प्राचीन यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक डायोजनीज़ की जीवनी और प्रेरणादायक जीवन यात्रा! Diogenes Biography

डायोजनीज़ (Diogenes of Sinope) प्राचीन यूनान के एक प्रसिद्ध दार्शनिक थे, जिन्हें उनकी अतिसंयम और साधारण जीवनशैली के लिए जाना जाता है। वे सिनोप (अब तुर्की) में लगभग 412 या 404 ईसा प...

प्राचीन यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक डायोज...
प्राचीन यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक डायोज...


डायोजनीज़, सिनिसिज़्म (Cynicism) नामक दार्शनिक विचारधारा के प्रमुख प्रवर्तक माने जाते हैं, जिसने सुख-समृद्धि और सामाजिक प्रतिष्ठा को त्यागने और साधारण जीवन जीने पर बल दिया।

डायोजनीज़ का प्रारंभिक जीवन

डायोजनीज़ का जन्म एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता एक सिक्का बनाने वाले थे, लेकिन डायोजनीज़ के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्हें एक घोटाले के कारण सिनोप से निर्वासित कर दिया गया। इसके बाद वे एथेंस चले गए, जहां उन्होंने प्रसिद्ध दार्शनिक एंटिसथेनिज़ (Antisthenes) के शिष्य बने। एंटिसथेनिज़ का विचारधारा समाज के पारंपरिक मानदंडों और मूल्यों को खारिज करने पर आधारित थी, और यही विचारधारा डायोजनीज़ के जीवन का आधार बनी।

दार्शनिक विचारधारा

डायोजनीज़ का मानना था कि मनुष्य को समाज के द्वारा स्थापित भौतिक सुख-सुविधाओं और दिखावे से मुक्त होकर प्रकृति के साथ सामंजस्य में जीवन व्यतीत करना चाहिए। उन्होंने अत्यंत साधारण जीवन जीने का आह्वान किया और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सर्वोच्च मूल्य माना। उनके अनुसार, नैतिकता और सद्गुण का पालन करना ही जीवन का असली उद्देश्य होना चाहिए।

डायोजनीज़ का जीवन स्वयं उनकी विचारधारा का एक उदाहरण था। वे एक साधारण टब में रहते थे और अपनी अधिकांश जरूरतों को न्यूनतम रखते थे। उन्होंने सामाजिक रीतियों और शिष्टाचार का उपहास उड़ाते हुए जीवन व्यतीत किया, जो उनके समय के समाज के लिए अजीब और अस्वीकार्य था।

प्रसंग और कहानियाँ

डायोजनीज़ के जीवन से जुड़ी कई कहानियाँ प्रसिद्ध हैं। उनमें से एक यह है कि उन्होंने दिन के उजाले में भी एक लालटेन जलाकर "ईमानदार मनुष्य" की खोज की थी। उनका यह कृत्य समाज में फैले पाखंड और अनैतिकता पर कटाक्ष था।

एक और प्रसिद्ध प्रसंग तब का है जब सिकंदर महान ने उनसे पूछा कि वह उनके लिए क्या कर सकते हैं। डायोजनीज़ ने जवाब दिया, "मेरे सामने से हट जाओ, क्योंकि तुम मेरी धूप को रोक रहे हो।" यह घटना डायोजनीज़ के स्वाभिमान और उनकी स्वतंत्रता के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है।

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