प्रकृति के सफाईकर्मी और पौराणिक नायक: गिद्ध के बारे में जानकारी और रोचक तथ्य! Facts about Vulture
Vulture Facts in Hindi: गिद्ध न केवल हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के सफाईकर्मी हैं, बल्कि पौराणिक और सांस्कृतिक धरोहर में भी इनका महत्वपूर्ण स्थान है। इस लेख में गिद्धों से जुड़े अनजाने और रोचक तथ्यों, उनके पर्यावरणीय महत्व, और भारतीय महाकाव्यों में उनकी प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
रोचक तथ्य By Tathya Tarang, Last Update Tue, 10 September 2024, Share via
प्रकृति के सफाईकर्मी और पौराणिक नायक: गिद्ध
गिद्ध, जो हमारी धरती के महत्वपूर्ण पक्षियों में से एक हैं, प्रकृति के सफाईकर्मी कहे जाते हैं। इनका मुख्य कार्य मरे हुए जानवरों के शवों को खाकर वातावरण को स्वच्छ बनाए रखना है। गिद्धों की अनूठी शारीरिक संरचना और भोजन करने की क्षमता इन्हें इस काम के लिए खास बनाती है।
गिद्धों की शारीरिक विशेषताएँ
गिद्धों के पास तेज नजर और शक्तिशाली पंख होते हैं, जो उन्हें आसमान में ऊँची उड़ान भरने में मदद करते हैं। इनके पंजे और चोंच मजबूत होते हैं, ताकि ये आसानी से मरे हुए जानवरों के मांस को खा सकें। गिद्ध अपने भोजन को खाने के बाद मांस के टुकड़ों को अधिक समय तक पचाने में सक्षम होते हैं, जिससे वातावरण में फैलने वाले बैक्टीरिया और बीमारियों का खतरा कम होता है।
पर्यावरण में गिद्धों का महत्व
गिद्धों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका प्रकृति के सफाईकर्मी के रूप में है। ये मरे हुए जानवरों के शवों को खाकर वातावरण को स्वच्छ रखते हैं, जिससे संक्रामक बीमारियाँ फैलने की संभावना कम हो जाती है। अगर गिद्ध न हों, तो इन शवों के कारण वातावरण में बैक्टीरिया और विषाणु तेजी से फैल सकते हैं, जिससे जानवरों और मनुष्यों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है।
गिद्धों का संरक्षण: एक चुनौती
पिछले कुछ दशकों में गिद्धों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। भारत में, विशेष रूप से 'डाइक्लोफेनाक' नामक दवा के उपयोग से गिद्धों की कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं। यह दवा मवेशियों के इलाज में उपयोग होती है, लेकिन जब गिद्ध इन मवेशियों का मांस खाते हैं, तो उनकी किडनी फेल हो जाती है और उनकी मौत हो जाती है। गिद्धों के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे गिद्धों के लिए सुरक्षित क्षेत्रों का निर्माण और डाइक्लोफेनाक के बजाय सुरक्षित दवाओं का उपयोग।
गिद्धों को बचाने के उपाय
डाइक्लोफेनाक का प्रतिबंध: गिद्धों को सुरक्षित रखने के लिए सरकारों और पर्यावरण संगठनों ने इस दवा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
जागरूकता अभियान: लोगों को गिद्धों के महत्व और उनकी संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है।
गिद्ध पुनरुद्धार केंद्र: देश में कई जगहों पर गिद्धों के पुनरुद्धार केंद्र खोले गए हैं, जहाँ इनकी देखभाल और प्रजनन किया जाता है।
गिद्ध प्रकृति के अद्वितीय उपहार हैं, जो हमारे पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें उनके संरक्षण और सुरक्षा के लिए गंभीर कदम उठाने की जरूरत है, ताकि यह अनमोल पक्षी हमारे साथ लंबे समय तक रह सकें।
