लालच का धोखा और ईमान की राह - बेताल की पहेली और राजा विक्रम का जवाब! Vikram Betal ki Kahani A Hindi Short Story

क्या लालच कभी सही हो सकता है? धनाढ्य और उसके बेटे शिवम की कहानी लालच के परिणामों और ईमानदारी के महत्व को दर्शाती है। Vikram Betal ki Kahani A Short Story in Hindi

लालच का धोखा और ईमान की राह - बेताल की प...
लालच का धोखा और ईमान की राह - बेताल की प...


राजा विक्रमादित्य एक बार फिर श्मशान की ओर जा रहे थे। उनके कंधे पर लटका हुआ था कुख्यात बेताल। हर रात की तरह, बेताल एक कहानी सुनाता और फिर एक पेचीदा सवाल पूछता।

लालच का धोखा और ईमान की राह

एक समृद्ध व्यापारी रहते थे, जिसका नाम धनाढ्य था. उनके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उनके पास एक दुःख था - कोई संतान नहीं. एक रात, धनाढ्य को सपने में एक साधु दिखाई दिए और उन्होंने बताया कि जंगल में छिपे एक खजाने को पाने से उन्हें संतान प्राप्ति होगी.

सुबह होते ही धनाढ्य जंगल की ओर निकल पड़े. कई दिनों की कठिन यात्रा के बाद, उन्हें एक गुफा मिली. गुफा के अंदर एक बूढ़ा साधु बैठा हुआ था. साधु ने धनाढ्य को बताया कि खजाना गुफा के सबसे अंदरूनी भाग में है, लेकिन वहां पहुँचने के लिए उन्हें तीन दरवाजे पार करने होंगे.

पहले दरवाजे पर लिखा था, "सत्य बोलो और प्रवेश करो." धनाढ्य ने सच कहा और दरवाजा खुल गया. दूसरे दरवाजे पर लिखा था, "क्रोध पर नियंत्रण रखो और प्रवेश करो." धनाढ्य ने गुस्से को रोका और दूसरा दरवाजा भी खुल गया.

अंत में, तीसरे दरवाजे पर लिखा था, "लालच त्यागो और प्रवेश करो." यह सबसे कठिन परीक्षा थी. धनाढ्य को गुफा के अंदर सोने का एक विशाल ढेर दिखाई दिया. लालच उन्हें घेरने लगा. उन्होंने सोचा, "थोड़ा सा सोना लेकर मैं वापस जा सकता हूँ. फिर से आकर बाकी सोना ले जाऊंगा."

धनाढ्य ने थोड़ा सोना अपनी थैली में डाला और बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा बंद हो गया. गुफा के अंदर अंधेरा छा गया. डर के मारे धनाढ्य चीखने लगे. अचानक, वही बूढ़ा साधु प्रकट हुआ और बोला, "लालच ने तुम्हें अंधकार में डाल दिया. तुम खजाने तक तो पहुँच गए, लेकिन लालच के कारण उसे पा नहीं सके."

धनाढ्य पछतावे से भर उठे. उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और साधु से माफी मांगी. साधु उनकी ईमानदारी से खुश हुए और उन्हें खाली हाथ नहीं जाने दिया. उन्होंने धनाढ्य को एक ही सोने का सिक्का दिया और कहा, "यह सिक्का तुम्हें संतान सुख देगा. इसे संभाल कर रखना."

धनाढ्य सोने के सिक्के को लेकर घर लौटे. कुछ समय बाद, उनकी पत्नी को संतान हुआ. धनाढ्य ने सीखा कि लालच अंधकार में ले जाता है, जबकि ईमान और विवेक से ही सच्ची खुशी मिलती है.

बेताल का सवाल

अब राजा विक्रम, आप ही बताइए, धनाढ्य से हम क्या सीख सकते हैं? लालच पर विजय पाना कितना जरूरी है?

राजा विक्रम का जवाब

राजा विक्रम कहानी सुनकर गंभीर हुए. धनाढ्य की लालच ने उन्हें खजाने से वंचित तो कर दिया, लेकिन उन्हें एक संतान का सुख भी मिला. थोड़ी देर सोचने के बाद, उन्होंने बेताल को जवाब दिया, "धनाढ्य की कहानी से हमें सीख मिलती है कि लालच हमें अंधे बना देता है और सही रास्ते से भटका देता है. विवेक से काम लेकर ही हम सुख और सफलता प्राप्त कर सकते हैं."

बेताल राजा विक्रम के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ. वो चालाकी से मुस्कुराया और बोला, "शायद आप सही कहते हैं, राजा विक्रम. लेकिन क्या लालच हमेशा बुरा होता है? कहानी अभी खत्म नहीं हुई है. जरा सुनिए..."

