गुरु नानक देव: सिख धर्म के प्रथम गुरु! जीवन और कार्यों पर एक नज़र Biography of Guru Nanak Dev in Hindi with FAQs

गुरु नानक देव जी (1469-1539) सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु थे। उनका जीवन आध्यात्मिकता, सामाजिक सुधार और मानवता के संदेश से परिपूर्ण था। आइए उनके जीवन और कार्यों पर एक नज़र डाल...

गुरु नानक देव: सिख धर्म के प्रथम गुरु! ज...
गुरु नानक देव: सिख धर्म के प्रथम गुरु! ज...


जन्म और प्रारंभिक जीवन:

गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 ईस्वी में तलवंडी (वर्तमान पाकिस्तान) नामक स्थान पर हुआ था। उनका जन्म नाम नानक था। उनके पिता मेहता कालू जी त्रेहान खत्री थे और माता तृप्ता देवी थीं। बचपन से ही गुरु नानक जी गंभीर विचारों वाले और धार्मिक प्रवृत्ति के थे। उन्हें सांसारिक चीजों में कम और आध्यात्मिक खोज में ज्यादा रुचि थी।

ईश्वरीय अनुभूति:

युवावस्था में गुरु नानक देव जी को एक दिव्य अनुभव हुआ। वह रावी नदी के किनारे ध्यान में लीन थे, तभी उन्हें अलौकिक ज्योति का दर्शन हुआ और उन्हें ईश्वर का संदेश प्राप्त हुआ। इस अनुभव के बाद उन्होंने अपना जीवन ईश्वर की भक्ति और सत्य का प्रचार करने के लिए समर्पित कर दिया।

भ्रमण और उपदेश:

गुरु नानक देव जी ने जीवन भर भ्रमण किया और लोगों को उपदेश दिए। उन्होंने भारत, तिब्बत, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के कई क्षेत्रों की यात्रा की। अपने भ्रमणों के दौरान उन्होंने विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का अध्ययन किया और लोगों को सहिष्णुता, भाईचारा और एक ईश्वर की उपासना का संदेश दिया।

सिख धर्म की स्थापना:

अपने भ्रमणों के दौरान गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की नींव रखी। उन्होंने "ੴ (इक ओंकार)" अर्थात "एक ईश्वर" के सिद्धांत का प्रचार किया। उन्होंने जाति-पाति भेद, मूर्तिपूजा और आडंबरों का विरोध किया। उन्होंने "नाम जपो, कीर्त करो, वंड छाक (ईश्वर का नाम जपो, ईमानदारी से कमाओ और जरूरतमंदों के साथ साझा करो)" के मूल मंत्र का उपदेश दिया।

गुरुद्वारों की स्थापना:

गुरु नानक देव जी ने सिखों के लिए एक सामुदायिक केंद्र के रूप में गुरुद्वारों की स्थापना की। गुरुद्वारों में सभी धर्मों के लोगों का स्वागत किया जाता था, और वहां लंगर (सामुदायिक भोजन) की परंपरा शुरू की गई।

गुरु परंपरा की शुरुआत:

अपने जीवन के अंतिम वर्षों में गुरु नानक देव जी ने गुरु अंगद देव जी को अपना उत्तराधिकारी चुना और सिख धर्म की गुरु परंपरा की शुरुआत की।

विरासत:

गुरु नानक देव जी का सिख धर्म के विकास में अमूल्य योगदान रहा है। उनके उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं और विश्व शांति एवं मानवता के संदेश का प्रचार करते हैं। उन्हें सिख धर्म के गुरु के रूप में ही नहीं, बल्कि एक महान संत और समाज सुधारक के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।

अतिरिक्त जानकारी:

  • गुरु नानक देव जी की जन्मदिन को प्रकाश पर्व या गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है।
  • गुरु वाणी नामक ग्रंथ में उनके उपदेशों को संकलित किया गया है।
  • गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को "गुरुबाणी" के रूप में जाना जाता है।
जानकारी
विवरण

जन्म

कार्तिक पूर्णिमा, 1469 ईस्वी (वर्तमान पाकिस्तान में तलवंडी)

जन्म का नाम

नानक

माता-पिता

पिता: मेहता कालू जी, माता: तृप्ता देवी

धर्म

सिख धर्म के संस्थापक

उपदेश

"ੴ (इक ओंकार)" अर्थात "एक ईश्वर"

विरोध

जाति-पाति भेद, मूर्तिपूजा, आडंबर

मूल मंत्र

"नाम जपो, कीर्त करो, वंड छाक" (ईश्वर का नाम जपो, ईमानदारी से कमाओ और जरूरतमंदों के साथ बाँटो)

स्थापना

गुरुद्वारा (सामुदायिक केंद्र) और लंगर (सामुदायिक भोजन) की परंपरा

उत्तराधिकारी

गुरु अंगद देव जी

जयंती

प्रकाश पर्व या गुरु नानक जयंती

उपदेश संग्रह

गुरु वाणी

शिक्षाएं

गुरुबाणी

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