गिद्धों की प्रमुख प्रजातियाँ
गिद्धों की कई प्रजातियाँ दुनिया भर में पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती हैं। ये प्रजातियाँ अपनी शारीरिक बनावट, आदतों और आवास के आधार पर एक-दूसरे से अलग होती हैं। आइए गिद्धों की प्रमुख प्रजातियों के बारे में विस्तार से जानें:
1. भारतीय सफेद पीठ वाला गिद्ध (Indian White-rumped Vulture)
विज्ञानिक नाम: Gyps bengalensis
यह गिद्ध भारत, पाकिस्तान, और नेपाल में पाया जाता है। इसकी पीठ पर सफेद रंग के पंख होते हैं, जिससे इसे "सफेद पीठ वाला गिद्ध" कहा जाता है। यह प्रजाति पहले भारत में सबसे आम गिद्धों में से एक थी, लेकिन पिछले कुछ दशकों में इसकी संख्या में तीव्र गिरावट आई है। डाइक्लोफेनाक नामक दर्दनिवारक दवा के कारण इसकी संख्या तेजी से घट गई।
विशेषताएँ:
लंबाई: 85-93 सेमी
पंखों का फैलाव: 1.7-2 मीटर
भोजन: यह मरे हुए जानवरों का मांस खाता है और शहरी इलाकों के आस-पास ज्यादा देखा जाता है।
2. लंबी चोंच वाला गिद्ध (Indian Long-billed Vulture)
विज्ञानिक नाम: Gyps indicus
यह गिद्ध भी भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। इसकी लंबी और घुमावदार चोंच इसे अन्य गिद्धों से अलग बनाती है। यह ऊँचाई वाले इलाकों और चट्टानों पर अपना घोंसला बनाना पसंद करता है।
विशेषताएँ:
लंबाई: 80-95 सेमी
पंखों का फैलाव: 2.1-2.6 मीटर
भोजन: मुख्य रूप से मरे हुए मवेशियों और अन्य बड़े जानवरों का मांस खाता है।
3. हिमालयन गिद्ध (Himalayan Griffon Vulture)
विज्ञानिक नाम: Gyps himalayensis
हिमालयी गिद्ध हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है और यह अपनी विशालकाय कद-काठी के लिए जाना जाता है। यह गिद्ध गहरे भूरे रंग का होता है और इसके पंखों पर हल्के रंग के निशान होते हैं। यह आमतौर पर हिमालयी क्षेत्र में ही देखा जाता है।
विशेषताएँ:
लंबाई: 100-125 सेमी
पंखों का फैलाव: 2.5-3 मीटर
भोजन: यह गिद्ध ज्यादातर याक और अन्य पहाड़ी जानवरों का मांस खाता है।
4. राजगिद्ध (Red-headed Vulture)
विज्ञानिक नाम: Sarcogyps calvus
राजगिद्ध, जिसे "लाल सिर वाला गिद्ध" भी कहा जाता है, भारत, पाकिस्तान, और नेपाल के जंगलों और मैदानी इलाकों में पाया जाता है। इसकी खासियत इसका चमकीला लाल सिर और गहरे रंग के पंख हैं।
विशेषताएँ:
लंबाई: 75-85 सेमी
पंखों का फैलाव: 1.8-2 मीटर
भोजन: यह गिद्ध मुख्य रूप से मरे हुए जानवरों का मांस खाता है और अपने शिकार के शवों पर तेजी से पहुँचता है।
5. श्वेत गिद्ध (Egyptian Vulture)
विज्ञानिक नाम: Neophron percnopterus
श्वेत गिद्ध, जिसे "फराऊन गिद्ध" के नाम से भी जाना जाता है, आकार में अपेक्षाकृत छोटा होता है। इसके पंख सफेद होते हैं और चोंच का हिस्सा पीले रंग का होता है। यह गिद्ध उत्तरी भारत में ज्यादा देखा जाता है और इसकी उड़ान बेहद ऊँचाई पर होती है।
विशेषताएँ:
लंबाई: 55-65 सेमी
पंखों का फैलाव: 1.7 मीटर
भोजन: यह गिद्ध मरे हुए जानवरों के अलावा छोटे जानवरों, अंडों और यहाँ तक कि मल का भी सेवन करता है, जिससे यह अपने पर्यावरण को साफ रखने में मदद करता है।
