आकाश का नीला हीरा: नीलकंठ के अद्भुत राज! अनोखे और रोचक तथ्य The Indian Roller Neelkanth Facts

नीलकंठ, ये नाम सुनते ही मन में एक खूबसूरत चिड़िया की तस्वीर सी बन जाती है, जिसके गले में मानो नीला आसमान समा गया हो. आज हम इसी खास चिड़िया, नीलकंठ के बारे में जानेंगे इसके पीछे छिप...

आकाश का नीला हीरा: नीलकंठ के अद्भुत राज!...
आकाश का नीला हीरा: नीलकंठ के अद्भुत राज!...


1. नीला गले का रहस्य

नीलकंठ की सबसे खास पहचान है इसका नीला गला. लेकिन ये नीलापन कोई रंग नहीं, बल्कि रोशनी के परावर्तन का कमाल है! दरअसल, नीलकंठ के गले की त्वचा में खास तरह की कोशिकाएं होती हैं, जो सूर्य की रोशनी को बिखेरकर नीला रंग उत्पन्न करती हैं. ये रंग देखने वाले के कोण के अनुसार बदलता रहता है, जिससे लगता है मानो नीलकंठ का गला जादू से अपना रंग बदल रहा हो!

2. हवा में नाट्यकर्मी

नीलकंठ को सिर्फ खूबसूरत ही नहीं कहा जा सकता, बल्कि ये हवा में कमाल के करतब दिखाने में भी माहिर हैं। शिकार करते समय ये हवा में लटक कर कीटों को निशाना बनाते हैं, कभी हवा में उलट-पुलट घूमते हैं, तो कभी तीर की रफ़्तार से नीचे झपट्टा मारते हैं. इनका ये हवाई नृत्य देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता है!

3. दशहरे का शुभ संकेत

हिन्दू धर्म में नीलकंठ को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। दशहरे के दिन नीलकंठ का दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है। लोग मानते हैं कि इस दिन नीलकंठ का दिखना विजय और सफलता का संकेत देता है।

4. नीलकंठ खाने के मामले में भी अनोखे

नीलकंठ कीट-पतंगों के अलावा छिपकलियां, सांप, यहां तक कि छोटे मेढक भी खा जाते हैं। ये जमीन पर शिकार की तलाश करते हैं और फिर हवा में उछलकर उन्हें पकड़ लेते हैं। इनका ये शिकार करने का तरीका वाकई देखने लायक होता है!

5. संगीत प्रेमी नीलकंठ

कभी गौर किया है कि नीलकंठ किस तरह की आवाज निकालते हैं? ये एक तेज और ऊँची सीटी जैसी आवाज निकालते हैं। ये आवाज न सिर्फ आपस में संवाद के लिए इस्तेमाल करते हैं, बल्कि माना जाता है कि ये संगीत का भी आनंद लेते हैं! अगर कभी आपको बांसुरी या कोई मीठा संगीत सुनाते हुए नीलकंठ की आवाज सुनाई दे, तो शायद वो भी आपके साथ संगीत का मज़ा ले रहा हो!

6. नीलकंठ घोंसला बनाने में निपुण शिल्पी

नीलकंठ न सिर्फ शिकार करने में माहिर होते हैं, बल्कि घोंसला बनाने में भी कमाल का हुनर रखते हैं। ये पेड़ों की टहनियों पर छोटी टहनियों, सूखे पत्तों और घास की मदद से एक कप के आकार का मजबूत घोंसला बनाते हैं। अक्सर ये घोंसले बेल के पौधों पर भी देखे जा सकते हैं।

7. नीलकंठ पौराणिक कथाओं से जुड़ाव

नीलकंठ को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान विष निकला, तो भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में रख लिया। इस जहर के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है।

8. पर्यावरण के रखवाले नीलकंठ

नीलकंठ सिर्फ खूबसूरती और धार्मिक मान्यताओं से ही महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि ये पर्यावरण के संतुलन में भी अहम भूमिका निभाते हैं। ये खेतों में कीट-पतंगों का नियंत्रण रखते हैं, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, नीलकंठ को किसानों का मित्र भी माना जाता है। साथ ही, ये जहरीले कीड़े-मकोड़े और सांपों को भी खाते हैं, जिससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है।

9. नीलकंठ के लिए खतरे

आजकल जंगलों की कटाई और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से नीलकंठों के रहने का ठिकाना कम होता जा रहा है। वनों की कटाई से उनके घोंसले बनाने के लिए उपयुक्त पेड़ कम हो रहे हैं। साथ ही, कीटनाशकों के कारण इनके भोजन स्रोत कम हो रहे हैं, जिससे इनके अस्तित्व को खतरा है। इसके अलावा, कुछ इलाकों में इन्हें पालतू के रूप में पकड़ने का चलन भी देखा जाता है, जो कि अवैध (illegal) है।

10. नीलकंठ का संरक्षण कैसे करें

नीलकंठों के संरक्षण के लिए हम कुछ आसान से कदम उठा सकते हैं:

  • वृक्षारोपण करना: पेड़ लगाने से न सिर्फ वातावरण शुद्ध होता है, बल्कि नीलकंठों को रहने का स्थान भी मिलता है।
  • कीटनाशकों का कम से कम प्रयोग: प्राकृतिक कीट नियंत्रण के तरीके अपनाने से न सिर्फ फसलों को फायदा होता है, बल्कि नीलकंठों के भोजन स्रोत भी सुरक्षित रहते हैं।
  • नीलकंठ को पालतू के रूप में न पकड़ें: नीलकंठ जंगली पक्षी हैं और इन्हें पालतू बनाना अवैध है। साथ ही, जंगल से दूर रहने पर ये स्वस्थ नहीं रह पाते।
  • जागरूकता फैलाना: अपने आसपास के लोगों को नीलकंठ के महत्व और इनके संरक्षण के तरीकों के बारे में बताएं।

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