रस्किन बॉन्ड: पहाड़ों के आगोश में कलम चलाने वाले लेखक! जीवन परिचय और उपलब्धियां Ruskin Bond Biography
रस्किन बॉन्ड हिंदी और अंग्रेजी भाषा के जाने-माने लेखक हैं, जिन्होंने अपनी मनमोहनी कहानियों से पाठकों के दिलों में खास जगह बनाई है. आइए, उनके जीवन और रचनाओं की यात्रा पर एक नज़र डाल...
जीवनी Last Update Tue, 23 July 2024, Author Profile Share via
रस्किन बॉन्ड प्रारंभिक जीवन:
- रस्किन बॉन्ड का जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था। उनके पिता अंग्रेज थे और रॉयल एयरफोर्स में अधिकारी थे। उनकी माता एंग्लो-इंडियन थीं।
- बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद रस्किन बॉन्ड का शिमला, जामनगर, मसूरी, देहरादून और लंदन जैसे विभिन्न शहरों में उनका पालन-पोषण हुआ।
- रस्किन बॉन्ड अग्रेज़ी मूल के लेखक हैं। उन्होने बिशप कॉटन नामक धर्मशाला में अभ्यास किया। उनकी बहन का नाम इलन बॉण्ड और भाई का नाम विल्यम बॉण्ड है।
शिक्षा और प्रारंभिक लेखन:
- रस्किन बॉन्ड ने अपनी स्कूली शिक्षा शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से प्राप्त की।
- बचपन से ही उन्हें लिखने का शौक था। उन्होंने 16-17 साल की उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था।
- उनकी पहली प्रकाशित रचना एक छोटी कहानी थी, जो उन्होंने 17 साल की उम्र में 'द सिग्नेट प्रेस' को भेजी थी।
लेखन शैली और रचनाएँ:
- रस्किन बॉन्ड की लेखन शैली सरल, सहज और रोचक है। उनकी कहानियों में प्रकृति, पहाड़, वन्यजीव और पहाड़ी लोगों का जीवन बड़े ही सुंदर तरीके से चित्रित होता है।
- उन्होंने बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए कई उपन्यास, कहानियां और निबंध लिखे हैं। उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में शामिल हैं:
उपन्यास:
"द रूम ऑन द रूफ"
"द ब्लू अम्ब्रेला"
"सूरज का सातवां घोड़ा"
कहानी संग्रह:
"गोलपूर के दिन"
"पहाड़ों का बचपन"
"नन्हीं चड्डी"
उनकी रचनाओं का कई भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी में भी अनुवाद हो चुका है।
सम्मान और उपलब्धियाँ
रस्किन बॉन्ड को उनके लेखन के लिए कई सम्मानों से नवाजा गया है, जिनमें शामिल हैं-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (2014)
- पद्म श्री (1999)
- पद्म भूषण (2014)
वर्तमान जीवन
- वर्तमान में रस्किन बॉन्ड मसूरी के पास लैंगडाउन में रहते हैं।
- 90 साल की उम्र पार करने के बाद भी वह लिखना जारी रखे हुए हैं।
रस्किन बॉन्ड का महत्व
- रस्किन बॉन्ड ने अपने लेखन के माध्यम से पाठकों को पहाड़ों की खूबसूरती, प्रकृति से जुड़ाव और साधारण जीवन के सुख का अनुभव कराया है।
- उनकी रचनाएँ पाठकों को बचपन की यादों में ले जाती हैं और उन्हें सकारात्मकता का पाठ पढ़ाती हैं।
- पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने में भी उनके लेखन का महत्वपूर्ण योगदान है।
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