बेताल ने कहानी आगे बढ़ाई, "कुछ साल बाद, धनाढ्य के बेटे, शिवम, बड़े हो गए. वो एक होनहार युवक थे. एक दिन, शिवम को खेलते समय जंगल में वही गुफा मिल गई. उन्हें गुफा के अंदर जाने की जिज्ञासा हुई. वो गुफा के अंदर चले गए और वहां सोने का ढेर देखकर दंग रह गए."

"शिवम को याद आया कि उनके पिता ने उन्हें बचपन में एक जादुई सिक्के के बारे में बताया था. उन्हें लगा कि शायद यही खजाना उनके पिता को मिला था. वो सोने का एक थैला भरकर वापस लौटने लगे. तभी, अचानक वही बूढ़ा साधु सामने आ गया."

साधु ने शिवम को रोका और पूछा, "बच्चे, तुम यह सोना क्यों ले जा रहे हो?" शिवम ने बताया कि ये खजाना उनके पिता का है. साधु मुस्कुराया और बोला, "तुम्हारे पिता लालच के कारण खजाना नहीं ले सके, लेकिन उन्होंने ईमानदारी का पाठ सीखा. उन्होंने वही एक सिक्का लेकर संतान सुख प्राप्त किया. तुम भी ईमानदारी का रास्ता चुनो."

शिवम ने साधु की बात मानी और सारा सोना वापस रख दिया. साधु उनकी ईमानदारी से खुश हुए और उन्हें एक खास शक्ति प्रदान की. वो शक्ति थी - किसी भी बीमारी को ठीक करने की क्षमता.

शिवम उस शक्ति से गरीबों और लाचारों की मदद करने लगे. वो एक प्रसिद्ध वैद्य बन गए. उनकी ईमानदारी और सेवाभाव से उनका नाम पूरे राज्य में फैल गया.

यह सुनकर राजा विक्रम दंग रह गए. उन्होंने सोचा कि लालच भले ही गलत है, लेकिन कभी-कभी उसकी वजह से कुछ अच्छा भी हो सकता है.

बेताल का पेचीदा सवाल

अब राजा विक्रम, आप ही बताइए, क्या लालच हमेशा बुरा होता है? या कभी-कभी वो अच्छे परिणाम भी दे सकता है?

राजा विक्रम ने बेताल की कहानी सुनकर गंभीरता से कहा, "बेताल, आपकी बात कुछ सच है. धनाढ्य की लालच ने उन्हें भले ही खजाना न दिलाया, लेकिन वो ईमानदारी का पाठ सीख गए. वहीं, उनके बेटे शिवम की ईमानदारी ने उन्हें एक विशेष शक्ति दिला दी. इससे पता चलता है कि लालच भले ही शुरुआत में अच्छा लगे, परंतु अंत में दुःख ही देता है. वहीं, ईमानदारी का रास्ता कठिन जरूर हो सकता है, लेकिन वो सच्ची खुशी और सम्मान दिलाता है."

बेताल की असहमति

राजा विक्रम ने बेताल के असंतुष्ट भाव को भांप लिया. उन्होंने कहा, "शायद मेरे उत्तर में कुछ कमी रह गई है, बेताल. आप और बताइए, लालच के बारे में मेरी सोच में क्या सुधार होना चाहिए?"

बेताल मुस्कुराया, "राजा विक्रम, आप एक बुद्धिमान राजा हैं. आपने सही कहा कि लालच हमेशा बुरा नहीं होता, लेकिन यह एक तलवार की धार जैसा है. सही इस्तेमाल से यह सफलता दिला सकता है, लेकिन गलत इस्तेमाल से विनाश ला सकता है."

राजा विक्रम का बुद्धिमानी भरा जवाब

राजा विक्रम, बेताल की कहानी सुनकर चिंतन में डूब गए. उन्होंने अंततः गंभीर स्वर में उत्तर दिया, "बेताल, आपकी कहानी सार्थक है. लालच एक धोखेबाज है, जो हमें चमकदार वस्तु दिखाकर रास्ते से भटका देता है. शिवम की कहानी सीख देती है कि लालच चाहे जितना भी लुभावना लगे, क्षणिक लाभ के लिए ईमानदारी का त्याग करना कभी भी सही नहीं होता. इस कहानी से स्पष्ट है कि लालच भले ही कभी सफलता का रास्ता दिखाए, परंतु वो असफलता और दुःख की ओर ही ले जाता है. वहीं, ईमानदारी का मार्ग कठिन जरूर हो सकता है, लेकिन यही सच्चा सुख, सम्मान और सफलता दिलाता है."

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