दादी की कहानी: पहाड़ों की रानी, रानी रजवाड़ी और उनके सोने का शहर! Short Story in Hindi

सर्दियों की शाम, दादी की गोद में बैठकर कहानी सुनना बचपन की सबसे प्यारी यादों में से एक होता है। अनम के लिए भी यही बात थी। इस कहानी में, दादी अनम को पहाड़ों की रानी, रानी रजवाड़ी की...

दादी की कहानी: पहाड़ों की रानी, रानी रजव...
दादी की कहानी: पहाड़ों की रानी, रानी रजव...


दादी की कहानी

अनम हिमाचल के एक छोटे से गांव में रहती थी। सर्दियों की एक शाम, वह दादी के पास अलाव के पास बैठी हुई थी। हवा ठंडी थी और आग की गर्मी सुखद लग रही थी। अनम ने दादी से कोई कहानी सुनाने का आग्रह किया। दादी मुस्कुराई और कहने लगी, "बच्ची, आज तुम्हें पहाड़ों की रानी, रानी रजवाड़ी की कहानी सुनाती हूँ।"

खोया हुआ शहर

दादी ने बताया कि पहाड़ों में कहीं दूर, घने जंगलों के बीच में, सोने का एक शहर हुआ करता था। उस शहर में रानी रजवाड़ी राज करती थीं। रानी बहुत दयालु थीं और उनकी प्रजा उनसे बहुत प्यार करती थी। उनके राज्य में हमेशा खुशहाली रहती थी।

लालची राजा

लेकिन एक पड़ोसी राज्य का राजा बहुत लालची था। उसे सोने के शहर के बारे में पता चला और उसने उसे हथियाने की ठानी। उसने अपनी विशाल सेना के साथ रानी रजवाड़ी पर हमला कर दिया। रानी की सेना कमजोर थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी रानी के लिए बहादुरी से लड़ाई की।

जादुई नदी

लंबे युद्ध के बाद भी रानी हार नहीं मानीं। आखिर उन्होंने एक फैसला किया। उन्होंने अपने महल के पीछे बहने वाली जादुई नदी की शरण ली। माना जाता था कि यह नदी राजा को सोने के शहर का रास्ता कभी नहीं बताएगी। रानी ने नदी से प्रार्थना की और नदी उनकी पुकार सुन ली।

सोने का अभिशाप (The Curse of Gold)

नदी का पानी अचानक उफान पर आ गया और उसने सोने के शहर को अपनी लहरों में समा लिया। रानी रजवाड़ी और उनकी प्रजा पहाड़ों में कहीं खो गईं। लालची राजा को सिवाय खाली जमीन के कुछ नहीं मिला। कहते हैं कि आज भी पूर्णिमा की रात को, पहाड़ों में नदी के किनारे सोने की चमक देखी जा सकती है।

दादी ने कहानी खत्म की और अनम की तरफ देखा। अनम की आंखें कहानी के जादू में खोई हुई थीं। दादी ने कहा, "बच्ची, ये कहानी हमें सिखाती है कि लालच कभी अच्छा नहीं होता। रानी रजवाड़ी के पास सब कुछ था, लेकिन उन्होंने लालच के आगे नहीं झुकीं।"

यादें

अनम ने सिर हिलाया। वह जानती थी कि दादी की कहानियों में हमेशा कोई न कोई सीख होती है। वह इस कहानी को कभी नहीं भूलेगी और ना ही रानी रजवाड़ी के त्याग को। हर पूर्णिमा की रात, वह खिड़की से बाहर आसमान को देखेगी, सोने के शहर की कल्पना करती हुई।

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