खजुराहो का इतिहास और रोचक तथ्य! History and Facts about Khajuraho

खजुराहो, मध्य प्रदेश का एक अद्भुत स्थल, विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है। इस लेख में हम खजुराहो के इतिहास, धार्मिक महत्व, शिल्पकला और इसके पीछे की रोचक कहानियों पर चर्चा करेंगे।

खजुराहो का इतिहास और रोचक तथ्य! History...
खजुराहो का इतिहास और रोचक तथ्य! History...


खजुराहो मंदिर के बारे में अनजाने और रोचक तथ्य

1. युनेस्को विश्व धरोहर – खजुराहो के मंदिरों को 1986 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई थी।

2. कला और वास्तुकला का संगम – खजुराहो के मंदिरों में नग्न मूर्तियों से भरी कला और भारतीय वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।

3. निर्माण काल – खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 से 1050 ईस्वी के बीच चंदेल राजाओं द्वारा किया गया था।

4. सिर्फ 10% कामुक मूर्तियां – माना जाता है कि मंदिरों में से सिर्फ 10% मूर्तियां ही कामुकता दर्शाती हैं, बाकी धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन से जुड़ी हैं।

5. खजुराहो का नाम – कहा जाता है कि खजुराहो का नाम "खजूर" (खजूर के पेड़) से लिया गया है, जो इस क्षेत्र में बहुतायत में होते थे।

6. 85 मंदिरों का समूह – मूल रूप से खजुराहो में 85 मंदिर थे, जिनमें से अब केवल 25 ही बचे हैं।

7. चंदेल राजवंश की शक्ति – ये मंदिर चंदेल राजवंश की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक थे, जिनका पतन 12वीं शताब्दी में हुआ।

8. विभिन्न धर्मों का समावेश – खजुराहो के मंदिर हिंदू और जैन धर्म के आदर्शों को दर्शाते हैं, जो धार्मिक सहिष्णुता का उदाहरण हैं।

9. वातावरणीय प्रभाव – यहां की मूर्तियों में नारी सौंदर्य और जीवन की विभिन्न अवस्थाओं को बड़ी ही सूक्ष्मता से उकेरा गया है, जिनमें से कई चित्र मानव जीवन के सुख और दुख का प्रतीक हैं।

10. लोकप्रिय तीर्थ स्थल – खजुराहो मंदिर भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण केंद्र हैं और हर साल लाखों लोग यहां आते हैं।

11. अद्वितीय शिल्पकला – इन मंदिरों की शिल्पकला इतनी बारीक है कि पत्थर की मूर्तियां असल जीवन की तरह लगती हैं।

12. कामुक मूर्तियों का उद्देश्य – इन मूर्तियों का उद्देश्य मानव जीवन के चार पुरुषार्थों – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – को दर्शाना था।

13. खजुराहो का संगीत महोत्सव – हर साल खजुराहो में एक भव्य संगीत महोत्सव आयोजित होता है, जिसमें भारत के विभिन्न हिस्सों से कलाकार भाग लेते हैं।

14. चंदेलों का पतन और मंदिरों का संरक्षण – मुस्लिम आक्रमण के बाद, खजुराहो के मंदिरों को कई शताब्दियों तक उपेक्षित छोड़ दिया गया, लेकिन जंगल ने इन्हें ढककर सुरक्षित रखा।

15. वीरांगना रानी दुर्गावती – कहा जाता है कि चंदेल वंश की वीरांगना रानी दुर्गावती ने खजुराहो के मंदिरों की देखभाल और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

16. अध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र – खजुराहो के मंदिरों को आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, जहाँ ध्यान और योग का अभ्यास करने वाले लोग सकारात्मक ऊर्जा महसूस करते हैं।

17. निर्वाण का प्रतीक – जैन मंदिरों में दिखाए गए तीर्थंकरों की मूर्तियां निर्वाण और मोक्ष की यात्रा को दर्शाती हैं।

18. चौंकाने वाली वास्तु संरचना – मंदिरों के निर्माण में बिना किसी गारे का उपयोग किया गया था, पत्थर के टुकड़ों को इस प्रकार जोड़ा गया कि वे अपने आप टिके रहें।

19. ध्यान के लिए उत्तम स्थान – यहां के मंदिरों को ध्यान और योग के लिए भी उत्तम स्थान माना जाता है, जहाँ प्राचीन समय में साधु-संन्यासी ध्यान करते थे।

20. वातावरणीय संरक्षण – खजुराहो के मंदिरों को आधुनिक समय में भारत सरकार द्वारा विशेष संरक्षण के तहत रखा गया है, ताकि उनकी ऐतिहासिक महत्ता और संरचना बनी रहे।

खजुराहो का इतिहास

खजुराहो का इतिहास मध्यकालीन भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह स्थान मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है और इसे चंदेल राजवंश द्वारा 950 से 1050 ईस्वी के बीच विकसित किया गया था। चंदेल, जो कि एक शक्तिशाली राजवंश था, ने अपने साम्राज्य के तहत कई भव्य मंदिरों का निर्माण किया।

खजुराहो के मंदिरों का निर्माण राजा यशोवर्मन और उनके उत्तराधिकारियों के शासनकाल के दौरान हुआ। इन मंदिरों को निर्माण में उत्कृष्ट शिल्पकला, वास्तुकला और कलात्मकता का विशेष ध्यान दिया गया। चंदेलों ने इन मंदिरों में न केवल धार्मिक मूर्तियों का निर्माण किया, बल्कि मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी दर्शाया।

खजुराहो का क्षेत्र विभिन्न धार्मिक गतिविधियों का केंद्र था, जिसमें हिंदू और जैन धर्म दोनों का समावेश था। जैन मंदिरों की स्थापत्य कला भी उतनी ही समृद्ध है, जितनी कि हिंदू मंदिरों की। इस क्षेत्र में कला और संस्कृति का विकास हुआ और यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया।

12वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमण के बाद, खजुराहो के मंदिरों को उपेक्षित कर दिया गया। हालांकि, ये मंदिर सदियों तक जंगल में छिपे रहे, जिससे उनकी संरचना में विशेष संरक्षण हुआ।

19वीं सदी के अंत में, जब ब्रिटिश अधिकारियों ने इन मंदिरों की खोज की, तब इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता का पता चला। इसके बाद, खजुराहो को पुनर्जीवित किया गया और इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया।

आज, खजुराहो न केवल भारतीय कला और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह वैश्विक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र भी बन गया है, जो हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। खजुराहो का इतिहास उसकी कला, संस्कृति और धार्मिकता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है, जो आज भी हमें प्रेरित करता है।

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