प्रतिभा का अपमान: बौने योद्धा और घमंडी राजा की कहानी Inspirational Story in Hindi

एक कुशल बौने योद्धा, कर्ण, अपनी प्रतिभा साबित करने के लिए संघर्ष करता है। वह एक बलवान जुलाहे, भीम, को प्रशिक्षित करता है, लेकिन बाद में भीम के घमंड के कारण अपमान का सामना करता है।

प्रतिभा का अपमान: बौने योद्धा और घमंडी र...
प्रतिभा का अपमान: बौने योद्धा और घमंडी र...


प्रतिभा का अपमान

एक बार की बात है, तक्षशिला नगरी में एक कुशल बौना योद्धा रहता था जिसका नाम था कर्ण। उन्होंने तक्षशिला के एक प्रसिद्ध गुरु से धनुर्विद्या में महारत हासिल की थी। कर्ण बहादुर और कुशल योद्धा थे, लेकिन उनकी छोटी कद-काठी के कारण लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेते थे।

जीविका के लिए, कर्ण विभिन्न राज्यों में जाते थे और अपनी योग्यता दिखाते थे। लेकिन, लोग उनकी ठिठोली करते और उनकी क्षमताओं को कम आंकते।

चतुर रणनीति

एक दिन, कर्ण घूमते हुए राज्य विराट में पहुंचे। वहां उन्होंने एक हृष्ट-पुष्ट जुलाहे को देखा जिसका नाम भीम था। भीम शारीरिक रूप से मजबूत था, लेकिन युद्ध कला में नौसिखिया था। कर्ण ने भीम को प्रशिक्षित करने का फैसला किया और उसे एक कुशल योद्धा बनाने का प्रस्ताव दिया।

कर्ण ने भीम को सलाह दी कि वह युद्ध के मैदान में कर्ण के सामने रहे और उसकी हर बात का पालन करे। भीम सहमत हो गया और कर्ण ने उसे युद्ध कला में प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद, कर्ण और भीम राज्य विराट के दरबार में गए। भीम ने अपनी शारीरिक शक्ति और कर्ण के कुशल निर्देशन का उपयोग करते हुए, युद्ध कला में अपना कौशल दिखाया। राजा विराट भीम की वीरता से प्रभावित हुए और उन्हें अपनी सेना में शामिल कर लिया।

अभिमान का परिणाम

भीम जल्द ही सेना में लोकप्रिय हो गया और राजा विराट का विश्वासपात्र बन गया। कर्ण, जो भीम के पीछे रहकर उसे निर्देश दे रहे थे, धीरे-धीरे गुमनाम हो गए। भीम, जो अब धन और प्रसिद्धि का स्वाद चख चुका था, धीरे-धीरे घमंडी और अहंकारी बन गया। वह कर्ण को भूल गया और उन्हें एक साधारण नौकर समझने लगा।

सच्ची वीरता

एक दिन, पड़ोसी राज्य ने विराट पर आक्रमण कर दिया। राजा विराट ने भीम को सेना का नेतृत्व करने का आदेश दिया। भीम, जो युद्ध कला में नौसिखिया था, घबरा गया और युद्ध के मैदान में डर गया। कर्ण, जो भीम के पीछे थे, ने भीम की घबराहट देखी। उन्होंने भीम को साहस दिया और युद्ध की रणनीति बताई। कर्ण के कुशल निर्देशन और भीम की शारीरिक शक्ति के संयोजन ने विराट की सेना को जीत दिलाई।

क्षमा और सम्मान

युद्ध के बाद, राजा विराट ने कर्ण की वीरता और बुद्धिमत्ता को पहचाना। उन्होंने कर्ण को सेनापति नियुक्त किया और भीम को उसकी जगह से हटा दिया। भीम, जो अब अपनी गलती समझ चुका था, ने कर्ण से क्षमा मांगी और उनका सम्मान करना सीखा।

Also Read: बीरबल की खिचड़ी! अकबर और ब्राह्मण: एक अनोखा न्याय! अकबर - बीरबल के किस्से

चर्चा में