मानसिक स्वास्थ्य: शारीरिक स्वास्थ्य से भी ज्यादा जरूरी क्यों है? 2025 में मानसिक सेहत की अहमियत

हम अक्सर सुनते हैं "स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है" लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कहावत अधूरी है। असल में, "स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर का आधार होता है"। मानसिक स्वास्थ्य हमारे...

मानसिक स्वास्थ्य: शारीरिक स्वास्थ्य से भ...
मानसिक स्वास्थ्य: शारीरिक स्वास्थ्य से भ...


मानसिक स्वास्थ्य

शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना तो हम सब करते हैं, नियमित व्यायाम करते हैं, संतुलित आहार लेते हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। हम तनाव, घबराहट या उदासी जैसी भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं, ये सोचकर कि ये तो जिंदगी का हिस्सा हैं।

लेकिन, कमजोर मानसिक स्वास्थ्य गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है, जैसे कि अवसाद, चिंता, भय और खाने के विकार। यह हमारे रिश्तों, काम और कुल मिलाकर जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकता है।

तो, आखिर मानसिक स्वास्थ्य इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है

 जब हमारा दिमाग स्वस्थ होता है, तो हम स्पष्ट रूप से सोच सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं।

तनाव से निपटने में सहायता करता है जीवन में तनाव होना लाज़मी है, लेकिन मजबूत मानसिक स्वास्थ्य हमें तनाव से सामना करने और उससे उबरने में मदद करता है।

सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है  जब हमारा मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है, तो हम जीवन को अधिक सकारात्मक रूप से देख पाते हैं।

रिश्तों को मजबूत बनाता है अच्छा मानसिक स्वास्थ्य हमें दूसरों के साथ मजबूत और स्वस्थ संबंध बनाने में मदद करता है।

आत्मविश्वास बढ़ाता है जब हम अपने बारे में अच्छा महसूस करते हैं, तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।

मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखें?

कुछ आसान चीजें हैं जो हम अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं:

  • नियमित व्यायाम करें
  • शारीरिक गतिविधि एंडोर्फिन (Endorphin) नामक रसायन जारी करती है, जो हमारे मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  • स्वस्थ आहार लें
  • पौष्टिक भोजन हमारे मस्तिष्क को ठीक से काम करने में मदद करता है।
  • पर्याप्त नींद लें नींद हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए जरूरी है।
  • अपने आप को समय दें
  • हर रोज़ कुछ समय निकालें ताकि आप आराम कर सकें और तनाव दूर कर सकें।
  • अपने प्रियजनों से बात करें अपनी भावनाओं को दबाकर न रखें। अपने दोस्तों, परिवार या किसी थेरेपिस्ट से बात करें।

चर्चा में