स्वप्न का संदेश - राजा विक्रम ने कैसे सुलझाया मंदिर का रहस्य! Vikram Betal ki Kahani A Short Story in Hindi

क्या राजा विक्रम के सपने का कोई मतलब था? कैसे बेताल की कहानी ने राजा को सही रास्ते पर ला खड़ा किया? जानिए इस रोमांचक कहानी में राजा विक्रम की सूझबूझ और बेताल की चाल के बीच छिपे रहस...

स्वप्न का संदेश - राजा विक्रम ने कैसे सु...
स्वप्न का संदेश - राजा विक्रम ने कैसे सु...


राजा का सपना और बेताल की चाल

राजा विक्रमादित्य सपनों का बहुत महत्व देते थे. उनका मानना था कि स्वप्न किसी आने वाली घटना का संकेत हो सकते हैं. एक रात, उन्होंने एक अजीब सपना देखा. सपने में उन्होंने देखा कि एक बूढ़ा साधु उनके राज्य के एक मंदिर में भगवान की मूर्ति के सामने घुटने टेककर रो रहा था. मूर्ति से निकलती हुई आवाज कह रही थी कि उसे अन्याय सहना पड़ रहा है.

सुबह उठकर राजा विक्रम बहुत परेशान थे. वो अपने सपने का मतलब समझने के लिए अपने दरबार में बुलाए गए सभी विद्वानों से सलाह मशविरा किया. लेकिन कोई भी सपने का सही अर्थ नहीं बता सका. निराश होकर, राजा विक्रम ने बेताल को लाने का आदेश दिया.

कुछ देर बाद, बेताल को पेड़ से लाया गया. पेड़ से छूटते ही बेताल ने राजा से कहा, "राजन्, आप बहुत परेशान दिख रहे हैं. क्या हुआ?"

राजा विक्रम ने उसे पूरा सपना सुनाया और पूछा, "बेताल, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इस सपने का क्या मतलब है?"

बेताल मुस्कुराया और बोला, "मैं आपको सपने का मतलब बता सकता हूँ, लेकिन इससे पहले मैं आपको एक कहानी बताऊंगा."

बेताल की कहानी - मूर्ख राजा और जादूगर

राजा सहमत हो गया और बेताल ने कहानी शुरू की:

एक राज्य में एक मूर्ख राजा था. उसे जादू-टोना करने का बहुत शौक था. एक दिन, जंगल में उसे एक बूढ़ा जादूगर मिला. राजा ने उस जादूगर से जादू सीखने की इच्छा जताई. जादूगर राजा की मूर्खता को जानता था, लेकिन फिर भी उसने उसे एक जादू सिखाने का फैसला किया.

जादूगर ने राजा को बताया कि वो अपनी हथेली पर थोड़ी सी रेत रखकर उसे सोने में बदल सकता है. लेकिन उसे ये चेतावनी भी दी कि अगर वो तीन बार से ज्यादा ये जादू करेगा तो वो खुद सोने का बन जाएगा.

लोभ में अंधा हुआ राजा जादू सीखने के लिए तैयार हो गया. जादूगर ने उसे रेत सोने में बदलना सिखाया. राजा बहुत खुश हुआ और महल वापस लौट आया.

महल में वापस आकर, राजा ने अपने मंत्रियों को बुलाया और उन्हें सोने का ढेर दिखाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया. मंत्री हैरान रह गए. राजा को और ज्यादा सोना बनाने का लालच हुआ. उसने जादूगर की चेतावनी को भूलकर दोबारा और फिर तीसरी बार जादू किया.

तीसरी बार रेत सोने में बदलते ही राजा खुद सोने का बन गया. मंत्री घबरा गए. उन्हें समझ नहीं आया कि क्या करें. जादूगर को ढूंढने का कोई फायदा नहीं था. लालच में आकर राजा ने खुद को ही सजा दे दी थी.

राजा विक्रम का फैसला और बेताल का रहस्य

बेताल की कहानी खत्म होते ही राजा विक्रम बोले, "बेताल, आपकी कहानी से मुझे ये सीख मिली है कि लालच बुरी चीज है और जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए. ठीक उसी तरह, मेरा सपना भी मुझे यही संदेश दे रहा है कि शायद मेरे राज्य में कोई अन्याय हो रहा है जिसका जल्द ही समाधान ढूंढना चाहिए."

बेतल राजा के जवाब से खुश हुआ और बोला, "राजन्, आप बिल्कुल सही हैं. आपका सपना सच है. आपके राज्य के एक मंदिर में जो मूर्ति है, उसके पीछे छिपाकर असली मूर्ति को चोरों ने चुरा लिया है. रोने वाली आवाज असली मूर्ति की आत्मा थी. आपको उस मंदिर में जाना चाहिए और असली मूर्ति को वापस लाना चाहिए."

राजा विक्रम ने तुरंत मंदिर जाने का फैसला किया. बेताल को वापस पेड़ पर लटका दिया गया और राजा विक्रम मंदिर की ओर रवाना हो गए.

कुछ देर बाद, राजा विक्रम मंदिर पहुंचे. उन्होंने देखा कि मंदिर का दरवाजा बंद है. उन्होंने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा नहीं खुला. निराश होकर, राजा विक्रम वापस लौटने लगे.

तभी, उन्हें एक आवाज सुनाई दी. "राजन, रुको!"

राजा ने चारों ओर देखा, लेकिन कोई नहीं दिखा.

आवाज फिर बोली, "मैं असली मूर्ति की आत्मा हूँ. मैं तुम्हें मंदिर का दरवाजा खोलने का तरीका बताऊंगी."

राजा ने पूछा, "आप कौन हैं और आप यहां कैसे फंसी हुई हैं?"

आत्मा ने कहा, "मैं इस मंदिर की देवी की मूर्ति की आत्मा हूँ. कुछ लालची चोरों ने मेरी मूर्ति चुरा ली और मुझे यहां कैद कर दिया. अब मैं आपको ही अपनी मुक्ति का साधन मानती हूँ."

राजा ने आत्मा से पूछा, "मंदिर का दरवाजा कैसे खोलूं?"

आत्मा ने कहा, "मंदिर के पीछे एक गुप्त रास्ता है. उस रास्ते से आप मंदिर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं."

राजा विक्रम मंदिर के पीछे गए और उन्हें गुप्त रास्ता मिल गया. उन्होंने उस रास्ते से मंदिर के अंदर प्रवेश किया.

मंदिर के अंदर, राजा विक्रम ने देखा कि असली मूर्ति एक कमरे में बंद है. उन्होंने कमरे का दरवाजा खोला और मूर्ति को बाहर निकाला.

जैसे ही मूर्ति को बाहर निकाला गया, चोरों का जादू टूट गया और वे चोर पत्थर की मूर्तियां बन गए.

राजा विक्रम ने मूर्ति को वापस उसके स्थान पर स्थापित किया और मंदिर के दरवाजे खोल दिए.

देवी की आत्मा बहुत खुश हुई और उसने राजा विक्रम को आशीर्वाद दिया.

इस तरह, राजा विक्रम ने अपने सपने का अर्थ समझ लिया और मंदिर में हो रहे अन्याय का अंत कर दिया.

सीख:

  • लालच बुरी चीज है और जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए.
  • सच की हमेशा जीत होती है.
  • बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है.

अंत:

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा सच का साथ देना चाहिए और अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. लालच और जल्दबाजी में फैसले लेने से बचना चाहिए.

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