6. यूरेशियन ग्रिफॉन गिद्ध (Eurasian Griffon Vulture)
विज्ञानिक नाम: Gyps fulvus
यह गिद्ध यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका में पाया जाता है। यूरेशियन ग्रिफॉन एक विशाल और शक्तिशाली गिद्ध है, जिसे पहाड़ी क्षेत्रों में ऊँचाई पर उड़ते देखा जा सकता है। यह लंबी दूरी तय करने में सक्षम होता है और ठंडे इलाकों में भी रह सकता है।
विशेषताएँ:
लंबाई: 95-110 सेमी
पंखों का फैलाव: 2.4-2.8 मीटर
भोजन: यह गिद्ध बड़े जानवरों के शवों का मांस खाता है और समूह में शिकार करना पसंद करता है।
7. स्लेंडर बिल्ड गिद्ध (Slender-billed Vulture)
विज्ञानिक नाम: Gyps tenuirostris
यह गिद्ध मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी भारत, बांग्लादेश, और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। इसकी चोंच पतली होती है, जिससे इसे "स्लेंडर बिल्ड" नाम मिला है। यह अपनी विलुप्तप्राय स्थिति के कारण विशेष संरक्षण की आवश्यकता रखता है।
विशेषताएँ:
लंबाई: 80-90 सेमी
पंखों का फैलाव: 1.96-2.38 मीटर
भोजन: अन्य गिद्धों की तरह ही यह भी मरे हुए जानवरों का मांस खाता है।
गिद्धों की ये विभिन्न प्रजातियाँ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हर गिद्ध प्रजाति की अपनी अनूठी विशेषताएँ होती हैं, जो इसे अन्य प्रजातियों से अलग बनाती हैं। इनका संरक्षण बेहद जरूरी है, क्योंकि ये प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
गिद्ध के बारे में रोचक तथ्य
गिद्धों के बारे में हम अक्सर सोचते हैं कि वे केवल मरे हुए जानवरों का मांस खाने वाले पक्षी हैं, लेकिन इन पक्षियों के जीवन से जुड़े कई दिलचस्प और अनजाने तथ्य हैं जो इन्हें और भी अधिक रहस्यमय और अद्वितीय बनाते हैं। आइए जानें गिद्धों से जुड़े 15 ऐसे अनजाने और रोचक तथ्य जो शायद आपने पहले नहीं सुने होंगे:
1. गिद्ध अपने भोजन को विषाक्तता से बचाते हैं - गिद्ध का पाचन तंत्र अत्यधिक शक्तिशाली होता है। यह जीवाणु और बीमारियों से युक्त सड़े-गले मांस को बिना बीमार हुए पचा सकता है। गिद्धों के पेट में ऐसा एसिड होता है जो एंथ्रेक्स और बोटुलिज्म जैसे खतरनाक बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देता है।
2. गिद्धों का सिर और गर्दन बाल रहित होते हैं - गिद्धों के सिर और गर्दन पर बाल या पंख नहीं होते। इसका कारण यह है कि जब वे मरे हुए जानवरों का मांस खाते हैं, तो उनके सिर पर गंदगी और बैक्टीरिया न चिपकें। यह विशेषता उन्हें साफ-सुथरा रखने में मदद करती है।
3. गिद्ध एकमात्र पक्षी हैं जो खुद पर पेशाब करते हैं - गिद्ध अपनी टाँगों पर पेशाब करते हैं, जिसे यूरोहाइड्रोसिस कहते हैं। ऐसा करके वे अपने शरीर को ठंडा रखते हैं और अपने पैरों पर लगे बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं। गिद्धों की यह अनोखी आदत उन्हें सफाई बनाए रखने में मदद करती है।
4. गिद्ध सबसे ऊँची उड़ान भरने वाले पक्षियों में से एक हैं - गिद्धों की कुछ प्रजातियाँ अत्यधिक ऊँचाई पर उड़ान भरने के लिए जानी जाती हैं। 1973 में एक र्यूपेल गिद्ध (Rüppell's Vulture) ने लगभग 37,000 फीट (11,300 मीटर) की ऊँचाई पर उड़ान भरी थी, जो कि एवरेस्ट की ऊँचाई से भी अधिक है। यह अब तक की सबसे ऊँची दर्ज उड़ान है।
