विवेक और संकल्प की परीक्षा - बेताल की पहेली और राजा विक्रम का जवाब! Vikram Betal ki Kahani A Short Story
बेताल ने राजा को एक कहानी सुनाई जिसमें सच्चे प्रेम, सच्चे मित्र, और सच्चे राजा की परिभाषा बताई गई। राजा विक्रमादित्य ने सही उत्तर देकर बेताल को संतुष्ट किया और अपनी बुद्धिमानी और ध...
कहानियाँ Last Update Sun, 28 July 2024, Author Profile Share via
राजा विक्रमादित्य एक बार फिर श्मशान की ओर जा रहे थे। उनके कंधे पर लटका हुआ था कुख्यात बेताल। हर रात की तरह, बेताल एक कहानी सुनाता और फिर एक पेचीदा सवाल पूछता।
विवेक और संकल्प की परीक्षा
बेताल ने राजा से कहा, "राजा विक्रमादित्य, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ, अगर तुमने सही उत्तर दिया तो मैं वापस अपने स्थान पर चला जाऊँगा।"
राजा विक्रमादित्य ने बेताल की बात सुनी और चुपचाप उसकी कहानी सुनने लगे। बेताल ने कहानी शुरू की:
"एक समय की बात है, एक नगर में राजा वीरसेन का शासन था। उस नगर में एक सुंदर और बुद्धिमान राजकुमारी रहती थी जिसका नाम मधुमालती था। राजकुमारी की बुद्धिमता की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी। एक दिन राजकुमारी ने अपने पिता से कहा, 'पिताजी, मैं उस व्यक्ति से विवाह करूंगी जो तीन कठिन प्रश्नों का सही उत्तर देगा।'
राजा वीरसेन ने इस शर्त को नगर में घोषणा करवा दी। बहुत से राजा और राजकुमार राजकुमारी के प्रश्नों का उत्तर देने आए, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका। एक दिन एक साधारण युवक जिसका नाम आर्यमन था, वह राजकुमारी के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए आया।
राजकुमारी ने पहला प्रश्न पूछा, 'सच्चा प्रेम क्या है?' आर्यमन ने उत्तर दिया, 'सच्चा प्रेम वही है जिसमें एक-दूसरे की खुशियों का ख्याल रखा जाए, न कि केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति हो।'
राजकुमारी ने दूसरा प्रश्न पूछा, 'सच्चा मित्र कौन है?' आर्यमन ने उत्तर दिया, 'सच्चा मित्र वही है जो संकट के समय में साथ खड़ा हो, चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न आए।'
राजकुमारी ने तीसरा और अंतिम प्रश्न पूछा, 'सच्चा राजा कौन है?' आर्यमन ने उत्तर दिया, 'सच्चा राजा वही है जो न्यायप्रिय हो, प्रजावत्सल हो, और अपने प्रजाजनों की भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहे।'
आर्यमन के उत्तर सुनकर राजकुमारी बहुत प्रभावित हुई और उसने अपने पिता से विवाह की अनुमति मांगी। राजा वीरसेन ने उनकी शादी की घोषणा की और दोनों का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ।"
कहानी समाप्त कर बेताल ने राजा विक्रमादित्य से पूछा, "राजा, बताओ, आर्यमन के उत्तर क्या सही थे?"
राजा विक्रमादित्य ने उत्तर दिया, "हाँ, आर्यमन ने सही उत्तर दिए। सच्चा प्रेम, सच्चा मित्र और सच्चा राजा वही होता है जो दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे।"
सच्चा प्रेम क्या है?
राजा विक्रमादित्य ने कहा कि सच्चा प्रेम वही है जिसमें एक-दूसरे की खुशियों का ख्याल रखा जाए, न कि केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति हो। इसका मतलब है कि सच्चे प्रेम में निःस्वार्थ भाव होना चाहिए। एक-दूसरे की भावनाओं, इच्छाओं और जरूरतों का सम्मान करना सच्चे प्रेम का मूल तत्व है। सच्चा प्रेम न केवल भौतिक सुख-सुविधाओं तक सीमित होता है, बल्कि इसमें भावनात्मक और मानसिक समर्थन भी शामिल होता है।
सच्चा मित्र कौन है?
राजा विक्रमादित्य ने उत्तर दिया कि सच्चा मित्र वही है जो संकट के समय में साथ खड़ा हो, चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न आए। सच्ची मित्रता वही होती है जो कठिन समय में अपनी वास्तविक पहचान दिखाती है। एक सच्चा मित्र वही होता है जो न केवल अच्छे समय में बल्कि मुश्किल समय में भी आपके साथ खड़ा रहता है। वह आपके दुख-सुख का साथी होता है और आपकी भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहता है।
सच्चा राजा कौन है?
राजा विक्रमादित्य ने कहा कि सच्चा राजा वही है जो न्यायप्रिय हो, प्रजावत्सल हो, और अपने प्रजाजनों की भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहे। सच्चे राजा का मुख्य उद्देश्य अपने प्रजा के हितों की रक्षा करना और उन्हें न्याय प्रदान करना होता है। एक अच्छा शासक वही होता है जो अपने लोगों के सुख-दुख का ख्याल रखता है, उनके अधिकारों की रक्षा करता है और समाज में समानता और न्याय की स्थापना करता है।
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