बीरबल की खिचड़ी! अकबर और ब्राह्मण: एक अनोखा न्याय! अकबर - बीरबल के किस्से

कड़ाके की ठंड में एक अनोखी चुनौती और ब्राह्मण की ईमानदारी! क्या अकबर देंगे उसे वाजिब हक? जानें बीरबल की चतुराई से कैसे मिला ब्राह्मण को न्याय.

बीरबल की खिचड़ी! अकबर और ब्राह्मण: एक अन...
बीरबल की खिचड़ी! अकबर और ब्राह्मण: एक अन...


बीरबल की खिचड़ी

एक कड़कड़ाती सर्द रात, अकबर ने एक अनोखी चुनौती पेश की। उन्होंने ऐलान किया कि जो भी व्यक्ति पूरी रात पानी में छाती तक डूबकर खड़ा रह पाएगा, उसे 1000 मोहरों का इनाम मिलेगा।

इनाम की लालच में, एक गरीब ब्राह्मण अपनी बेटी के विवाह के लिए धन इकट्ठा करने की खातिर इस चुनौती को स्वीकार करता है। कांपते हुए, ठिठुरते हुए वो पूरी रात पानी में खड़ा रहता है। सुबह, वो अकबर से अपना इनाम मांगता है।

अकबर, ब्राह्मण की हिम्मत से प्रभावित होते हैं, लेकिन जब ब्राह्मण उन्हें बताता है कि वो किले के झरोखे पर जलते दीपक के बारे में सोचकर ठंड से बच पाया, तो अकबर इनाम देने से इनकार कर देते हैं। उनका तर्क होता है कि ब्राह्मण को दीपक की गर्मी से ही ठंड से बचने में मदद मिली।

ब्राह्मण निराश होकर लौट जाता है। बीरबल, जो इस घटना के गवाह थे, ब्राह्मण के साथ हुए अन्याय को देखकर उदास हो जाते हैं। वो निश्चित करते हैं कि ब्राह्मण को न्याय मिलेगा।

अगले दिन, बीरबल अकबर को शिकार पर ले जाते हैं। जंगल में, वो खिचड़ी पकाने लगते हैं। वो जानबूझकर बर्तन को आग से काफी ऊंचा लटका देते हैं। अकबर, खिचड़ी को देखकर हैरान होते हैं और बीरबल से पूछते हैं कि इतनी ऊंचाई पर खिचड़ी कैसे पक सकती है।

बीरबल धैर्य से जवाब देते हैं, "पक जाएगी, आप बस थोड़ा इंतजार करें।"

काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब खिचड़ी नहीं पकी, तो अकबर गुस्से में बीरबल पर चिल्लाते हैं। वो कहते हैं कि इतनी दूर से आंच कैसे खिचड़ी तक पहुंच सकती है?

बीरबल मुस्कुराते हुए कहते हैं, "अगर इतनी सी दूरी से आंच खिचड़ी नहीं पका सकती, तो फिर उस ब्राह्मण को आपके किले के झरोखे पर जलते दीपक से ऊर्जा कैसे मिली होगी?"

अकबर अपनी गलती समझ जाते हैं। उन्हें एहसास होता है कि उन्होंने ब्राह्मण के साथ अन्याय किया है। वो तुरंत गरीब ब्राह्मण को बुलाकर उसे 1000 मोहरे देते हैं और बीरबल की बुद्धि और चतुराई की तारीफ करते हैं।

यह कहानी हमें सिखाती है कि न्याय हमेशा सत्य पर आधारित होता है। हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करने और उनसे सीखने की हिम्मत रखनी चाहिए।

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