शेरशाह सूरी: अदम्य साहस और कुशल प्रशासक! जीवन परिचय और उपलब्धियां Sher Shah Suri Biography
शेरशाह सूरी भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण शासक थे, जिन्होंने 1540 से 1545 ईस्वी तक उत्तर भारत पर शासन किया। उनका मूल नाम फरीद खान था, लेकिन युद्ध में शेर को अकेले मारने के कारण उन्हें शेरशाह की उपाधि मिली। आइए, उनके जीवन और उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं
जीवनी By Tathya Tarang, Last Update Sun, 01 September 2024, Share via
शेरशाह सूरी: प्रारंभिक जीवन और उदय
- जन्म: शेरशाह का जन्म 1486 ईस्वी में बिहार के सासाराम में हुआ था। उनके पिता हसन खान सूरी एक जमींदार थे।
- प्रारंभिक कैरियर: युवावस्था में शेरशाह जौनपुर दरबार से जुड़े और वहां प्रशासनिक कार्यों का अनुभव प्राप्त किया। बाद में वह बंगाल के सुल्तान के अधीन भी रहे।
- बाबर के आगमन से संघर्ष: 1526 ईस्वी में जब मुगल सम्राट बाबर ने भारत पर आक्रमण किया, तब शेरशाह ने उनका विरोध किया। हालांकि, कन्नौज की लड़ाई में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
मुगलों के खिलाफ विद्रोह
- स्वतंत्रता की महत्वाकांक्षा: बाबर की मृत्यु के बाद शेरशाह ने मुगल साम्राज्य के कमजोर होने का फायदा उठाया और बंगाल तथा बिहार जैसे क्षेत्रों पर अपना अधिकार जमा लिया।
- चुनार का युद्ध: 1539 ईस्वी में उन्होंने हुमायूं को चुनार के युद्ध में पराजित किया और मुगलों को दिल्ली से खदेड़ दिया।
शेरशाह सूरी का शासन
- सूरी साम्राज्य की स्थापना: 1540 ईस्वी में शेरशाह सूरी ने दिल्ली पर अपना शासन स्थापित किया और सूरी साम्राज्य की नींव रखी। उनका शासनकाल भले ही केवल पांच वर्षों का रहा, लेकिन इस दौरान उन्होंने प्रशासन, अर्थव्यवस्था और सेना में कई महत्वपूर्ण सुधार किए।
प्रशासनिक सुधार
- दाम-शिकस्त: उन्होंने भूमि की पैमाइश करवाकर लगान व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया। जिसे दाम-शिकस्त के नाम से जाना जाता है।
- व्यवस्था और न्याय: उन्होंने सख्त कानून बनाकर अपराधों पर रोक लगाई और न्याय व्यवस्था को मजबूत किया।
- पोस्टल व्यवस्था: उन्होंने एक कुशल डाक प्रणाली की स्थापना की। जिसे "पोस्त बाग" के नाम से जाना जाता है।
अर्थव्यवस्था और सेना
- मोहर: उन्होंने चांदी का एक नया सिक्का "मोहर" जारी किया।
- सड़क निर्माण: उन्होंने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सड़कों का जाल बिछाया। इनमें से ग्रैंड ट्रंक रोड सबसे महत्वपूर्ण था।
- सेना का सुदृढ़ीकरण: उन्होंने एक मजबूत और सुसंगठित सेना का निर्माण किया।
विरासत
- शेरशाह सूरी को एक कुशल प्रशासक, साहसी योद्धा और दूरदृष्टि रखने वाले शासक के रूप में जाना जाता है।
- उनके सुधारों ने बाद के मुगल सम्राट अकबर को भी काफी प्रभावित किया।
- उनका मकबरा, जो बिहार के सासाराम में स्थित है, भारतीय वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है।
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शेरशाह सूरी का भारतीय इतिहास में योगदान
शेरशाह सूरी का भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनका शासनकाल भले ही सिर्फ पांच वर्षों का रहा (1540-1545 ईस्वी), लेकिन इस दौरान उन्होंने प्रशासन, अर्थव्यवस्था और सैन्य क्षेत्र में किए गए सुधारों से भारत को एक मजबूत नींव दी। आइए, उनके योगदानों पर विस्तार से नजर डालें:
प्रशासनिक सुधार:
दाम-शिकस्त: शेरशाह सूरी ने भूमि की पैमाइश करवाकर एक व्यवस्थित लगान प्रणाली लागू की। इसे दाम-शिकस्त के नाम से जाना जाता है। इससे भूमि से होने वाली आय में वृद्धि हुई और कर वसूली में पारदर्शिता आई।
कानून और न्याय व्यवस्था: उन्होंने सख्त कानून बनाकर अपराधों पर रोक लगाई और भ्रष्टाचार को कम किया। उन्होंने न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाया, जिससे जनता में सुरक्षा का भाव जगा।
