पुराने बुजुर्गों की 20 कहावतें: जीवन का अमूल्य खजाना
पुराने बुजुर्गों की कहावतें जीवन का वह अनमोल खजाना हैं, जो पीढ़ियों से हमारे साथ चला आ रहा है। ये कहावतें केवल शब्दों का समूह नहीं हैं, बल्कि इनमें जीवन के गहरे अनुभव और समझ छिपी होती है।
कहानियाँ By ADMIN, Last Update Mon, 21 October 2024, Share via
पुराने बुजुर्गों की कहावतें (Old Sayings)
पुराने बुजुर्गों की कहावतें हमें न केवल जीवन की कठिनाइयों से निपटने का तरीका सिखाती हैं, बल्कि सही दिशा में चलने की प्रेरणा भी देती हैं।
1. "जैसा बोओगे, वैसा काटोगे"
यह कहावत सिखाती है कि हमारे कर्म ही हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं। अगर हम अच्छे काम करेंगे, तो हमें अच्छे परिणाम मिलेंगे। यह एक गहरी नैतिक शिक्षा देती है, जो जीवन के हर पहलू में लागू होती है।
2. "समय बड़ा बलवान होता है"
समय की ताकत को समझाने वाली यह कहावत बताती है कि कठिन से कठिन समय भी बदल सकता है, बस धैर्य रखने की जरूरत है। यह हमें यह याद दिलाती है कि परिस्थितियाँ चाहे जितनी भी कठिन हों, समय के साथ सब कुछ ठीक हो जाता है।
3. "नाव में छेद हो, तो समंदर पार नहीं होता"
यह कहावत बताती है कि अगर आपके भीतर कोई कमजोरी है या आप किसी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो उसे पहले ठीक करना जरूरी है। बिना उसे सुलझाए, आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते। यह व्यक्तिगत विकास और आत्ममूल्यांकन पर जोर देती है।
4. "धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय"
यह कहावत हमें यह सिखाती है कि जीवन में हर चीज का अपना समय होता है, और हमें हर काम में जल्दबाजी करने से बचना चाहिए। संयम और धैर्य ही सफलता की कुंजी है।
5. "आवश्यकता आविष्कार की जननी है"
जब किसी चीज की जरूरत होती है, तो इंसान उसे पाने के लिए नए तरीके खोजता है। यह कहावत इंसान की जिज्ञासु प्रवृत्ति और उसके इनोवेशन की क्षमता को दर्शाती है।
6. "दाने-दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम"
यह कहावत भाग्य और किस्मत की ताकत को उजागर करती है। इसमें सिखाया जाता है कि जो हमारे लिए तय है, वो हमें अवश्य मिलेगा। इसके जरिए हम जीवन के प्रति विश्वास बनाए रखते हैं और अनावश्यक चिंता से बचते हैं।
7. "जैसा संग, वैसा रंग"
इस कहावत का अर्थ है कि इंसान जिस संगति में रहता है, वैसा ही उसका व्यवहार और चरित्र बनता है। अच्छे लोगों के साथ रहना हमेशा हमें सकारात्मक दिशा में ले जाता है, जबकि बुरी संगति हमें गलत रास्तों पर धकेल सकती है।
8. "अंधेर नगरी, चौपट राजा"
यह कहावत बताती है कि अगर समाज का नेतृत्व सही दिशा में नहीं होता, तो वहां अराजकता और अव्यवस्था पनपती है। इसका अर्थ यह है कि जब कोई नेता या प्रमुख अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं निभाता, तो उसके अधीन रहने वाले लोग भी समस्याओं का सामना करते हैं।
9. "चोर की दाढ़ी में तिनका"
इस कहावत का उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति अपने आप ही गलती या अपराध कबूल कर लेता है, भले ही वह उसे छुपाने की कोशिश कर रहा हो। इसका तात्पर्य है कि अगर किसी के अंदर अपराधबोध हो, तो वह कहीं न कहीं खुद ही उजागर हो जाता है।
10. "गिरगिट की तरह रंग बदलना"
यह कहावत उन लोगों के लिए कही जाती है जो अपनी स्थिति या लाभ के अनुसार अपना व्यवहार या विचार बदलते हैं। यह हमें बताती है कि ऐसे लोग विश्वसनीय नहीं होते और हमें उनसे सावधान रहना चाहिए।
