छिपकलियों के बारे में वैज्ञानिक रोचक तथ्य! Scientific and Interesting facts About Lizards
छिपकलियां, जिन्हें हम अक्सर दीवारों पर या पेड़ों पर इधर-उधर भागते हुए देखते हैं, वैज्ञानिक दृष्टि से, ये सरीसृप (Reptilia) वर्ग से संबंधित प्राणी हैं। ये ठंडे खून वाले प्राणी हैं, लेकिन, क्या आप जानते हैं कि छिपकलियों की दुनिया कितनी विविध और अद्भुत है? आइए, छिपकलियों के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं:
रोचक तथ्य By Tathya Tarang, Last Update Thu, 25 July 2024, Share via
छिपकलियों के बारे में वैज्ञानिक रोचक तथ्य
छिपकलियों की अनेक प्रजातियां: दुनिया भर में छिपकलियों की लगभग 6,000 से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. ये विभिन्न आकार, रंग और आकारों में पाई जाती हैं. कुछ छोटी छिपकलियां तो आपकी उंगली के नाखून जितनी ही छोटी हो सकती हैं, वहीं दूसरी ओर इगुआना (Iguana) जैसी छिपकलियां काफी बड़े आकार की भी हो सकती हैं.
गिरगिट - रंग बदलने का हुनर: छिपकलियों की सबसे खास बात उनमें से कुछ प्रजातियों में पाया जाने वाला रंग बदलने का हुनर है. गिरगिट (Chameleon) इसका सबसे अच्छा उदाहरण है. ये अपने आसपास के वातावरण के हिसाब से अपना रंग बदल सकती हैं, जो उन्हें शिकारियों से बचने में मदद करता है.
पुन: जन्म लेने वाली पूंछ: छिपकलियों की एक और खास क्षमता है अपनी पूंछ को दुश्मन पर छोड़ देना. यह पूंछ कुछ समय के लिए तड़पती रहती है, जिससे शिकारी का ध्यान भटक जाता है और असली छिपकली भाग निकलने में सफल हो जाती है. बाद में छिपकली की खोई हुई पूंछ फिर से उग आती है!
छिपकलियों के पैर और उनकी चाल: छिपकलियों के पैरों की बनावट काफी दिलचस्प होती है. उनके पैरों की उंगलियों में छोटे छोटे बाल होते हैं, जो उन्हें दीवारों पर चढ़ने में मदद करते हैं. ये बाल किसी भी सतह पर जकड़ जाने में सक्षम होते हैं, जिससे छिपकली सीधी दीवार पर भी चढ़ सकती है.
कुछ छिपकलियां उड़ भी सकती हैं: यह सुनकर आपको शायद थोड़ा अजीब लगे, लेकिन दुनिया में कुछ ऐसी छिपकलियां भी पाई जाती हैं, जो उड़ सकती हैं. इनको उड़ने वाली छिपकली (Flying Lizard) के नाम से जाना जाता है. ये पेड़ से पेड़ पर जाने के लिए अपनी त्वचा की चौड़ी तह को फैलाकर एक झिल्ली बना लेती हैं, जिसकी मदद से वे हवा में कुछ दूर तक ग्लाइड कर सकती हैं.
तो देखा आपने, छिपकलियां जितनी छोटी दिखाई देती हैं, उतनी ही अद्भुत भी हैं. प्रकृति ने इन्हें कई अनोखे गुणों से सजाया है. अगली बार जब आप किसी छिपकली को देखें, तो गौर से जरूर देखें, आप शायद उनके बारे में कुछ नया जान पाएं!
छिपकलियों के अनजाने और रोमांचकारी तथ्य
छिपकलियों को हम अक्सर घरों में या पेड़ों पर देखते हैं, लेकिन उनकी दुनिया रहस्यों से भरी हुई है. आइए जानते हैं छिपकलियों के कुछ अनसुने और रोमांचकारी तथ्य:
मांसाहारी से शाकाहारी: यह जानकर आपको हैरानी होगी कि छिपकलियों की दुनिया में भोजन की आदतों को लेकर बहुत विविधता है. कुछ छिपकलियां तो पूरी तरह से मांसाहारी होती हैं और छोटे कीड़े-मकोड़ों का शिकार करती हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ प्रजातियां पूरी तरह से शाकाहारी होती हैं और सिर्फ फल, फूल और पत्तियां खाती हैं.
