"मातु पिता गुर प्रभु कै बानी" – बिना विचार किए इन्हें शुभ मानें
हमारे जीवन में माता-पिता, गुरु और ईश्वर का स्थान अद्वितीय है। वे हमें सही मार्ग दिखाते हैं और जीवन को सही दिशा में ले जाते हैं। यह दोहा हमें सिखाता है कि इनकी वाणी को बिना सोचे-समझे शुभ मानना और उनका अनुसरण करना ही हमारे जीवन को समृद्ध और सफल बना सकता है।
उद्धरण By ADMIN, Last Update Thu, 12 September 2024, Share via
यह दोहा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है। तुलसीदास जी एक महान संत और कवि थे, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, जिनमें सबसे प्रसिद्ध "रामचरितमानस" है। उनके दोहों और चौपाइयों में गहरे आध्यात्मिक और नैतिक संदेश होते हैं, जो भारतीय संस्कृति और समाज में आज भी प्रासंगिक हैं। यह दोहा भी उनकी शिक्षाओं और विचारों का प्रतिबिंब है, जिसमें गुरु, माता-पिता, और ईश्वर की महत्ता का वर्णन किया गया है।
"मातु पिता गुर प्रभु कै बानी।
बिनहिं बिचार करिअ सुभ जानी॥"
यह दोहा गहराई से यह संदेश देता है कि माता-पिता, गुरु और ईश्वर की कही गई बातों को हमें बिना किसी संदेह के शुभ और कल्याणकारी मानना चाहिए। इसका अर्थ है कि इनकी वाणी में हमारे लिए सदा शुभ का संदेश छिपा होता है। आइए, इन तीन महत्वपूर्ण स्तंभों की बातों का महत्व समझें।
माता-पिता की वाणी: जीवन का आधार
माता-पिता हमें जीवन में पहला ज्ञान देते हैं और सही-गलत की पहचान सिखाते हैं। उनकी देखरेख में हम बड़े होते हैं और उनके अनुभवों से हमें जीवन के संघर्षों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है। उनके द्वारा दी गई शिक्षा और निर्देश हमें जीवन की हर कठिनाई से लड़ने के लिए तैयार करते हैं। इसलिए, माता-पिता की वाणी को सच्चा और लाभकारी मानना चाहिए।
गुरु की वाणी: ज्ञान का मार्ग
गुरु वह होते हैं जो हमारे जीवन को अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाते हैं। उनकी दी हुई शिक्षा न केवल शैक्षिक ज्ञान देती है, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर सही निर्णय लेने का मार्ग भी दिखाती है। गुरु की वाणी से हमें वह समझ और दृष्टिकोण मिलता है, जो हमें अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करता है। इसीलिए, गुरु की वाणी का पालन करना हमें जीवन में सफलता दिला सकता है।
ईश्वर की वाणी: अध्यात्म का प्रकाश
धार्मिक ग्रंथों और उपदेशों के माध्यम से ईश्वर हमें सच्चाई, प्रेम और शांति का संदेश देते हैं। ईश्वर की वाणी हमें आत्मिक शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है और हमें उन कठिनाइयों से बाहर निकालती है, जिनका हल हम स्वयं नहीं निकाल सकते। उनकी वाणी को सुनना और उस पर अमल करना हमें जीवन में मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
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निष्कर्ष
"मातु पिता गुर प्रभु कै बानी" दोहे के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि इन तीनों महान स्तंभों की वाणी में सदा कल्याण छिपा होता है। माता-पिता, गुरु और ईश्वर की बातें हमें जीवन के सही मार्ग पर ले जाती हैं। इसलिए, हमें उन पर विश्वास करते हुए उनकी वाणी को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। यही हमें जीवन की चुनौतियों से लड़ने और सफलता प्राप्त करने में मदद करेगा।
इस प्रकार, यह दोहा हमें सिखाता है कि इनकी वाणी को बिना सोचे-समझे शुभ मानना और उनका अनुसरण करना ही हमारे जीवन को समृद्ध और सफल बना सकता है।