दो मेंढकों की सीख - एक शिक्षाप्रद कहानी! A Moral Story in Hindi
यह कहानी दो मेंढकों की है, जो पानी की तलाश में एक कुएँ के पास पहुँचते हैं। एक मेंढक बिना सोचे-समझे कुएँ में कूद जाता है, जबकि दूसरा मेंढक समझदारी से निर्णय लेता है।

कहानियाँ Last Update Sun, 16 February 2025, Author Profile Share via
दो मेंढकों की सीख - एक शिक्षाप्रद कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव के पास एक बड़ा तालाब था। उस तालाब में बहुत से मेंढक रहते थे। बारिश का मौसम खत्म होने वाला था और तालाब धीरे-धीरे सूखने लगा था। पानी कम होने के कारण दो मेंढक तालाब छोड़कर कहीं और जाने की सोचने लगे।
चलते-चलते वे एक खेत के पास पहुँचे जहाँ एक गहरा कुआँ था। दोनों मेंढक कुएँ के पास रुके और उसमें झाँकने लगे। एक मेंढक ने कुएँ को देखकर खुश होकर कहा, "अरे वाह! कितना गहरा कुआँ है, यहाँ पानी की कोई कमी नहीं होगी। चलो, इसमें कूद जाते हैं और आराम से यहीं रहेंगे।"
दूसरे मेंढक ने कुछ सोचकर जवाब दिया, "हमें इस कुएँ में नहीं कूदना चाहिए। अगर यहाँ भी पानी खत्म हो गया, तो हम वापस बाहर कैसे निकलेंगे?"
पहला मेंढक उस पर हँसते हुए बोला, "तुम हर बात को लेकर चिंता क्यों करते हो? यहाँ बहुत पानी है और हमें और क्या चाहिए!"
लेकिन दूसरे मेंढक ने फिर भी समझदारी से कहा, "हमें हमेशा सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए। अगर हमने जल्दबाजी में निर्णय लिया और कोई समस्या आई, तो हम मुसीबत में फँस सकते हैं।"
पहला मेंढक ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया और कुएँ में कूद गया। कुछ समय बाद सच में वहाँ पानी कम होने लगा और वह मेंढक कुएँ से बाहर नहीं निकल सका।
दूसरे मेंढक ने समझदारी दिखाकर कुएँ में छलाँग नहीं लगाई और नए ठिकाने की तलाश करता रहा। आखिरकार, उसे एक तालाब मिला, जहाँ पानी हमेशा बना रहता था और वह वहाँ खुशी-खुशी रहने लगा।
इस कहानी से हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ मिलती हैं, जो हमारे जीवन में एक सही दिशा दिखाती हैं:
1. सोच-समझकर निर्णय लेना
कहानी में दूसरे मेंढक ने जल्दबाजी में कुएँ में कूदने का निर्णय नहीं लिया, बल्कि उसने पहले संभावनाओं और खतरों का विश्लेषण किया। इससे हमें यह समझ आता है कि किसी भी बड़े या छोटे कार्य को करने से पहले हमें उसके परिणामों और संभावित चुनौतियों पर विचार करना चाहिए। यह जीवन में बड़े निर्णयों में, जैसे करियर, रिश्तों और निवेशों में भी बहुत जरूरी है।
2. अन्य की सलाह को महत्व देना
पहला मेंढक दूसरे की सलाह को हल्के में लेता है और कुएँ में कूद जाता है, जिससे उसे अंततः मुसीबत का सामना करना पड़ता है। इससे हमें यह सीखने को मिलता है कि कई बार हमारी सफलता और असफलता इस पर निर्भर करती है कि हम अन्य लोगों की सलाह और सुझाव को कितना महत्व देते हैं। दूसरों का अनुभव और विचार कई बार हमें मुसीबत से बचा सकते हैं।
3. जल्दबाजी से बचना
कहानी यह भी सिखाती है कि जल्दबाजी में लिया गया निर्णय अक्सर गलत साबित हो सकता है। पहला मेंढक जल्दी में यह सोचे बिना कुएँ में कूद गया कि अगर पानी कम हो गया, तो वह बाहर कैसे निकलेगा। हमें जीवन में जल्दबाजी करने के बजाय धैर्य से काम लेना चाहिए और सही समय पर सही निर्णय लेना चाहिए।
4. संभावित परिणामों पर विचार करना
दूसरा मेंढक संभावित परिणामों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता है और इस समझदारी के कारण वह सुरक्षित रहता है। यह हमें यह सीखने को मिलता है कि किसी भी कार्य को करने से पहले उसके अच्छे और बुरे परिणामों का आकलन करना चाहिए। यह दृष्टिकोण हमारे जीवन में निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत बनाता है।
5. सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना
दूसरे मेंढक ने स्थिति का सही विश्लेषण कर अपने लिए एक बेहतर रास्ता चुना। उसकी समझदारी और सकारात्मक दृष्टिकोण ने उसे एक सुरक्षित जगह पर पहुँचाया। हमें भी जीवन में सकारात्मक और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। चाहे कैसी भी स्थिति हो, यदि हम सोच-समझकर निर्णय लेंगे, तो हमें बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
6. अनुभव से सीखना
इस कहानी से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि दूसरों के अनुभव से सीखना भी बहुत फायदेमंद हो सकता है। हमें अपने जीवन में दूसरों की गलतियों से सीख लेनी चाहिए, ताकि हम उन्हीं गलतियों को न दोहराएँ।
इस कहानी का सार यह है कि हम हर काम में सावधानी और समझदारी से काम लें, दूसरों की सलाह को महत्व दें और जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। यह जीवन की कठिन परिस्थितियों में हमें सही दिशा और रास्ता दिखाती है। जब हम सोच-समझकर निर्णय लेते हैं, तो हम न केवल अपने लिए बल्कि अपने आसपास के लोगों के लिए भी एक आदर्श बन जाते हैं।
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