सम्राट अशोक: चक्रवर्ती सम्राट और बौद्ध धर्म के प्रचारक! Biography of Samrat Ashoka in Hindi with FAQs

सम्राट अशोक, जिन्हें "चक्रवर्ती सम्राट" के नाम से भी जाना जाता है, मौर्य साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक थे। उनका शासनकाल ईसा पूर्व 268 से ईसा पूर्व 232 तक रहा, और इस दौरान...

सम्राट अशोक: चक्रवर्ती सम्राट और बौद्ध ध...
सम्राट अशोक: चक्रवर्ती सम्राट और बौद्ध ध...


सम्राट अशोक का प्रारंभिक जीवन और सत्ता में वृद्धि:

  • अशोक का जन्म मौर्य सम्राट बिंदुसार के पुत्रों में से एक के रूप में हुआ था। उनकी जन्म तिथि अज्ञात है, लेकिन माना जाता है कि वह अपने सौ से अधिक भाइयों में से एक थे।
  • युवावस्था में, उन्हें उज्जैन प्रांत का प्रशासक नियुक्त किया गया था।
  • कलिंग युद्ध (ईसा पूर्व 261), जो उस समय के इतिहास में सबसे खूनी युद्धों में से एक था, में उनकी भूमिका विवादित है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उन्होंने सेनापति के रूप में युद्ध का नेतृत्व किया, जबकि अन्य का मानना है कि वह युद्ध के दौरान वहां मौजूद नहीं थे।
  • युद्ध की भयावहता से अशोक गहराई से प्रभावित हुए और उन्होंने हिंसा का त्याग करने और बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला किया।

सम्राट अशोक का बौद्ध धर्म को अपनाना और प्रचार:

  • कलिंग युद्ध के बाद, अशोक बौद्ध धम्म के अनुयायी बन गए। धम्म, जिसका अर्थ "कर्तव्य" या "पवित्र जीवन" होता है, नैतिकता और अहिंसा पर केंद्रित है।
  • उन्होंने पूरे भारत में शिलालेख और स्तंभ खड़े करके बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये शिलालेख धम्म के सिद्धांतों का वर्णन करते हैं और लोगों को अहिंसा, सत्यता, दान और दयालुता का पालन करने का उपदेश देते हैं।
  • उन्होंने बौद्ध धर्म को फैलाने के लिए मिशनरियों को भी विदेशों में भेजा।

सम्राट अशोक का शासन और प्रशासन:

  • अशोक एक धर्मात्मा और कल्याणकारी शासक थे। उन्होंने अपने साम्राज्य में शांति और समृद्धि कायम करने के लिए कई कदम उठाए।
  • उन्होंने सड़कों, कुओं और चिकित्सालयों का निर्माण करवाया।
  • उन्होंने अपने साम्राज्य में रहने वाले सभी लोगों के कल्याण के लिए कानून बनाए।
  • उन्होंने जानवरों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया और वनस्पति के संरक्षण के लिए कदम उठाए।

सम्राट अशोक की विरासत:

सम्राट अशोक को इतिहास में भारत के सबसे महान शासकों में से एक माना जाता है। उन्हें बौद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में और एक ऐसे शासक के रूप में जाना जाता है जिसने अपने लोगों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उनके शिलालेख प्राचीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं और आज भी उनकी धार्मिक सहिष्णुता और अहिंसा का संदेश प्रासंगिक है।

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