कोयल: प्रकृति का मीठा स्वर! कोयल के अनसुने रोचक तथ्य! Amazing Facts About Koyal in Hindi with FAQs

कोयल, अपने मधुर गीत के लिए जानी जाने वाली एक खूबसूरत पक्षी है। यह भारत सहित एशिया और अफ्रीका के कई हिस्सों में पाई जाती है। गर्मियों के दिनों में कोयल की कूक सुबह की नींद खोलने और...

कोयल: प्रकृति का मीठा स्वर! कोयल के अनसु...
कोयल: प्रकृति का मीठा स्वर! कोयल के अनसु...


कोयल की पहचान

  • कोयल का आकार लगभग कबूतर के बराबर होता है।
  • इसके पंख ज्यादातर भूरे रंग के होते हैं, और सीने पर सफेद धारियां होती हैं।
  • नर कोयल का सिर काला होता है, जबकि मादा कोयल के सिर पर हल्का भूरा रंग होता है।
  • कोयल की सबसे खास पहचान इसकी मीठी और तेज आवाज है, जिसे हम अक्सर "कू-कू" के रूप में सुनते हैं।

कोयल का व्यवहार

  • कोयल घोंसला नहीं बनाती है। यह दूसरे पक्षियों, खासकर कौवे और मैना के घोंसलों में अपने अंडे दे देती है।
  • कोयल का बच्चा मेजबान पक्षी के बच्चों से पहले जल्दी से अंडे से बाहर निकल आता है और मेजबान पक्षी के बच्चों को धीरे-धीरे घोंसले से बाहर फेंक देता है।
  • मेजबान पक्षी कोयल के बच्चे को अपना बच्चा समझकर उसका पालन-पोषण करती है।
  • कोयल फल, कीड़े और छोटे जीवों को खाती है।

कोयल का सांस्कृतिक महत्व

  • भारत में कोयल को वसंत ऋतु का प्रतीक माना जाता है। इसकी मीठी कूक गर्मी के आगमन का संकेत देती है।
  • हिंदी साहित्य में भी कोयल का वर्णन मिलता है। कवियों ने कोयल की मधुर कूक की तारीफ करते हुए कई रचनाएं लिखी हैं।
  • कुछ आदिवासी समुदायों में कोयल को पवित्र पक्षी माना जाता है।

कोयल के बारे में रोचक तथ्य

  • कोयल की लगभग 130 उप-जातियां पाई जाती हैं।
  • नर कोयल ही गाते हैं, मादाएं नहीं गातीं।
  • कोयल की आवाज की नकल करना बहुत मुश्किल होता है।
  • कुछ कोयल प्रवासी पक्षी होती हैं, जो सर्दियों में गर्म इलाकों की ओर चली जाती हैं।

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