5. गिद्ध बहुत तेज दृष्टि रखते हैं - गिद्धों की दृष्टि बेहद तेज होती है। वे 3 मील (लगभग 5 किलोमीटर) दूर से भी मरे हुए जानवरों का पता लगा सकते हैं। उनकी आँखें इतनी शक्तिशाली होती हैं कि वे खुले मैदानों में ऊँचाई से उड़ते हुए भी शिकार को देख सकते हैं।
6. गिद्ध समूह में शिकार ढूँढ़ते हैं - गिद्ध आमतौर पर अकेले भोजन नहीं ढूँढ़ते। वे समूहों में शिकार करते हैं और जब एक गिद्ध को शव मिलता है, तो वह अपनी प्रजाति के अन्य गिद्धों को संकेत देता है कि भोजन उपलब्ध है। वे जल्दी से एकत्र होते हैं और मिलकर भोजन करते हैं।
7. गिद्ध हवा की धाराओं का उपयोग करते हैं - गिद्ध अपने विशाल पंखों की मदद से ऊर्जा बचाते हैं। वे हवा की गर्म धाराओं (thermals) का उपयोग करके ऊपर की ओर उठते हैं और बिना पंख फड़फड़ाए लंबी दूरी तक उड़ सकते हैं। यह उन्हें ऊर्जा की बचत में मदद करता है और वे ज्यादा समय हवा में बिता सकते हैं।
8. गिद्ध के पंखों का फैलाव बहुत बड़ा होता है - गिद्धों की कुछ प्रजातियाँ, जैसे हिमालयी गिद्ध, के पंखों का फैलाव 10 फीट (3 मीटर) से भी अधिक हो सकता है। यह उन्हें लंबे समय तक आसमान में मंडराने और दूर तक उड़ान भरने में मदद करता है।
9. गिद्धों में एक विशेष "गिद्ध संस्कृति" होती है - गिद्धों में एक प्रकार की सामाजिक संरचना होती है। जब एक गिद्ध को भोजन मिलता है, तो अन्य गिद्ध आ जाते हैं, और भोजन करने की बारी तय होती है। बड़े और शक्तिशाली गिद्ध पहले भोजन करते हैं, जबकि छोटे गिद्धों को बाद में खाने का मौका मिलता है।
10. गिद्ध गंध का उपयोग नहीं करते - गिद्ध अपनी तेज दृष्टि के आधार पर भोजन का पता लगाते हैं, न कि गंध के आधार पर। गिद्धों की कुछ प्रजातियाँ, जैसे न्यू वर्ल्ड गिद्ध, गंध का उपयोग करती हैं, लेकिन अधिकांश गिद्ध भोजन के लिए गंध पर निर्भर नहीं होते। यह विशेषता उन्हें अन्य मांसाहारी पक्षियों से अलग करती है।
11. गिद्ध एक पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करते हैं - गिद्ध मरे हुए जानवरों का मांस खाते हैं, जिससे वे बीमारियों के फैलने को रोकने में मदद करते हैं। अगर गिद्ध न हों, तो मरे हुए जानवरों के शव तेजी से सड़ने लगेंगे और उनमें से रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस निकलेंगे, जो इंसानों और अन्य जानवरों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
12. गिद्धों की आवाज़ नहीं होती - गिद्धों की अधिकांश प्रजातियों में आवाज़ की नली नहीं होती, इसलिए वे सामान्य पक्षियों की तरह चहचहाते या गाते नहीं हैं। वे केवल फुसफुसाहट या हांफने जैसी आवाजें निकाल सकते हैं, जो उनके सीमित ध्वनि उत्पादन की क्षमता को दर्शाता है।
13. गिद्ध अपने घोंसले ऊँची जगहों पर बनाते हैं - गिद्ध ऊँचाई वाले स्थानों, जैसे चट्टानों, पेड़ों, या पहाड़ों पर अपना घोंसला बनाते हैं। यह उन्हें शिकारी जानवरों से सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें भोजन के स्रोतों को आसानी से देखने में मदद करता है।