रेगिस्तान में रहने वाली मछली खाने वाली छिपकली: क्या आप रेगिस्तान में मछली खाने वाली छिपकली के बारे में जानते हैं? मॉन्स्टर लेटेलेट (Monster Leathery) नाम की यह छिपकली ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तानी इलाकों में पाई जाती है. यह अपने से कई गुना बड़ी मछलियों का शिकार कर सकती है.
अपने ही बच्चों की दाई: कोमोदो ड्रैगन (Komodo Dragon) दुनिया की सबसे बड़ी छिपकली है. मगर, क्या आप जानते हैं कि ये खतरनाक दिखने वाली छिपकलियां मातृत्व की भावना से भी ओतप्रोत होती हैं? ये अपने अंडों को दबाकर उन्हें गर्म रखती हैं और अंडों से बच्चे निकलने के बाद उनकी रक्षा भी करती हैं.
छिपकली का छठा sense: कुछ खास छिपकलियों में एक अतिरिक्त संवेदी अंग पाया जाता है, जिसे "थर्ड आई" (Third Eye) भी कहा जाता है. यह आमतौर पर उनके सिर के ऊपर पाया जाता है और पराबैंगनी किरणों को देखने में मदद करता है, जो उन्हें सूर्य के प्रकाश के अनुसार अपना शरीर का तापमान नियंत्रित करने में मदद करता है.
- आवाज सुनाई ना देना फिर भी संचार: आपको शायद ये जानकर ताज्जुब होगा कि छिपकलियां जन्म से ही गूंगी होती हैं. ये कोई आवाज नहीं निकाल सकतीं. फिर भी, आपस में बात करने के लिए ये बॉडी लैंग्वेज और रंग बदलने का सहारा लेती हैं.
छिपकलियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
विशेषता | विवरण |
प्रजातियों की संख्या | लगभग 6,000 से अधिक |
आकार | बहुत छोटी से लेकर इगुआना जैसी बड़ी छिपकलियां |
रंग बदलना | गिरगिट जैसी कुछ प्रजातियों की खासियत |
पूंछ छोड़ना | शिकारियों को भटकाने का तरीका |
पैरों की बनावट | दीवारों पर चढ़ने में मददगार छोटे बाल |
उड़ने वाली छिपकली | त्वचा की तह से झिल्ली बनाकर हवा में ग्लाइड करती हैं |
भोजन की आदतें | मांसाहारी और शाकाहारी दोनों |
रेगिस्तानी मछली खाने वाली छिपकली | ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान में पाई जाती है |
कोमोदो ड्रैगन का मातृत्व भाव | अंडों को गर्म रखना और बच्चों की रक्षा करना |
अतिरिक्त संवेदी अंग | कुछ प्रजातियों में पाया जाने वाला "थर्ड आई" पराबैंगनी किरणों को देखने में मदद करता है |
संवाद | आवाज न निकालने के बाद भी बॉडी लैंग्वेज और रंग बदलने से संचार |
त्वचा बदलना | शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और सुरक्षा के लिए "एक्सडिसिस (Ecdysis)" प्रक्रिया |
आंखों की बनावट | तीन पलकें - ऊपर, नीचे और एक पारदर्शी पलक |
पुनरुत्पादन प्रक्रिया | कुछ प्रजातियों में "पार्थेनोजेनेसिस" |
कर्ण झिल्ली | बाहरी रूप से नहीं दिखती, आंतरिक झिल्ली जमीन से कंपन और कुछ ध्वनि तरंगों को महसूस करती है |
शरीर का तापमान नियंत्रण | ठंडे खून वाले जीव (Cold-blooded animals), वातावरण के अनुसार धूप सेंकना या छाया में रहना |
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छिपकलियों के वैज्ञानिक रोचक तथ्य
छिपकलियां भले ही आम दिखती हों, लेकिन इनके शरीर में विज्ञान का कमाल छिपा है. आइए देखें कुछ ऐसे ही रोचक वैज्ञानिक तथ्य:
त्वचा बदलने का चमत्कार: छिपकलियों की त्वचा उनकी सबसे बड़ी खासियतों में से एक है. यह उनकी बाहरी सुरक्षा कवच का काम करती है साथ ही शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करती है. इनकी एक खासियत ये है कि ये समय-समय पर अपनी पुरानी त्वचा को निकाल देती हैं और एक नई त्वचा विकसित कर लेती हैं. यह प्रक्रिया "एक्सडिसिस (Ecdysis)" कहलाती है.