पोस्टल व्यवस्था: उन्होंने एक कुशल डाक प्रणाली की स्थापना की। जिसे "पोस्त बाग" के नाम से जाना जाता था। इससे साम्राज्य के विभिन्न भागों के बीच संचार में सुधार हुआ और प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से चलने लगे।
अर्थव्यवस्था में सुधार:
मोहर: उन्होंने चांदी का एक नया सिक्का "मोहर" जारी किया। यह सिक्का अपनी शुद्धता के लिए प्रसिद्ध हुआ और व्यापार को बढ़ावा मिला।
सड़क निर्माण: व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सड़कों का जाल बिछाया। इनमें से ग्रैंड ट्रंक रोड सबसे महत्वपूर्ण था, जो बंगाल से पेशावर तक जाता था। इससे व्यापारियों और यात्रियों के लिए आवागमन सुगम हुआ।
सैन्य सुधार:
सेना का सुदृढ़ीकरण: उन्होंने एक मजबूत और सुसंगठित सेना का निर्माण किया। इसमें तोपखाने और पैदल सेना को विशेष महत्व दिया गया।
युद्धनीति: शेरशाह सूरी एक कुशल रणनीतिकार थे। उन्होंने तोपखाने के प्रयोग और किलों के निर्माण पर बल दिया।
अन्य योगदान:
- कला और स्थापत्य: उन्होंने कला और स्थापत्य को भी प्रोत्साहन दिया। उनका मकबरा, जो बिहार के सासाराम में स्थित है, भारतीय वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है।
दीर्घकालिक प्रभाव:
- शेरशाह सूरी के सुधारों ने बाद के मुगल सम्राट अकबर को भी काफी प्रभावित किया। अकबर ने उनके द्वारा शुरू किए गए कई सुधारों को आगे बढ़ाया।
- शेरशाह सूरी ने मुगल साम्राज्य को कमजोर कर दिया और भारतीय इतिहास में एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखी।
कुछ और महत्वपूर्ण योगदान
जासूसी व्यवस्था: उन्होंने एक कुशल जासूसी व्यवस्था लागू की। जिसे "बारिद" के नाम से जाना जाता था। इससे उन्हें साम्राज्य के विभिन्न भागों में हो रही गतिविधियों की जानकारी मिलती रहती थी और विद्रोहों को रोका जा सकता था।
कृषि सुधार: उन्होंने किसानों की दशा सुधारने के लिए भी कदम उठाए। उन्होंने सिंचाई व्यवस्था को मजबूत किया और कृषि उपज पर लगने वाले करों को कम किया।
सैन्य प्रशिक्षण: शेरशाह सूरी अपनी सेना को लगातार युद्धाभ्यास कराते थे। उन्होंने सैनिकों के लिए उचित वेतन और रहने का प्रावधान भी किया। इससे सेना का मनोबल ऊंचा रहा।
युद्ध रणनीति: शेरशाह सूरी युद्ध में तोपखाने के साथ ही साथ घुड़सवार सेना के प्रयोग में भी विश्वास करते थे। उन्होंने युद्ध के मैदान में गतिशीलता को बनाए रखने पर बल दिया।
- शिक्षा को बढ़ावा: उन्होंने शिक्षा को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने मदरसों और विद्यालयों की स्थापना करवाई।
- धार्मिक सहिष्णुता: शेरशाह सूरी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते थे। उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और अपने साम्राज्य में हिंदू और मुसलमानों के बीच सद्भाव बनाए रखा।
दुर्भाग्य से, शेरशाह सूरी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में बहुत अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। इतिहासकारों को प्राचीन ग्रंथों और लेखों से उनके कारनामों और शासन के बारे में तो बहुत कुछ पता चलता है, लेकिन उनके निजी जीवन की झलकियाँ कम ही मिलती हैं।
हालाँकि, उपलब्ध जानकारी के आधार पर हम शेरशाह सूरी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में कुछ बिंदुओं का उल्लेख कर सकते हैं:
नाम: उनका मूल नाम फरीद खान था।
पारिवारिक पृष्ठभूमि: वह बिहार के सासाराम के एक जमींदार हसन खान सूरी के पुत्र थे।
शिक्षा: माना जाता है कि उन्होंने युवावस्था में जौनपुर दरबार में रहते हुए शिक्षा प्राप्त की होगी। जहाँ उन्होंने प्रशासनिक कार्यों की भी बारीकियाँ सीखीं।
विवाह: उनके विवाह और संतान के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है।
रुचि: यह माना जाता है कि वह युद्ध कौशल और रणनीति में निपुण थे।
शेरशाह सूरी: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. शेरशाह सूरी को यह उपाधि कैसे मिली?