11. "घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध"
इस कहावत का अर्थ है कि अपने घर या परिवेश के लोगों को हम अक्सर कम आंकते हैं, जबकि बाहरी लोगों को अधिक महत्व देते हैं। यह हमें सिखाती है कि हमें अपने निकटतम लोगों के गुणों को पहचानना और सम्मान देना चाहिए।
12. "हाथी के दांत दिखाने के और, खाने के और"
इस कहावत का मतलब है कि जो चीजें बाहर से जैसी दिखती हैं, जरूरी नहीं कि अंदर से भी वैसी ही हों। यह हमें सतर्क करती है कि हमें किसी चीज या व्यक्ति का मूल्यांकन केवल उसके बाहरी स्वरूप से नहीं करना चाहिए।
13. "खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे"
जब कोई व्यक्ति अपनी गलती या असफलता के कारण शर्मिंदा होता है और अपनी झेंप को छुपाने के लिए कुछ और गलत करता है, तब यह कहावत उपयोग होती है। यह हमें बताती है कि असफलता या गलती के बाद जल्दबाजी में गलत फैसले नहीं लेने चाहिए।
14. "जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं"
इस कहावत का अर्थ है कि जो लोग ज्यादा धमकियाँ देते हैं या शोर मचाते हैं, वे वास्तव में ज्यादा प्रभावी नहीं होते। इसका संदेश यह है कि जिनकी बातों में शोर अधिक होता है, उनकी शक्ति या प्रभाव अक्सर कम होता है।
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15. "निंदक नियरे राखिए"
यह कहावत हमें सिखाती है कि आलोचना करने वाले लोगों को अपने पास रखना चाहिए, क्योंकि वे हमें हमारी गलतियों की ओर ध्यान दिलाते हैं। इससे हमें अपने व्यक्तित्व में सुधार करने का अवसर मिलता है।
16. "जाके पैर ना फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई"
इस कहावत का अर्थ है कि जो खुद किसी समस्या या तकलीफ से नहीं गुजरा, वह दूसरों के दर्द को सही ढंग से नहीं समझ सकता। यह हमें सहानुभूति और संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाती है।
17. "जहाँ चाह, वहाँ राह"
यह कहावत हमें प्रेरित करती है कि अगर हमारे अंदर कुछ करने की सच्ची इच्छा हो, तो उसके रास्ते अपने आप खुल जाते हैं। यह आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प की शक्ति को दर्शाती है।
18. "लाठी का जोर भैंस के साथ"
इस कहावत का अर्थ है कि ताकत और अधिकार हमेशा उसी के पास होते हैं, जिसके पास बल या साधन हो। यह हमें बताती है कि शक्ति का सही उपयोग और संतुलन बनाना जरूरी है, नहीं तो अन्याय होने की संभावना रहती है।
19. "सांच को आंच नहीं"
यह कहावत सच्चाई की ताकत को दर्शाती है। इसका अर्थ है कि अगर आप सच्चे हैं, तो किसी भी परिस्थिति में आपको डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सत्य की जीत होती है।
20. "अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत"
यह कहावत बताती है कि सही समय पर काम न करने पर पछतावे का कोई मतलब नहीं होता। यह हमें सिखाती है कि समय का सदुपयोग करना चाहिए, क्योंकि समय एक बार बीत जाने पर उसे वापस नहीं लाया जा सकता।
पुराने बुजुर्गों की कहावतें हमारे लिए जीवन की किताब की तरह हैं। ये कहावतें हमें जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू कराती हैं और हमें सही मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। इनसे सीखे गए पाठ आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने सदियों पहले थे। जीवन के हर मोड़ पर हमें ये कहावतें न केवल प्रेरणा देती हैं, बल्कि हमारे विचारों को गहराई भी प्रदान करती हैं।