दुर्लभ औषधि का पौधा, बंदर और मुखिया की भूल: एक रोचक हिंदी कहानी | Rare Herb Monkey Chief Story
दुर्लभ औषधि के पौधे, चतुर बंदर और मुखिया की भूल की मजेदार कहानी पढ़ें। यह हिंदी कहानी मनोरंजन और ज्ञान से भरपूर है। अभी पढ़ें और शेयर करें! | Rare Herb, Monkey and Chief's Mistake...
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कहानियाँ Last Update Mon, 17 February 2025, Author Profile Share via
दुर्लभ औषधि का पौधा, बंदर और मुखिया की भूल
गाँव के पास एक प्राचीन मंदिर था जिसके बगीचे में एक अनोखा पौधा उगा था। लोग कहते थे कि वह पौधा कोई साधारण पौधा नहीं था, वह जड़ी-बूटी नहीं बल्कि चमत्कारी शक्ति से भरा था। लेकिन इस बात को जानने वाला कोई नहीं था क्योंकि गाँव वालों को उसकी पहचान ही नहीं थी।
रवि, जो कि एक युवा वैज्ञानिक था, गाँव आया और उस पौधे को देखकर चौंक गया। उसने सोचा "अरे! यह तो बहुत ही दुर्लभ हर्ब है जिसका प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है!"
पर समस्या यह थी कि गाँव के मुखिया और लोग इस बात को मानने को तैयार नहीं थे। उन्हें लगा कि यह तो बस कोई जंगली घास है जिसका कोई महत्व नहीं। रवि ने बहुत समझाने की कोशिश की पर कोई उसकी बात नहीं मान रहा था।
उसी समय, मंदिर के बगीचे में बंदरों का एक झुंड आ गया। उन्होंने उस पौधे को उखाड़ना शुरू कर दिया। मुखिया हंसते हुए बोला, "देखो, ये बंदर भी इसे नष्ट कर रहे हैं! इससे साफ हो जाता है कि ये किसी काम की चीज नहीं।"
रवि ने गहरी सांस ली और एक चालाकी भरी मुस्कान के साथ जवाब दिया, "मुखियाजी, ये पौधा असल में इतनी दुर्लभ औषधि है कि इसकी कीमत लाखों में हो सकती है। अगर आप इसे नहीं संभालेंगे तो इसे कोई और ले जाएगा!"
बस, इतना सुनते ही मुखिया के होश उड़ गए। उसी दिन गाँव वालों ने मिलकर उस पौधे की रक्षा करने का निर्णय लिया। रवि ने उसे वैज्ञानिक प्रयोगशाला में भेज दिया जहाँ पता चला कि यह वाकई एक दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटी थी।
कुछ सालों बाद, गाँव की उसी भूमि पर एक बड़ी दवा कंपनी ने अपनी रिसर्च लैब बनाई जिससे गाँव वालों को रोजगार मिला और पूरा गाँव समृद्ध हो गया। वही मुखिया जो कभी इस पौधे को बेकार समझता था, अब लोगों को इसकी उपयोगिता के बारे में भाषण देने लगा।
अब गाँव के लोग नए अंदाज में कहते, "मुखियाजी क्या जाने, पहले बंदर थे या हम?"
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