शेरशाह सूरी को मूल रूप से फरीद खान के नाम से जाना जाता था। युद्ध में एक शेर को अकेले मारने के कारण उन्हें "शेरशाह" की उपाधि मिली।
2. शेरशाह सूरी ने किस पर शासन किया?
शेरशाह सूरी ने 1540 से 1545 ईस्वी तक मुख्य रूप से उत्तर भारत पर शासन किया। उनके साम्राज्य में वर्तमान समय का बिहार, बंगाल, दिल्ली और आगरा जैसे क्षेत्र शामिल थे।
3. शेरशाह सूरी मुगलों के मित्र थे या शत्रु?
शेरशाह सूरी मुगलों के शत्रु थे। उन्होंने बाबर और हुमायूं को युद्धों में पराजित किया और मुगल साम्राज्य को कमजोर कर दिया।
4. ग्रैंड ट्रंक रोड किसने बनवाया था?
हालांकि ग्रैंड ट्रंक रोड का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन शेरशाह सूरी ने इसका जीर्णोद्धार और विस्तार करवाया। इसे उन्होंने "सड़क-ए-आज़म" या "सड़क बादशाही" के नाम से जाना जाता था।
5. शेरशाह सूरी ने कौन सा सिक्का जारी किया था?
शेरशाह सूरी ने चांदी का एक नया सिक्का "मोहर" जारी किया था। यह सिक्का अपनी शुद्धता के लिए प्रसिद्ध था।
6. शेरशाह सूरी की मृत्यु कैसे हुई?
इतिहासकारों के अनुसार, शेरशाह सूरी की मृत्यु कालिंजर के दुर्ग की घेराबंदी के दौरान धनुष की डोर खींचने के कारण लगी चोट के बाद हुए संक्रमण से हुई थी।
7. शेरशाह सूरी का मकबरा कहाँ स्थित है?
शेरशाह सूरी का भव्य मकबरा बिहार के सासाराम में स्थित है। यह भारतीय-इस्लामिक स्थापत्य कला का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है।
8. शेरशाह सूरी को भारतीय इतिहास में क्यों याद किया जाता है?
शेरशाह सूरी को एक कुशल प्रशासक, साहसी योद्धा और दूरदृष्टि रखने वाले शासक के रूप में जाना जाता है। उन्हें उनके सुधारों के लिए याद किया जाता है, जिनमें दाम-शिकस्त, मजबूत सेना का निर्माण, सड़क व्यवस्था का विकास और कुशल प्रशासनिक व्यवस्था शामिल हैं।
शेरशाह सूरी के बारे में और रोचक सवाल
यहाँ शेरशाह सूरी के बारे में कुछ और अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दिए गए हैं, जो ऊपर बताए गए सवालों से थोड़े अलग हैं:
1. शेरशाह सूरी धार्मिक रूप से कौन थे?
हालांकि उनके शासन में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होता था, लेकिन स्पष्ट तौर पर यह बता पाना मुश्किल है कि वह स्वयं किस धर्म को मानते थे। इतिहासकारों का मानना है कि वह शायद सुन्नी मुसलमान रहे होंगे।
2. क्या शेरशाह सूरी ने कोई युद्ध हारे भी थे?
जी हां, शेरशाह सूरी एक महान योद्धा जरूर थे, लेकिन उन्होंने सभी युद्ध नहीं जीते थे। उदाहरण के लिए, 1539 ईस्वी में कन्नौज की लड़ाई में उन्हें बहादुर शाह गुजराती से हार का सामना करना पड़ा था।
3. शेरशाह सूरी की जासूसी व्यवस्था "बारिद" के बारे में कुछ और बताएं।
"बारिद" व्यवस्था एक कुशल जासूसी तंत्र था। इसमें घुड़सवार और पैदल जासूस पूरे साम्राज्य में फैले हुए थे। ये गुप्त रूप से सूचनाएं एकत्र करते थे और उन्हें शेरशाह सूरी तक पहुंचाते थे। इससे विद्रोहों को रोका जा सकता था और साम्राज्य के विभिन्न भागों में हो रही गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती थी।
4. शेरशाह सूरी की शिक्षा व्यवस्था कैसी थी?
शेरशाह सूरी शिक्षा को भी बढ़ावा देते थे। उन्होंने मदरसों और विद्यालयों की स्थापना करवाई। इन शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ प्रशासन, युद्ध कौशल और गणित आदि विषयों को भी पढ़ाया जाता था।
5. शेरशाह सूरी के किन कार्यों का प्रभाव बाद के शासकों पर भी पड़ा?
शेरशाह सूरी के कई कार्यों का प्रभाव बाद के शासकों पर भी पड़ा। उदाहरण के लिए, उनके द्वारा शुरू की गई दाम-शिकस्त व्यवस्था को बाद में अकबर ने भी अपनाया। इसी प्रकार सड़क व्यवस्था और मजबूत सेना के निर्माण पर भी बाद के शासकों ने ध्यान दिया।