14. गिद्ध लंबे समय तक बिना भोजन के जीवित रह सकते हैं - गिद्धों की अद्भुत जीवित रहने की क्षमता है। वे बिना भोजन के कई दिनों तक जीवित रह सकते हैं। उनके शरीर की संरचना ऐसी होती है कि जब उन्हें भोजन नहीं मिलता, तो उनका मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वे अपनी ऊर्जा बचाते हैं।
15. गिद्धों का नाम संस्कृत शब्द से आया है - "गिद्ध" शब्द संस्कृत के "गृध्र" शब्द से आया है, जिसका अर्थ है 'लालच' या 'लालची।' यह नाम इस पक्षी की आदतों पर आधारित है, क्योंकि यह अक्सर मरे हुए जानवरों के मांस को जल्दी से खाने की प्रवृत्ति दिखाता है।
गिद्ध न केवल पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि उनके जीवन से जुड़े कई अनजाने और दिलचस्प पहलू भी हैं। उनकी अनोखी विशेषताएँ उन्हें पक्षी जगत का एक महत्वपूर्ण और रहस्यमय हिस्सा बनाती हैं। हमें गिद्धों के संरक्षण और उनके महत्व को समझने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए, ताकि ये अद्भुत पक्षी आने वाले समय में भी हमारे पर्यावरण का हिस्सा बने रहें।
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गिद्ध: पौराणिक कथाएँ और लोककथाओं में महत्व
गिद्ध न केवल हमारे पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा हैं, बल्कि उन्हें पौराणिक कथाओं और लोककथाओं में भी विशेष स्थान प्राप्त है। भारतीय, यूनानी, और मिस्र की पौराणिक कहानियों से लेकर लोककथाओं तक, गिद्धों को विभिन्न रूपों में चित्रित किया गया है। उनके प्रतीकात्मक और सांस्कृतिक महत्व ने उन्हें सदियों से एक विशेष पहचान दी है। आइए गिद्धों का पौराणिक और लोककथाओं में विवरण जानें:
भारतीय पौराणिक कथाओं में गिद्ध
1. रामायण में जटायू और संपाती
रामायण, जो भारत का एक महान महाकाव्य है, उसमें गिद्धों का विशेष महत्व है। जटायू और संपाती दो भाई गिद्ध हैं, जिनका रामायण में महत्वपूर्ण स्थान है।
जटायू की कहानी: जटायू एक विशाल और साहसी गिद्ध था, जिसने माता सीता को रावण से बचाने का प्रयास किया। जब रावण सीता का अपहरण कर उन्हें लंका ले जा रहा था, तब जटायू ने उनके बचाव के लिए वीरता से रावण से युद्ध किया। हालांकि, रावण ने जटायू के पंख काट दिए और वह घायल होकर गिर गया, लेकिन राम को सीता की दिशा बताने में उसने अपनी अंतिम साँस ली। जटायू का त्याग और बलिदान न केवल वीरता का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाता है कि गिद्धों को भारतीय संस्कृति में सम्मानित किया गया है।
संपाती की कहानी: संपाती, जटायू का भाई था, जो रामायण में एक और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जटायू की मृत्यु के बाद संपाती ने सीता की खोज में मदद की। संपाती के पंख जल चुके थे, लेकिन उसने अपनी शक्ति से वानर सेना को लंका की दिशा में सीता के होने का पता बताया। यह कहानी गिद्धों की बुद्धिमत्ता और समर्पण को दर्शाती है।
2. गिद्ध: यमराज का प्रतीक
भारतीय पौराणिक कथाओं में गिद्धों को कभी-कभी मृत्यु के देवता यमराज के संदेशवाहक के रूप में भी देखा जाता है। कहा जाता है कि गिद्ध यमराज के संकेतक होते हैं, जो मृत्यु और जीवन के बीच के संतुलन को दर्शाते हैं। उनकी उपस्थिति को परिवर्तन और अनिवार्यता का प्रतीक माना गया है।
