हरे घोड़े की परीक्षा: बीरबल की चतुराई - Akbar Birbal Ki Kahani

अकबर ने बीरबल को एक असंभव काम दिया - हरा घोड़ा लाना। बीरबल ने अपनी चतुराई से अकबर को सबक सिखाते हुए यह काम पूरा करने की शर्तें रखीं।

हरे घोड़े की परीक्षा: बीरबल की चतुराई -...
हरे घोड़े की परीक्षा: बीरबल की चतुराई -...


 हरे घोड़े की परीक्षा: बीरबल की चतुराई

सूरज की सुनहरी किरणें शाही बाग को चमका रही थीं. बादशाह अकबर अपने सिरमौर घोड़े पर सवार होकर, बीरबल के साथ बाग में घूम रहे थे. चारों ओर हरे-भरे पेड़-पौधे और घास का रंग देखकर अकबर का मन खुश हो गया. अचानक उनकी नजर दूर खड़ी एक सफेद चमेली के फूल पर पड़ी.

"बीरबल," अकबर बोले, "देखो कितना सुंदर है ये सफेद फूल! इस हरे बाग में घूमने के लिए तो घोड़ा भी हरे रंग का ही शोभा देता होगा."

बीरबल मुस्कुराए और बोले, "जहांपनाह, आपकी बात बिल्कुल सही है. हरा घोड़ा वाकई इस बाग में चार चांद लगा देगा."

अकबर ने बात को आगे बढ़ाया, "तो फिर तुम क्या कहते हो बीरबल? क्या सात दिनों में मुझे हरे रंग का घोड़ा लाकर दे सकते हो?"

बीरबल जानते थे कि ऐसा कोई घोड़ा होता नहीं है. पर उन्हें ये भी पता था कि बादशाह उनकी परीक्षा ले रहे हैं. उन्होंने मन ही मन मुस्कुराते हुए कहा, "जहांपनाह, कोशिश तो मैं जरूर करूंगा."

अगले सात दिन बीरबल हर तरफ घूमते रहे, मानो उन्हें वाकई हरा घोड़ा ढूंढना हो. आठवें दिन वह दरबार में हाजिर हुए और अकबर को सलाम किया.

"जहांपनाह," बीरबल ने कहा, "मुझे हरे रंग का घोड़ा मिल गया है!"

अकबर चौंक गए, "क्या? सचमुच? जल्दी दिखाओ वो घोड़ा!"

बीरबल ने हाथ जोड़कर कहा, "जहांपनाह, घोड़ा तो मिल गया है पर उसके मालिक ने उसे देने के लिए दो शर्तें रखी हैं."

"कौन सी शर्तें?" अकबर उत्सुकता से पूछने लगे.

"पहली शर्त ये है कि घोड़े को लेने के लिए आपको खुद जाना होगा."

"ये तो कोई बड़ी बात नहीं," अकबर ने जवाब दिया, "दूसरी शर्त क्या है?"

"दूसरी शर्त ये है कि ये घोड़ा खास रंग का है, इसलिए उसे लाने का दिन भी खास होगा. मालिक का कहना है कि आप सप्ताह के सातों दिनों के अलावा किसी भी दिन आकर उसे ले जा सकते हैं."

अकबर सकते में आ गए. वह समझ गए थे कि बीरबल ने उनकी चाल पकड़ ली है. हरा घोड़ा तो होता ही नहीं और सप्ताह के सात दिनों के अलावा कोई और दिन भी नहीं होता!

बीरबल ने अकबर की उलझन देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "जहांपनाह, घोड़ा हरा है तो उसकी शर्तें भी कुछ अलग ही होंगी."

अकबर जोर से हंसे. बीरबल की चतुराई और बुद्धि से उन्हें हमेशा मजा आता था. वह जान गए कि बीरबल को हराना इतना आसान नहीं है.

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