बादलों के बारे में कुछ अनोखे और रोचक तथ्य! Interesting facts about Clouds

आपने आसमान में कभी ना कभी तो बादलों को देखा ही होगा! ये फूली हुई रुई के समान प्रतीत होते हैं, लेकिन इनके बारे में बहुत कुछ रोचक है जो शायद आप नहीं जानते होंगे। आज हम बादलों के बारे...

बादलों के बारे में कुछ अनोखे और रोचक तथ्...
बादलों के बारे में कुछ अनोखे और रोचक तथ्...


बादलों के बारे में कुछ अनोखे और रोचक तथ्य

हवा में तैरता भारी भरकम द्रव्यमान: जी हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा! कोमल दिखने वाले बादल दरअसल काफी वजनदार होते हैं। एक बड़े तूफानी बादल का वजन लाखों टन तक पहुंच सकता है! हवाई जहाजों को इतनी ऊंचाई पर उड़ने में सक्षम बनाने वाली चीज़ों में से एक हवा का दबाव होता है, और बादल इसी दबाव को प्रभावित कर सकते हैं।

पानी के चक्र का नृत्य: पृथ्वी पर पानी लगातार अपना रूप बदलता रहता है, और इस चक्र में बादल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सूर्य की गर्मी से पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है, वही वाष्प ऊपर ठंडी हवा में पहुंचकर बादलों का रूप ले लेता है। बाद में ये बादल ही वर्षा या हिमपात के रूप में ज़मीन पर लौट आते हैं।

आकार बदलने का जादू: आपने कभी गौर किया है कि बादल लगातार अपना आकार बदलते रहते हैं? हवाओं के रुख के अनुसार वे खिंचते हैं, फैलते हैं और कभी-कभी तो घुमते हुए भी नज़र आते हैं। यही कारण है कि कभी हमें आसमान में रुई जैसे दिखने वाले बादल दिखाई देते हैं, तो कभी पहाड़ों के समान विशाल बादल भी देखने को मिलते हैं।

ऊंचाई के अनुसार भेद: यह जानना भी रोचक है कि विभिन्न ऊंचाईयों पर पृथ्वी के वायुमंडल में अलग-अलग तरह के बादल बनते हैं। ऊँचे स्तरों पर बनने वाले बादल, जैसे पंखों जैसे दिखने वाले सिरस (Cirrus) बादल, बारीक बर्फ के कणों से मिलकर बने होते हैं। वहीं निचले स्तरों पर बनने वाले बादल, जैसे गरज के साथ बारिश लाने वाले क्यूम्यलस बादल, पानी की बूंदों से बने होते हैं।

आने वाले मौसम की खबर: आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बादल दरअसल मौसम की भविष्यवाणी करने में हमारी मदद भी कर सकते हैं! उदाहरण के लिए, काले, घने बादल अक्सर आने वाली तेज बारिश का संकेत देते हैं, वहीं सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आसमान में लाल या नारंगी रंग के बादल देखने को मिलते हैं।

बिजली का कारखाना: जब बहुत बड़े बादल बनते हैं, उनके अंदर पानी की बूंदें, बर्फ के कण और ओले आपस में टकराते रहते हैं. इस टकराहट से विद्युत आवेश का निर्माण होता है और अंततः बिजली चमकती है और गरजने की आवाज़ पैदा होती है।

हवाई जहाज के रास्ते में रुकावट: हवाई जहाज बहुत ऊंचाई पर उड़ते हैं, लेकिन ये रास्ता बादलों से भी होकर गुजरता है। वायुमंडल के ऊपरी हिस्सों में बनने वाले कुछ प्रकार के बादल, जैसे सिरस (Cirrus) बादल जहाजों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। इन बादलों में जमे हुए बर्फ के छोटे कण विमानों के पंखों पर जम जाते हैं, जिससे उड़ान में दिक्कत आ सकती है।

वायु प्रदूषण का प्रभाव: क्या आप जानते हैं कि वायु प्रदूषण का बादलों पर भी असर पड़ता है? प्रदूषण के कारण वायुमंडल में छोटे-छोटे धूल कण बढ़ जाते हैं। ये कण बादलों के बनने में सहायक की तरह काम करते हैं, यानी प्रदूषित वातावरण में तेजी से बादल बन सकते हैं।

