दो मेंढकों की सीख - एक शिक्षाप्रद कहानी! A Moral Story in Hindi

यह कहानी दो मेंढकों की है, जो पानी की तलाश में एक कुएँ के पास पहुँचते हैं। एक मेंढक बिना सोचे-समझे कुएँ में कूद जाता है, जबकि दूसरा मेंढक समझदारी से निर्णय लेता है।

दो मेंढकों की सीख - एक शिक्षाप्रद कहानी!...
दो मेंढकों की सीख - एक शिक्षाप्रद कहानी!...


दो मेंढकों की सीख - एक शिक्षाप्रद कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव के पास एक बड़ा तालाब था। उस तालाब में बहुत से मेंढक रहते थे। बारिश का मौसम खत्म होने वाला था और तालाब धीरे-धीरे सूखने लगा था। पानी कम होने के कारण दो मेंढक तालाब छोड़कर कहीं और जाने की सोचने लगे।

चलते-चलते वे एक खेत के पास पहुँचे जहाँ एक गहरा कुआँ था। दोनों मेंढक कुएँ के पास रुके और उसमें झाँकने लगे। एक मेंढक ने कुएँ को देखकर खुश होकर कहा, "अरे वाह! कितना गहरा कुआँ है, यहाँ पानी की कोई कमी नहीं होगी। चलो, इसमें कूद जाते हैं और आराम से यहीं रहेंगे।"

दूसरे मेंढक ने कुछ सोचकर जवाब दिया, "हमें इस कुएँ में नहीं कूदना चाहिए। अगर यहाँ भी पानी खत्म हो गया, तो हम वापस बाहर कैसे निकलेंगे?"

पहला मेंढक उस पर हँसते हुए बोला, "तुम हर बात को लेकर चिंता क्यों करते हो? यहाँ बहुत पानी है और हमें और क्या चाहिए!"

लेकिन दूसरे मेंढक ने फिर भी समझदारी से कहा, "हमें हमेशा सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए। अगर हमने जल्दबाजी में निर्णय लिया और कोई समस्या आई, तो हम मुसीबत में फँस सकते हैं।"

पहला मेंढक ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया और कुएँ में कूद गया। कुछ समय बाद सच में वहाँ पानी कम होने लगा और वह मेंढक कुएँ से बाहर नहीं निकल सका।

दूसरे मेंढक ने समझदारी दिखाकर कुएँ में छलाँग नहीं लगाई और नए ठिकाने की तलाश करता रहा। आखिरकार, उसे एक तालाब मिला, जहाँ पानी हमेशा बना रहता था और वह वहाँ खुशी-खुशी रहने लगा।

चर्चा में