आँखों की शानदार बनावट: छिपकलियों की आंखों की बनावट मनुष्यों से काफी अलग होती है. इनकी आँखों में तीन पलकें होती हैं. ऊपर और नीचे की पलकें तो हमारी तरह होती हैं, लेकिन तीसरी पलक पारदर्शी होती है और यह आंख को लगातार नम रखने का काम करती है. साथ ही यह सोते समय भी आंख की सुरक्षा करती है.
पुनरुत्पादन की अनोखी प्रक्रिया: कुछ खास छिपकलियों में एक अनोखी पुनरुत्पादन प्रक्रिया पाई जाती है, जिसे "पार्थेनोजेनेसिस (Parthenogenesis)" कहते हैं. इसमें मादा छिपकली बिना नर के सहयोग के ही बच्चे पैदा कर सकती है. यह प्रकृति का एक कमाल का तरीका है जिससे पर्यावरण में अनुकूल परिस्थिति में भी छिपकलियों का वंश चलता रहता है.
कर्ण झिल्ली का अभाव और सुनने की शक्ति: छिपकलियों के कानों में बाहरी रूप से दिखने वाली कर्ण झिल्ली नहीं होती है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ये कुछ नहीं सुन सकतीं. दरअसल, इनके सिर के निचले हिस्से में कपाल खोपड़ी से जुड़ी हुई एक आंतरिक कर्ण झिल्ली होती है, जो जमीन से आने वाले कंपनों को महसूस कर सकती है. इसी तरह वे ध्वनि तरंगों का भी कुछ हद तक पता लगा लेती हैं.
शरीर का तापमान नियंत्रण: छिपकलियां ठंडे खून वाले जीव (Cold-blooded animals) हैं. मतलब, इनका शरीर का तापमान अपने आप नियंत्रित नहीं हो सकता है. इसलिए ये अपने शरीर का तापमान वातावरण के हिसाब से नियंत्रित करने के लिए धूप सेंकती हैं या फिर छाया में चली जाती हैं.
छिपकलियों के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. दुनिया में कितनी प्रकार की छिपकलियां पाई जाती हैं?
दुनिया भर में लगभग 6,000 से भी ज्यादा प्रजातियों की छिपकलियां पाई जाती हैं.
2. क्या सभी छिपकलियां रंग बदल सकती हैं?
नहीं, सभी छिपकलियां रंग नहीं बदल सकतीं. गिरगिट एक ऐसा उदाहरण है जो अपने आसपास के माहौल के हिसाब से अपना रंग बदल लेती है.
3. छिपकली के शरीर पर जो कांटे होते हैं, उनका क्या काम है?
छिपकलियों के शरीर पर पाए जाने वाले कांटे असल में उनकी त्वचा का ही एक रूपांतरण हैं. ये कांटे उन्हें शिकारियों से बचने में मदद करते हैं.
4. क्या छिपकली के काटने से जहर फैलता है?
ज्यादातर छिपकलियां जहरीली नहीं होती हैं. उनकी लार में हल्के एंटीबैक्टीरियल गुण हो सकते हैं, लेकिन ये इंसानों के लिए खतरा नहीं होते.
5. घर में छिपकली आने से क्या शुभ-अशुभ होता है?
यह एक विश्वास की बात है. वैज्ञानिक रूप से छिपकली के घर आने का कोई शुभ या अशुभ संकेत नहीं होता है.