A writer of dictionaries; a harmless drudge" (शब्दकोश लिखने वाला; एक हानिरहित श्रमिक)। इस प्रकार की परिभाषाएं उनकी लेखन शैली की विलक्षणता को दर्शाती हैं।
3. साहित्यिक उद्धरणों का प्रयोग
जॉनसन के शब्दकोश की एक और विशिष्टता यह थी कि उन्होंने शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए साहित्यिक उद्धरणों का व्यापक रूप से प्रयोग किया। इन उद्धरणों को उन्होंने शेक्सपियर, मिल्टन, और अन्य प्रसिद्ध लेखकों की कृतियों से चुना। इसका उद्देश्य यह था कि पाठक शब्द के सही उपयोग को साहित्यिक संदर्भ में समझ सके। यह पद्धति जॉनसन के शब्दकोश को अन्य शब्दकोशों से अलग बनाती थी, क्योंकि इससे न केवल शब्द का अर्थ मिलता था, बल्कि उसका सही उपयोग भी स्पष्ट होता था।
4. अंग्रेजी भाषा का मानकीकरण
जॉनसन का शब्दकोश अंग्रेजी भाषा के मानकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इससे पहले अंग्रेजी भाषा में एकरूपता का अभाव था, और वर्तनी और व्याकरण में भिन्नता पाई जाती थी। इस शब्दकोश ने एक मानक रूप स्थापित किया, जिससे भाषा को अधिक सुसंगत और व्यवस्थित बनाया जा सका। इस शब्दकोश के प्रकाशन के बाद, अंग्रेजी लेखकों और विद्वानों ने जॉनसन के द्वारा प्रस्तावित मानकों का पालन करना शुरू किया, जिससे भाषा में सुधार और स्थिरता आई।
5. शब्दकोश का प्रभाव
"ए डिक्शनरी ऑफ द इंग्लिश लैंग्वेज" का प्रभाव व्यापक था। यह न केवल अंग्रेजी भाषा को मानकीकृत करने में मददगार साबित हुआ, बल्कि यह साहित्यिक, शैक्षिक, और बौद्धिक जगत में भी व्यापक रूप से स्वीकार किया गया। इसे उस समय का सबसे प्रतिष्ठित और विश्वसनीय शब्दकोश माना गया और लगभग 150 वर्षों तक यह अंग्रेजी भाषा का सबसे महत्वपूर्ण शब्दकोश रहा, जब तक कि ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी (OED) का प्रकाशन नहीं हुआ।
6. चुनौतियाँ और सीमाएँ
हालांकि जॉनसन का शब्दकोश बेहद प्रभावशाली था, लेकिन इसके निर्माण के दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जॉनसन ने इस कार्य को अकेले ही पूरा किया, जिसके लिए उन्हें बहुत अधिक मेहनत और समर्पण की आवश्यकता थी। इसके बावजूद, शब्दकोश में कुछ सीमाएँ भी थीं। उदाहरण के लिए, जॉनसन ने कभी-कभी अपनी व्यक्तिगत धारणाओं को परिभाषाओं में शामिल किया, और कई वैज्ञानिक या तकनीकी शब्दों की सही व्याख्या देने में कठिनाई महसूस की। इसके अलावा, यह शब्दकोश अंग्रेजी के सभी शब्दों को समाहित नहीं कर सका, क्योंकि उस समय के संसाधनों की सीमाएँ थीं।
सैमुअल जॉनसन के निबंध
सैमुअल जॉनसन का निबंध लेखन उनके साहित्यिक करियर का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली हिस्सा था। उनके निबंध गहरे विचारशील, नैतिक और सामाजिक विषयों पर आधारित थे, और उन्होंने इन रचनाओं के माध्यम से अपने समय की सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला। जॉनसन ने कई महत्वपूर्ण निबंध संग्रह लिखे, जिनमें "द रैम्बलर", "द आइडलर", और "द एडवेंचरर" प्रमुख हैं। इन निबंधों ने न केवल उन्हें एक महान लेखक के रूप में स्थापित किया, बल्कि समाज के लिए एक महत्वपूर्ण नैतिक मार्गदर्शक के रूप में भी उनकी पहचान बनाई।
1. द रैम्बलर (The Rambler)
सैमुअल जॉनसन का निबंध संग्रह "द रैम्बलर" उनके सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली निबंधों में से एक है। यह 1750 से 1752 के बीच प्रकाशित हुआ, और इसमें कुल 208 निबंध शामिल थे। "द रैम्बलर" में जॉनसन ने नैतिकता, मानव व्यवहार, और समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार प्रस्तुत किए।
मुख्य विषय:
- जॉनसन के निबंधों में जीवन के संघर्ष, मानव स्वभाव, और समाज के दोषों पर प्रकाश डाला गया है।
- उन्होंने विशेष रूप से मानवीय दुर्बलताओं, जैसे आलस्य, स्वार्थ, और अनैतिकता पर कठोर आलोचना की है।