नामकरण का विज्ञान: आपने देखा होगा कि बादलों के अलग-अलग नाम होते हैं, जैसे सिरस (Cirrus), स्ट्रैटस (Stratus), क्यूम्यलस (Cumulus) वगैरह। ये नाम बादलों की आकृति, ऊंचाई और बनने की प्रक्रिया के आधार पर रखे जाते हैं। वैज्ञानिकों ने बादलों को वर्गीकृत करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय बादल वर्गीकरण प्रणाली (International Cloud Atlas) भी बनाई है।

पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करते हैं: बादल पृथ्वी के तापमान को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऊंचे बादल सूर्य के विकिरण को परावर्तित कर वापस अंतरिक्ष में भेज देते हैं, जिससे पृथ्वी गर्म नहीं होती। वहीं निचले बादल पृथ्वी से निकलने वाली विकिरण को रोककर वातावरण को गर्म रखने में मदद करते हैं।

चमकीले रातों का राज: आपने कभी गौर किया है कि रात में आसमान में बादल होने पर चांद और तारे कम दिखाई देते हैं? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बादल रात में पृथ्वी से निकलने वाली ऊष्मा को वापस रोक लेते हैं, जिससे आसमान का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है। यह गर्म हवा प्रकाश को थोड़ा मोड़ देती है, जिस वजह से हमें तारे टिमटिमाते हुए कम स्पष्ट दिखाई देते हैं।

इंद्रधनुषी बादल: आपने शायद आम बादल ही देखे होंगे, लेकिन दुनिया में एक दुर्लभ बादल भी पाया जाता है जिसे इंद्रधनुषी बादल (Iridescent Cloud) कहते हैं। इनका रंग असल में बादलों की बूंदों या बर्फ के कणों के आकार और सूर्य के प्रकाश के कोण के कारण बनता है। ये बादल देखने में वाकई इंद्रधनुषी चमक लिए हुए होते हैं।

बिजली पैदा करने वाले बादल: जी हां, कुछ खास तरह के बादलों को "थंडरस्टॉर्म" (Thunderstorm) या गरज के साथ तूफान लाने वाले बादल कहते हैं। इन बादलों में बिजली गिरने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। इन बादलों के अंदर बर्फ के कण और पानी की बूंदें आपस में टकराकर आवेश उत्पन्न करती हैं, जिससे बिजली पैदा होती है।

अंतरिक्षीय बादल भी मौजूद: यह जानकर आपको शायद आश्चर्य होगा कि बादल सिर्फ पृथ्वी पर ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी पाए जाते हैं। ये बादल तारों और गैस के विशाल बादलों से मिलकर बने होते हैं और इनका निर्माण का तरीका पृथ्वी के बादलों से काफी अलग होता है।

भविष्यवाणी में सहायक: आजकल मौसम विभाग आधुनिक तकनीक की मदद से मौसम की भविष्यवाणी करता है, लेकिन प्राचीन काल से ही लोग बादलों को देखकर मौसम का अंदाजा लगाते आ रहे हैं। बादलों के प्रकार, रंग और दिशा के आधार पर यह जाना जा सकता है कि आने वाले समय में बारिश होगी, धूप खिलने वाली है या तूफान आने का खतरा है।

बादलों के विविध रूप: आकार और ऊंचाई के आधार पर वर्गीकरण

बादल आसमान में भले ही बेतरतीब से तैरते हुए दिखाई देते हों, लेकिन वैज्ञानिक उन्हें उनके आकार, ऊंचाई और बनने की प्रक्रिया के आधार पर वर्गीकृत करते हैं. आइए जानें बादलों के प्रमुख प्रकारों को:

ऊच्च स्तरीय बादल (High-Level Clouds): ये बादल पृथ्वी के वायुमंडल के सबसे ऊपरी हिस्से में, 8 से 18 किलोमीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। इन बादलों में अत्यधिक कम तापमान होता है, इसलिए ये मुख्यतः बर्फ के कणों से मिलकर बने होते हैं।

