येरुशलम: 5000 साल पुराना इतिहास और रोचक तथ्य! Facts and History of Jerusalem in Hindi

येरुशलम दुनिया के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है, जो यहूदी, ईसाई, और इस्लाम धर्मों का केंद्र है। 5000 साल पुराना यह शहर कई सभ्यताओं, युद्धों और सांस्कृतिक बदलावों का साक...

येरुशलम: 5000 साल पुराना इतिहास और रोचक...
येरुशलम: 5000 साल पुराना इतिहास और रोचक...


येरुशलम का सम्पूर्ण इतिहास

येरुशलम एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से विश्व के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। यह शहर इस्राइल और फिलिस्तीन के मध्य स्थित है और तीन प्रमुख धर्मों – यहूदी, ईसाई और इस्लाम के लिए पवित्र स्थल है। इसके इतिहास की शुरुआत से लेकर आधुनिक समय तक, येरुशलम ने कई युद्ध, विजय, सांस्कृतिक परिवर्तन और धार्मिक संघर्षों का सामना किया है।

येरुशलम का प्रारंभिक इतिहास:

येरुशलम का इतिहास 4000 साल से अधिक पुराना है। पुरातात्विक प्रमाण बताते हैं कि ईसा पूर्व 3000 से 2800 के बीच येरुशलम में लोग निवास कर रहे थे। इस समय यह शहर कनानियों द्वारा बसाया गया था, जो सेमिटिक जातियों में से एक थे। बाइबल के अनुसार, ईसा पूर्व 1000 के आस-पास राजा दाऊद ने येरुशलम को जीतकर इसे यहूदियों की राजधानी बनाया। इसके बाद उनके पुत्र, राजा सोलोमन ने यहाँ प्रथम मंदिर (सोलोमन का मंदिर) का निर्माण किया, जो यहूदी धर्म का प्रमुख स्थल बना।

बाबुली आक्रमण और निर्वासन:

ईसा पूर्व 586 में बाबुल के राजा नेबूकदनेज़र ने येरुशलम पर हमला किया और शहर को नष्ट कर दिया। साथ ही, सोलोमन के मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया और बहुत से यहूदियों को बाबुल निर्वासन में भेज दिया गया। यह येरुशलम के लिए एक बड़ी तबाही थी।

दूसरे मंदिर का निर्माण:

ईसा पूर्व 538 में, फारसी राजा साइरस महान ने यहूदियों को बाबुल से वापस लौटने की अनुमति दी। इसके बाद, यहूदियों ने येरुशलम में दूसरा मंदिर बनाया, जो ईसा पूर्व 516 में पूर्ण हुआ। यह दूसरा मंदिर यहूदी धर्म के लिए पुनः पवित्र स्थल बन गया।

यूनानी और रोमन शासन:

ईसा पूर्व 332 में, सिकंदर महान ने येरुशलम पर अधिकार कर लिया। उसके बाद येरुशलम ने कई बार सत्ता परिवर्तन देखे, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ जब ईसा पूर्व 63 में रोमनों ने येरुशलम पर कब्जा कर लिया। रोमन शासन के दौरान, हेरोड महान (ईसा पूर्व 37-4) ने शहर का पुनर्निर्माण किया और दूसरे मंदिर का विस्तार किया। ईसा मसीह का जन्म इसी समय के आसपास हुआ था, जिससे येरुशलम ईसाई धर्म का एक प्रमुख स्थल बन गया।

यहूदी-रोमन युद्ध और मंदिर का विनाश:

ईस्वी सन् 70 में यहूदियों ने रोमन शासन के खिलाफ विद्रोह किया। इस विद्रोह को दबाने के लिए रोमन सेना ने येरुशलम पर हमला किया और दूसरा मंदिर नष्ट कर दिया। यह घटना यहूदी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई क्योंकि इसके बाद यहूदी धर्म के कई अनुष्ठानों का अंत हो गया।

ईसाईकरण और बीजान्टिन काल:

रोमन सम्राट कॉन्स्टेंटाइन ने ईसवी 4वीं शताब्दी में ईसाई धर्म को आधिकारिक धर्म घोषित किया। येरुशलम, जो पहले यहूदी और रोमन संस्कृति का केंद्र था, अब ईसाई धर्म का पवित्र स्थल बन गया। कॉन्स्टेंटाइन की माँ, हेलेना ने 326 ईस्वी में येरुशलम का दौरा किया और कई पवित्र स्थलों का निर्माण किया, जिनमें चर्च ऑफ द होली सेपल्चर प्रमुख है, जिसे ईसाई धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है।

इस्लामी विजय:

7वीं शताब्दी में, इस्लाम का उदय हुआ। 638 ईस्वी में खलीफा उमर इब्न अल-खत्ताब ने येरुशलम पर विजय प्राप्त की। इस्लाम धर्म के लिए येरुशलम का महत्व बढ़ गया क्योंकि इस्लामिक मान्यता के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद ने यहीं से स्वर्ग की यात्रा की थी। यहाँ अल-अक्सा मस्जिद और डोम ऑफ द रॉक का निर्माण हुआ, जो इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल माने जाते हैं।

क्रूसेड और मुस्लिम शासकों के बीच संघर्ष:

11वीं शताब्दी में, ईसाई यूरोप ने येरुशलम को मुस्लिम शासन से मुक्त करने के लिए क्रूसेड का आयोजन किया। 1099 में, पहले क्रूसेड ने येरुशलम पर विजय प्राप्त की और इसे क्रूसेडर राज्य की राजधानी बनाया। हालांकि, 1187 में मुस्लिम नेता सलादीन ने येरुशलम को पुनः मुस्लिम शासन में ले लिया। इसके बाद कई बार येरुशलम पर ईसाई और मुस्लिम शासकों के बीच संघर्ष होता रहा।

उस्मानी साम्राज्य:

1517 में, येरुशलम उस्मानी साम्राज्य का हिस्सा बन गया और लगभग 400 वर्षों तक उस्मानियों के नियंत्रण में रहा। उस्मानी शासन के दौरान शहर में कई सुधार और पुनर्निर्माण कार्य किए गए। हालांकि, येरुशलम का धार्मिक महत्व बना रहा और विभिन्न धर्मों के तीर्थयात्री यहाँ आते रहे।

ब्रिटिश शासन और आधुनिक युग:

प्रथम विश्व युद्ध के बाद, 1917 में ब्रिटिश सेनाओं ने येरुशलम पर कब्जा कर लिया। इसके बाद, ब्रिटिश शासन के तहत यहूदी और अरब समुदायों के बीच तनाव बढ़ने लगा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, येरुशलम के भविष्य को लेकर यहूदी और अरबों के बीच संघर्ष और भी बढ़ गया। 1948 में इस्राइल के गठन के साथ, येरुशलम को लेकर विवाद और भी जटिल हो गया।

आधुनिक समय:

1967 के छह-दिन युद्ध में इस्राइल ने पूर्वी येरुशलम को अपने कब्जे में ले लिया, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा विवादित क्षेत्र माना जाता है। आज भी येरुशलम का भविष्य विवादित बना हुआ है। इसे इस्राइल अपनी राजधानी मानता है, जबकि फिलिस्तीनी इसे अपनी भविष्य की राजधानी मानते हैं।

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