- उन्होंने निबंधों के माध्यम से यह दिखाया कि कैसे व्यक्ति अपनी कमियों और जीवन के संघर्षों का सामना करके अपने जीवन को बेहतर बना सकता है।
शैली:
जॉनसन की शैली सरल लेकिन गहन थी। उनके निबंध गंभीर और विचारशील होते थे, जिनमें व्यक्तिगत अनुभवों और समाज के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। जॉनसन ने इस संग्रह में व्यक्तिगत जिम्मेदारी और नैतिकता को प्रमुख रूप से उभारा।
2. द आइडलर (The Idler)
"द आइडलर" जॉनसन का दूसरा प्रमुख निबंध संग्रह था, जो 1758 से 1760 के बीच प्रकाशित हुआ। "द आइडलर" के निबंध छोटे और सरल थे, और इसका उद्देश्य व्यस्त पाठकों को सीधे और व्यावहारिक संदेश देना था। इसमें कुल 103 निबंध थे, जिनमें से अधिकांश नैतिक और सामाजिक मुद्दों पर आधारित थे।
मुख्य विषय:
- जॉनसन ने इस निबंध संग्रह में आलस्य, बेपरवाही, और समय की बर्बादी जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया।
- उन्होंने यह दिखाया कि कैसे लोग अपने जीवन में सक्रियता और उद्देश्य के बिना समय व्यर्थ करते हैं।
- उनके निबंधों का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना था कि जीवन में उद्देश्यपूर्ण कार्य कैसे महत्वपूर्ण होते हैं और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक हैं।
शैली:
"द आइडलर" के निबंध हल्के-फुल्के और व्यंग्यात्मक थे, जो जॉनसन के अन्य गंभीर निबंधों से थोड़ा अलग थे। यहां उन्होंने हास्य और व्यंग्य का प्रयोग करके सामाजिक और नैतिक संदेशों को सरलता से प्रस्तुत किया।
3. द एडवेंचरर (The Adventurer)
"द एडवेंचरर" एक अन्य प्रमुख निबंध श्रृंखला थी, जिसमें सैमुअल जॉनसन ने योगदान दिया। यह संग्रह 1752 से 1754 के बीच प्रकाशित हुआ और इसमें विभिन्न लेखकों के निबंध शामिल थे, लेकिन जॉनसन के निबंधों का इसमें प्रमुख स्थान था।
मुख्य विषय:
- इस संग्रह में जॉनसन ने जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे शिक्षा, साहित्य, नैतिकता, और मानव स्वभाव पर विचार व्यक्त किए।
- उन्होंने जीवन की अस्थिरता, मनुष्य की कमजोरियों, और समाज में फैले हुए भ्रष्टाचार पर भी चर्चा की।
- जॉनसन ने नैतिक आदर्शों और सामाजिक दायित्वों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया और यह दिखाया कि कैसे इन आदर्शों का पालन करके समाज को बेहतर बनाया जा सकता है।
शैली:
"द एडवेंचरर" के निबंध अधिक गंभीर और गहन थे। इनमें नैतिक और सामाजिक मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श किया गया था और जॉनसन का उद्देश्य लोगों को नैतिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाना था।
4. नैतिक और दार्शनिक दृष्टिकोण
सैमुअल जॉनसन के निबंधों का मुख्य उद्देश्य समाज के नैतिक और दार्शनिक पहलुओं को उजागर करना था। उन्होंने यह समझने की कोशिश की कि मानव स्वभाव में क्या दोष हैं और समाज को कैसे सुधार जा सकता है। उनके निबंधों में दार्शनिक गहराई और नैतिक दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
उनका मानना था कि जीवन में संतुलन और नैतिकता आवश्यक हैं, और उन्होंने अपने निबंधों के माध्यम से इस विचार को बढ़ावा दिया। जॉनसन के निबंध पाठकों को अपने जीवन में सुधार लाने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा देते हैं।
सैमुअल जॉनसन का व्यक्तिगत जीवन: एलिज़ाबेथ पोर्टर से विवाह और प्रमुख हस्तियों के साथ मित्रता
सैमुअल जॉनसन का व्यक्तिगत जीवन उनके साहित्यिक जीवन की तरह ही रोचक और भावनाओं से भरा था। उनके जीवन में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ और रिश्ते थे, जो उनके व्यक्तित्व और साहित्यिक कार्यों को प्रभावित करते थे। उनके व्यक्तिगत जीवन की प्रमुख घटनाओं में उनका विवाह एलिज़ाबेथ पोर्टर से और उनकी मित्रता प्रसिद्ध साहित्यिक हस्तियों के साथ शामिल है। जॉनसन के निजी जीवन के इन पहलुओं ने उनके जीवन के अनुभवों और उनके लेखन में गहराई लाई।
1. एलिज़ाबेथ पोर्टर से विवाह
