इंजीनियरिंग का कमाल! हावड़ा ब्रिज के अनोखे तथ्य! Unique facts about Howrah Bridge
हावड़ा ब्रिज के अनोखे तथ्य: कोलकाता की पहचान मानी जाने वाली हावड़ा ब्रिज, सिर्फ एक पुल नहीं बल्कि इंजीनियरिंग का कमाल और इतिहास का गवाह है. आइये जानते हैं इस खास पुल से जुड़े कुछ अ...
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रोचक तथ्य Last Update Mon, 14 October 2024, Author Profile Share via
हावड़ा ब्रिज के अनोखे तथ्य
बिना नट-बोल्ट का पुल: ये बात सुनकर आपको शायद ताज्जुब होगा लेकिन हावड़ा ब्रिज को बनाने में एक भी नट या बोल्ट का इस्तेमाल नहीं किया गया है! इसका निर्माण कैंटिलीवर शैली में किया गया है, जहाँ स्टील के विशाल टुकड़ों को एक दूसरे में फिट किया गया है.
पहला नाम "नया हावड़ा पुल": हालांकि आज हम इसे हावड़ा ब्रिज के नाम से जानते हैं, लेकिन इसे मूल रूप से "नया हावड़ा पुल" (New Howrah Bridge) कहा जाता था. ये नाम इसलिए दिया गया था क्योंकि ये उसी जगह पर बनाया गया था, जहां पहले एक पीपे का पुल हुआ करता था.
- टॉटा स्टील का योगदान: हावड़ा ब्रिज के निर्माण में लगने वाले 26,500 टन स्टील में से 23,500 टन टाटा स्टील द्वारा आपूर्ति किया गया था. भारतीय कंपनी का इस ऐतिहासिक पुल में ये महत्वपूर्ण योगदान था.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी हुआ निर्माण: हालाँकि हावड़ा ब्रिज का निर्माण 1936 में शुरू हुआ था और 1942 में पूरा हुआ था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी इसका निर्माण कार्य जारी रहा. दुश्मन के हवाई हमलों के बावजूद इसे बनाने का काम रुका नहीं था.
उद्घाटन नहीं हुआ!: यह जानकर आपको शायद और भी आश्चर्य होगा कि हावड़ा ब्रिज का औपचारिक उद्घाटन आज तक नहीं हुआ है! इसे 1943 में जनता के लिए खोल दिया गया था, लेकिन कोई उद्घाटन समारोह आयोजित नहीं किया गया.
कवि के नाम पर रखा गया नाम: 1965 में हावड़ा ब्रिज का नाम बदलकर कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के सम्मान में "रवींद्र सेतु" कर दिया गया. लेकिन हावड़ा ब्रिज का नाम आज भी अधिक लोकप्रिय है.
हर रोज़ लाखों का सफर: हावड़ा ब्रिज कोलकाता की जीवन रेखा है. हर रोज़ लगभग 1 लाख गाड़ियां और 1.5 लाख पैदल यात्री इस पुल से होकर गुजरते हैं.
हावड़ा ब्रिज के अनछुए रहस्य
पहला पुल नहीं: जिस जगह पर आज हावड़ा ब्रिज खड़ा है, वहां कभी दूसरा पुल भी हुआ करता था. इसे "पोंटून पुल" कहा जाता था, जो कि नावों को जोड़कर बनाया गया था. 1874 में आये तूफान ने इसे काफी क्षति पहुँचाई थी, जिसके बाद हावड़ा ब्रिज बनाने का फैसला किया गया.
पेंट का राज: आपने देखा होगा कि हावड़ा ब्रिज हमेशा ग्रे रंग में रंगा रहता है. लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था! इस पुल को बनाने के बाद इसे लाल और पीले रंग से रंगा गया था. हालांकि, नम हवा के कारण जल्दी-जल्दी रंग उजड़ने की समस्या को देखते हुए इसे बाद में ग्रे रंग में रंगना शुरू कर दिया गया, जो टिकाऊ है.
छिपा हुआ कमरा: कहा जाता है कि हावड़ा ब्रिज के एक हिस्से में एक गुप्त कमरा है. ब्रिटिश राज के समय इस कमरे का इस्तेमाल गोलाबारूद और अन्य सामानों को छिपाने के लिए किया जाता था. हालांकि, इस दावे के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं.
आत्महत्या का दुखद सच: हावड़ा ब्रिज कोलकाता में आत्महत्या के लिए कुख्यात स्थानों में से एक है. हर साल कई लोग इस पुल से कूदकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेते हैं. इसे रोकने के लिए पुल पर सहायता हेल्पलाइन नंबर लिखे गए हैं और सुरक्षा उपाय भी किए जा रहे हैं.
भूतों की कहानियां: रात के अंधेरे में कभी हावड़ा ब्रिज से गुजरे हैं? कुछ लोगों का दावा है कि उन्होंने यहां अजीब सी आवाजें सुनी हैं या अस्पष्ट आकृतियों को देखा है. हालांकि, ये सिर्फ कहानियां ही हैं, जिनका कोई सच नहीं है.
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