प्रेम और रिश्ते:
प्रेम एक अवस्था है: ओशो के अनुसार, प्रेम कोई क्रिया नहीं, बल्कि एक अवस्था है। यह एक ऐसा अनुभव है जो हमें आनंद और पूर्णता से भर देता है।
रिश्ते स्वतंत्रता पर आधारित होने चाहिए: ओशो का मानना था कि रिश्तों में स्वतंत्रता का होना बहुत जरूरी है। अगर रिश्ते में बंधन और अपेक्षाएं होंगी, तो प्यार नहीं पनप सकता।
प्रेम और ध्यान साथ-साथ चलते हैं: ओशो के अनुसार, प्रेम और ध्यान एक दूसरे के पूरक हैं। प्रेम हमें खोलता है और ध्यान हमें गहराई में ले जाता है।
ध्यान और आत्म-विकास:
ध्यान एक आंतरिक यात्रा है: ओशो के लिए ध्यान केवल एक तकनीक नहीं है, बल्कि यह अपने आप को जानने और अपने भीतर छिपे हुए खजाने को खोजने का एक तरीका है।
ध्यान ही जीवन की कुंजी है: ओशो का मानना था कि ध्यान ही जीवन की समस्याओं का समाधान है। ध्यान के माध्यम से हम अपने मन को शांत कर सकते हैं और अपनी चेतना को बढ़ा सकते हैं।
हर पल को जीना सीखें: ओशो ने हमें हर पल को पूरी तरह से जीने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जीना ही जीवन का सार है।
स्वतंत्रता और विद्रोह:
स्वतंत्रता सबसे बड़ा मूल्य है: ओशो के लिए स्वतंत्रता किसी भी चीज़ से ज्यादा महत्वपूर्ण थी। उन्होंने कहा कि अगर आप स्वतंत्र नहीं हैं, तो आप वास्तव में जीवित नहीं हैं।
अपने मन के मालिक बनें: ओशो का मानना था कि हमारा मन हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। अगर हम अपने मन को नियंत्रित करना सीख लें, तो हम अपने जीवन को बदल सकते हैं।
विद्रोह करना सीखें: ओशो ने हमें समाज की कुरीतियों और पुराने विचारों के खिलाफ विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि विद्रोह ही विकास का पहला कदम है।
ओशो का प्रभाव:
ओशो के विचारों ने लाखों लोगों के जीवन को छुआ है। उनके प्रवचन और किताबें आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उनके विचार हमें जीवन को एक नए नजरिए से देखने और अपनी पूरी क्षमता को जीने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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