सिरोस्ट्रेटस (Cirrostratus): ये पतली चादरनुमा बादल होते हैं, जो सूर्य या चांद के चारों ओर एक हल्का प्रकाश का घेरा बना सकते हैं।

सिरोकम्युलस (Cirrocumulus): ये छोटे-छोटे गोलाकार या लहरदार पैचनुमा बादल होते हैं, जिन्हें कभी-कभी "मैकेरल आकाश" (Mackerel sky) के नाम से जाना जाता है।

मध्य स्तरीय बादल (Mid-Level Clouds): ये 2 से 8 किलोमीटर की ऊंचाई पर बनते हैं और इनका निर्माण पानी की बूंदों और बर्फ के कणों के मिश्रण से होता है।

आल्टोस्ट्रेटस (Altostratus): ये ग्रे या नीले रंग की चादरनुमा बादल होते हैं, जो सूर्य या चांद को पूरी तरह से ढक सकते हैं। इनसे कभी-कभी हल्की बूंदाबांदी हो सकती है।

आल्टोक्यूम्युलस (Altocumulus): ये मध्यम आकार के गोलाकार या लहरदार बादल होते हैं, जिन्हें कभी-कभी " भेड़ों का झुंड" (Flock of sheep) के रूप में वर्णित किया जाता है।

निचले स्तरीय बादल (Low-Level Clouds): ये जमीन से 2 किलोमीटर से भी कम ऊंचाई पर बनते हैं और मुख्यतः पानी की बूंदों से मिलकर बने होते हैं। ये बादल ही अधिकांशतः बारिश लाते हैं।

स्ट्रैटस (Stratus): ये धुंध जैसी दिखने वाली ग्रे रंग की चादरें होती हैं, जो सूर्य को पूरी तरह से ढक लेती हैं। इनसे हल्की बूंदाबांदी या बूँदें गिर सकती हैं।

स्ट्रैटोक्यूम्युलस (Stratocumulus): ये गोल या लहरदार पैचनुमा बादल होते हैं, जो अक्सर सुबह के समय आसमान में देखने को मिलते हैं।

क्यूम्यलस (Cumulus): ये विशाल फूल गोभी जैसे  दिखने वाले  सफ़ेद  बादल  होते हैं। ये अच्छे मौसम का संकेत देते हैं।

सिरस (Cirrus): ये पंख या बालों जैसे दिखने वाले महीन बादल होते हैं। आमतौर पर इनसे बारिश नहीं होती।

बादलों का आंतरिक जगत: संरचना का विज्ञान

बादल भले ही आसमान में बेसुध तैरते हुए दिखाई देते हों, लेकिन उनकी एक निश्चित संरचना होती है। आमतौर पर बादलों में तीन मुख्य परतें पाई जाती हैं:

आधार (Base): यह बादल का सबसे निचला भाग होता है। यही वह भाग होता है जिसे हम जमीन से देख पाते हैं।

मुख्य पिंड (Body): यह बादल का मुख्य भाग होता है, जहां जल वाष्प संघनित होकर बूंदों या बर्फ के कणों में बदल जाता है। बादल का आकार और घनत्व इसी मुख्य पिंड पर निर्भर करता है।

शीर्ष (Top): यह बादल का सबसे ऊपरी भाग होता है। ऊंचाई पर कम तापमान के कारण यह भाग अक्सर बर्फ के कणों से बना होता है।

बादलों के बनने की प्रक्रिया में हवा का ऊपर उठना महत्वपूर्ण होता है। जैसे-जैसे हवा ऊपर उठती है, वह ठंडी हो जाती है. यह ठंडी हवा अब उतना जल वाष्प नहीं धारण कर सकती, जिसके कारण जल वाष्प संघनित होकर छोटी बूंदों या बर्फ के कणों का रूप ले लेता है। ये छोटी बूंदें और कण मिलकर बादल का निर्माण करते हैं।

हवा के तापमान और आर्द्रता के आधार पर बादल अपना आकार बदलते रहते हैं. गर्म और आर्द्र हवा में बादल तेजी से बनते और बढ़ते हैं, जबकि ठंडी और शुष्क हवा में बादल जल्दी ही टूट जाते हैं।

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