सैमुअल जॉनसन का विवाह एलिज़ाबेथ पोर्टर से 1735 में हुआ था। एलिज़ाबेथ, जिन्हें प्यार से 'टेटी' (Tetty) कहा जाता था, जॉनसन से 20 साल बड़ी थीं और एक विधवा थीं। उनका पहला पति निधन हो चुका था, और उनके दो बच्चे भी थे। हालांकि, उम्र के इस अंतर ने जॉनसन के प्रेम और विवाह में कोई बाधा नहीं डाली। जॉनसन एलिज़ाबेथ के प्रति अत्यधिक स्नेह रखते थे, और उनका विवाह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
1765 में एलिज़ाबेथ की मृत्यु ने जॉनसन को गहरा दुख दिया। उनकी मृत्यु के बाद, जॉनसन लंबे समय तक शोक में रहे और उनके जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने अपनी पत्नी की याद में कई बार भावुक पत्र और लेख लिखे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एलिज़ाबेथ का उनके जीवन में कितना महत्व था।
2. मित्रता और प्रमुख हस्तियाँ
सैमुअल जॉनसन का व्यक्तिगत जीवन उनके कई प्रमुख मित्रताओं से समृद्ध था। वे अपने समय के कई प्रसिद्ध और प्रभावशाली साहित्यिक और बौद्धिक हस्तियों के साथ गहरे संबंधों में बंधे थे। इन मित्रताओं ने न केवल जॉनसन के जीवन को समृद्ध किया, बल्कि उनके साहित्यिक कार्यों को भी प्रेरित किया।
(a) जेम्स बॉस्वेल (James Boswell)
जेम्स बॉस्वेल सैमुअल जॉनसन के सबसे करीबी मित्रों में से एक थे। जॉनसन और बॉस्वेल की मित्रता ने अंग्रेजी साहित्य में एक विशेष स्थान प्राप्त किया है, क्योंकि बॉस्वेल ने बाद में जॉनसन की जीवनी "द लाइफ ऑफ सैमुअल जॉनसन" लिखी, जिसे आज भी सबसे महान जीवनी कार्यों में गिना जाता है।
मित्रता का महत्व:
- बॉस्वेल और जॉनसन की मित्रता गहरी और भावनात्मक थी।
- बॉस्वेल ने जॉनसन के साथ अपने समय को विस्तार से दर्ज किया, और उनके बीच हुई बातचीत को उनकी जीवनी में शामिल किया।
- यह जीवनी जॉनसन के जीवन और व्यक्तित्व को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, क्योंकि इसमें उनके व्यक्तिगत विचार और जीवन के पहलुओं का विस्तृत चित्रण मिलता है।
(b) जोशुआ रेनॉल्ड्स (Joshua Reynolds)
सर जोशुआ रेनॉल्ड्स, प्रसिद्ध चित्रकार और "रॉयल एकेडमी ऑफ आर्ट्स" के संस्थापक, सैमुअल जॉनसन के अच्छे मित्रों में से एक थे। रेनॉल्ड्स ने जॉनसन के कई चित्र बनाए और उनकी मित्रता ने जॉनसन के सामाजिक जीवन को और भी समृद्ध किया।
मित्रता का महत्व:
- जॉनसन और रेनॉल्ड्स के बीच कला और साहित्य के मुद्दों पर गहरी चर्चा होती थी।
- दोनों के बीच एक रचनात्मक सहयोग और पारस्परिक सम्मान का भाव था।
(c) एडमंड बर्क (Edmund Burke)
एडमंड बर्क, एक प्रसिद्ध राजनेता और दार्शनिक, सैमुअल जॉनसन के महत्वपूर्ण मित्रों में से एक थे। बर्क और जॉनसन ने राजनीति, नैतिकता, और समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की।
मित्रता का महत्व:
- बर्क के साथ जॉनसन की मित्रता ने उनके राजनीतिक और सामाजिक विचारों को गहराई से प्रभावित किया।
- जॉनसन और बर्क के बीच हुई बातचीत से उनके निबंधों और लेखों में भी राजनीति और समाज के मुद्दों की झलक मिलती है।
(d) ओलिवर गोल्डस्मिथ (Oliver Goldsmith)
ओलिवर गोल्डस्मिथ, प्रसिद्ध कवि और लेखक, भी जॉनसन के घनिष्ठ मित्रों में से एक थे। दोनों ने साहित्यिक जगत में एक साथ काम किया और एक-दूसरे के कार्यों की सराहना की।
मित्रता का महत्व:
- गोल्डस्मिथ और जॉनसन की मित्रता ने उनके साहित्यिक कार्यों को और समृद्ध बनाया।
- जॉनसन ने गोल्डस्मिथ के कार्यों की प्रशंसा की और उन्हें एक उत्कृष्ट लेखक माना।
सैमुअल जॉनसन की मृत्यु
सैमुअल जॉनसन का स्वास्थ्य जीवन के अंतिम वर्षों में काफी बिगड़ने लगा था। वे सांस संबंधी बीमारियों और अन्य शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी लंबी बीमारी और धीरे-धीरे बिगड़ते स्वास्थ्य ने उनकी सक्रियता को कम कर दिया था। अंततः, 13 दिसंबर 1784 को लंदन में 75 वर्ष की आयु में सैमुअल जॉनसन का निधन हो गया।