चिड़िया का उपहार - पत्थर का जादू! The Magic of the Stone Inspiring Short Story in Hindi
चिड़िया का अनोखा तोहफा! रंगीन फूलों वाला बगीचा रखने वाले रामू को एक चिड़िया ने दिया जादुई पत्थर। इस कहानी में जानिए कैसे इस पत्थर ने रामू की बीमारी को दूर किया और सिखाया दयालुता का...
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कहानियाँ Last Update Thu, 19 December 2024, Author Profile Share via
चिड़िया का उपहार - पत्थर का जादू
रामू एक दयालु वृद्ध माली थे। वह बगीचे की देखभाल करते थे, जहां रंग-बिरंगे फूल खिलते थे और मीठी खुशबू फैलती थी। रामू को पक्षियों से बहुत लगाव था। वह हमेशा उनके लिए बगीचे में दाना-पानी रखता थे।
एक सुबह, रामू बगीचे में घूम रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक छोटी चिड़िया उनके पास आई और हाथ में एक चमकदार पत्थर रख दिया। रामू हैरान रह गए। उन्होंने चिड़िया को धन्यवाद दिया और उस पत्थर को ध्यान से देखा।
पत्थर बिल्कुल चिकना और नीला था। उसकी चमक सूरज की रोशनी में और भी बढ़ जाती थी। रामू को समझ नहीं आया कि चिड़िया उन्हें यह पत्थर क्यों दे गई।
कुछ दिनों बाद, रामू बगीचे में काम कर रहे थे, तभी तेज बारिश शुरू हो गई। वह जल्दी से टूल शेड की तरफ भागे, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही वह पूरी तरह भीग चुके थे। रामू ठंड से कांपने लगे और उन्हें बुखार आ गया।
बीमार होने के कारण रामू कई दिनों तक बगीचे में नहीं जा सके। वह बिस्तर पर पड़े हुए उदास होकर सोच रहे थे कि तभी उनकी पत्नी कमरे में आई। उनके हाथ में वही नीला पत्थर था, जो चिड़िया ने उन्हें दिया था।
पत्नी ने रामू को वह पत्थर देते हुए कहा, "यह पत्थर बहुत गर्म है। इसे अपने सीने पर रखो, तुम्हें जल्दी आराम मिलेगा।"
रामू ने पत्थर को अपने सीने पर रखा और उन्हें अचंभा हुआ। पत्थर से एक सुखद गर्मी निकल रही थी, जिसने धीरे-धीरे उनकी ठंड दूर कर दी। कुछ ही देर में, उन्हें काफी आराम महसूस हुआ।
कुछ दिनों बाद, रामू पूरी तरह स्वस्थ हो गए। वह बगीचे में लौटे और चिड़िया को ढूंढने लगे। उन्हें चिड़िया एक पेड़ की टहनी पर बैठी मिली। रामू ने चिड़िया को धन्यवाद दिया और कहा, "तुमने मुझे जो नीला पत्थर दिया, उसने मेरी बहुत मदद की।"
चिड़िया ने मीठी सी चहचहाहट कर जवाब दिया, मानो रामू की बात समझ रही हो।
रामू समझ गए कि चिड़िया ने उन्हें दयालुता और देखभाल के बदले में एक अनोखा उपहार दिया था। यह पत्थर न सिर्फ सुंदर था, बल्कि उनके लिए किसी जादुई ताबीज की तरह भी काम आया था।
यह कहानी हमें सिखाती है कि दयालुता का फल हमेशा मीठा होता है। अच्छे कर्मों का बदला कभी न कभी जरूर मिलता है, चाहे वह किसी इंसान से हो या किसी जानवर से।
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