कुबेर का दिया, मिट्टी में मिला - बेताल की पहेली और राजा विक्रम का जवाब! Vikram Betal ki Kahani

बेताल पच्चीसी की यह कहानी एक धनी व्यापारी और उसके मूर्ख बेटे की है। बेटे को अचानक से धन की प्राप्ति होती है, पर क्या वह उसे संभाल पाएगा? कहानी हमें सिखाती है कि दूरदर्शिता, संयम और परिश्रम का जीवन में क्या महत्व है।

कुबेर का दिया, मिट्टी में मिला - बेताल की पहेली और राजा विक्रम का जवाब! Vikram Betal ki Kahani

रात का सफर Vikram Betal ki Kahani

राजा विक्रमादित्य, हमेशा की तरह, रात के सन्नाटे में श्मशान की ओर जा रहे थे। उनके कंधे पर लटका हुआ था, बेताल का भयानक रूप। हर रात बेताल एक कहानी सुनाता और फिर पेचीदा सवाल पूछता।

व्यापारी और उसका बेटा

बेताल ने कहानी शुरू की। जंगल में रहने वाला एक धनी व्यापारी संतानहीन था। बुढ़ापे में उसे एक बेटा हुआ, जिसे उसने राजकुमार की तरह पाला। बड़ा होकर, बेटा घमंडी और आलसी निकला। उसे सिवाय ऐशो-आराम के कुछ नहीं आता था। एक दिन व्यापारी बीमार पड़ा और मरने से पहले उसने सारी दौलत बेटे को सौंप दी।

बेताल का सवाल

कहानी को रोचक मोड़ देते हुए, बेताल ने राजा विक्रम से पूछा, "हे राजा, बताओ, उस बेटे के साथ आगे क्या हुआ होगा?"

राजा विक्रम का जवाब

राजा विक्रम, कहानी के सार को समझते हुए बोले, "वह मूर्ख बेटा अपनी सारी दौलत जल्द ही फुंकेगा। आलसी होने के कारण वह कमाना नहीं सीख पाएगा। अंततः उसे गरीबी और पछतावे का सामना करना पड़ेगा।"

बुद्धि का सम्मान

बेताल, राजा विक्रम के जवाब से संतुष्ट हुआ। उसने हंसते हुए कहा, "तू सही कहता है, राजा। धन का सही सदुपयोग न करने वाला व्यक्ति हमेशा दुखी होता है।"

कहानी से हम कई सीख ले सकते हैं:

दूरदर्शिता का महत्व: कहानी हमें सिखाती है कि दूरदर्शिता का जीवन में बहुत महत्व है। धनी व्यापारी को एक संतान की प्राप्ति तो हुई, लेकिन भविष्य की सोच ना होने के कारण उसने अपने बेटे को कमाना नहीं सिखाया।
संयम और परिश्रम की सीख: कहानी इस बात पर भी बल देती है कि सुख-सुविधाओं के बीच पलने से व्यक्ति संयमी और मेहनती नहीं बन पाता। बेटे को ऐशो-आराम की आदत पड़ने के कारण वह कठिन परिश्रम करना नहीं सीखा।
धन का सही सदुपयोग: कहानी का मुख्य संदेश यही है कि धन का सही सदुपयोग करना ज़रूरी है। बेटे को धन का सही उपयोग करना नहीं आता था, इसलिए वह सारी दौलत जल्दी ही खो देता है।
विवेकपूर्ण निर्णय लेना: कहानी हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में विवेकपूर्ण निर्णय लेना ज़रूरी है। व्यापारी का यह फैसला कि वह अपने बेटे को कमाना नहीं सिखाएगा, गलत साबित होता है।

कुल मिलाकर, यह कहानी हमें जिम्मेदार बनने, कठिन परिश्रम करने और धन का सही उपयोग करने का पाठ देती है।

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