घर की मुर्गी दाल बराबर: अर्थ, उत्पत्ति और उदाहरण! मुहावरे पर आधारित 5 छोटी कहानियां

"घर की मुर्गी दाल बराबर" एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जो उस स्थिति को दर्शाता है जब हम अपने आस-पास मौजूद चीज़ों या लोगों की कद्र नहीं करते, क्योंकि वे हमें आसानी से उपलब्ध होते हैं।

घर की मुर्गी दाल बराबर: अर्थ, उत्पत्ति औ...
घर की मुर्गी दाल बराबर: अर्थ, उत्पत्ति औ...


घर की मुर्गी दाल बराबर: मुहावरे का अर्थ और उदाहरण

यह मुहावरा उस मानवीय प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है जहां हम अक्सर अपने करीबी रिश्तेदारों, दोस्तों, या आसानी से उपलब्ध संसाधनों की कद्र नहीं करते, क्योंकि वे हमें हमेशा उपलब्ध लगते हैं। हम उनकी उपस्थिति को हल्के में ले लेते हैं और उनकी महत्वता को तब तक नहीं समझते जब तक वे हमसे दूर नहीं चले जाते या खो नहीं जाते।

मुहावरे की उत्पत्ति

इस मुहावरे की उत्पत्ति के पीछे एक सामाजिक और आर्थिक संदर्भ है। प्राचीन काल में, जब लोग अधिकतर गाँवों में रहते थे और खेती-बाड़ी करते थे, मुर्गी उनके लिए एक आम पक्षी होती थी जो उनके घरों में आसानी से उपलब्ध होती थी। वहीं, दाल एक ऐसी खाद्य सामग्री थी जिसे बाज़ार से खरीदना पड़ता था। इसलिए, मुर्गी की तुलना दाल से करना उसकी कम कीमत को दर्शाता था, जबकि वास्तविकता में मुर्गी अधिक मूल्यवान होती थी।

कुछ उदाहरण:

माता-पिता का प्यार: बच्चे अक्सर अपने माता-पिता के प्यार और त्याग को तब तक नहीं समझते जब तक वे बड़े नहीं हो जाते या अपने माता-पिता को खो नहीं देते। यह "घर की मुर्गी दाल बराबर" वाली स्थिति का एक जीता-जागता उदाहरण है।

प्राकृतिक संसाधन: हम अक्सर पानी, हवा, और पेड़ों जैसे प्राकृतिक संसाधनों की कद्र नहीं करते, क्योंकि वे हमें आसानी से उपलब्ध होते हैं। लेकिन जब ये संसाधन कम होने लगते हैं या प्रदूषित हो जाते हैं, तब हमें उनकी असली कीमत का एहसास होता है।

दोस्ती: हम अक्सर अपने पुराने और करीबी दोस्तों की कद्र नहीं करते, क्योंकि वे हमें हमेशा साथ देते हैं। लेकिन जब कोई दोस्त हमसे दूर चला जाता है या हमारी दोस्ती में दरार आ जाती है, तब हमें उसकी कमी महसूस होती है।

मुहावरे का उपयोग

यह मुहावरा अक्सर तब उपयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति अपने करीबी लोगों या आसानी से उपलब्ध संसाधनों की कद्र नहीं करता। यह एक नकारात्मक अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है और उस व्यक्ति की सोच की आलोचना करता है।

सीख

यह मुहावरा हमें सिखाता है कि हमें अपने आस-पास मौजूद चीज़ों और लोगों की कद्र करनी चाहिए। हमें उनकी उपस्थिति को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि एक बार वे चले गए तो उनकी कमी हमेशा खलेगी। हमें उनके प्रति कृतज्ञ होना चाहिए और उनके साथ प्यार और सम्मान से पेश आना चाहिए।

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