मिस्र की पौराणिक कथाओं में गिद्ध
मिस्र की प्राचीन सभ्यता में, गिद्धों को देवी नेखबेत से जोड़ा जाता था, जो ऊपरी मिस्र की संरक्षक देवी मानी जाती थीं। गिद्ध मिस्र की संस्कृति में मातृत्व, सुरक्षा, और देवी के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। प्राचीन मिस्र के चित्रों और मूर्तियों में गिद्धों को अक्सर चित्रित किया जाता है, जहाँ वे राजा और देवताओं की रक्षा करते हैं।
मातृत्व का प्रतीक: मिस्र में गिद्धों को मातृत्व और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता था क्योंकि वे अपने बच्चों का पालन-पोषण करते समय बेहद सावधानी बरतते हैं। इस कारण से, गिद्ध देवी नेखबेत का प्रतीक बना, जो मिस्र की राजशाही की संरक्षक थीं।
यूनानी पौराणिक कथाओं में गिद्ध
यूनानी पौराणिक कथाओं में, गिद्धों को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इन्हें न्याय और दैवीय संदेशवाहक के रूप में देखा जाता था। कई बार गिद्धों को मृत्यु और पुनर्जन्म के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
प्रोमेथियस की कहानी: यूनानी पौराणिक कथा के अनुसार, टाइटन प्रोमेथियस को गिद्ध द्वारा सजा दी गई थी। जब प्रोमेथियस ने मानवता को अग्नि का उपहार दिया, तो देवताओं के राजा ज़्यूस ने उसे एक चट्टान से बाँध दिया और एक गिद्ध हर दिन उसके जिगर को नोच-नोच कर खाता था, जो फिर से उग आता था। यह कथा गिद्धों को एक दंडक और नियति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है।
लोककथाओं में गिद्ध
1. भारतीय लोककथाओं में गिद्ध
भारत में गिद्धों को लेकर कई लोककथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें उन्हें जीवन और मृत्यु के बीच के कड़ी के रूप में देखा जाता है। कुछ लोककथाओं में गिद्धों को आकाश के दूत और संदेशवाहक माना गया है। गाँवों में, यह मान्यता थी कि गिद्धों का किसी गाँव में दिखाई देना आने वाले संकट या किसी महत्वपूर्ण घटना का संकेत हो सकता है।
2. यूरोपीय लोककथाओं में गिद्ध
यूरोप की लोककथाओं में गिद्धों को अक्सर मृत्यु के संकेतक के रूप में चित्रित किया गया है। कई कहानियों में यह कहा जाता है कि अगर गिद्ध किसी घर के ऊपर मंडराते हैं, तो वह किसी की मृत्यु का संकेत हो सकता है। हालांकि, कुछ संस्कृतियों में गिद्धों को सफाईकर्मी के रूप में भी देखा जाता है, जो अशुद्धि को दूर करते हैं और संतुलन स्थापित करते हैं।
3. अफ्रीकी लोककथाओं में गिद्ध
अफ्रीका की कुछ लोककथाओं में गिद्धों को आकाश और पृथ्वी के बीच की कड़ी माना जाता है। गिद्धों के उड़ान भरने और आकाश में मंडराने को देवताओं से जुड़ने के संकेत के रूप में देखा जाता है। इनके भोजन करने की आदत को जीवन के चक्र का हिस्सा माना गया है, जहाँ वे मृत जानवरों को खाकर पृथ्वी को शुद्ध करते हैं।
गिद्धों को पौराणिक और लोककथाओं में विविध और महत्वपूर्ण भूमिकाओं में देखा गया है। वे वीरता, त्याग, मातृत्व, और जीवन-मृत्यु के संतुलन के प्रतीक हैं। पौराणिक कहानियों में गिद्धों का उल्लेख हमें यह सिखाता है कि ये पक्षी न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी इनका अद्वितीय स्थान है।