जैसी करनी वैसी भरनी: कर्मों की 10+ कहानियाँ! Jaisi Karni Vaisi Bharni, Short Stories in Hindi with Moral
क्या आपने कभी सुना है "जैसी करनी वैसी भरनी" (Jaisi Karni Vaisi Bharni)? यह लेख इसी कहावत को जीवंत करता है, दस छोटी कहानियों के माध्यम से। ये कहानियां उन पात्रों का सफर दिखाती हैं,...
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कहानियाँ Last Update Thu, 19 December 2024, Author Profile Share via
जैसी करनी वैसी भरनी: कर्मों की 10+ कहानियाँ
कहानी 1: दयालु और परोपकारी रमा
एक बार की बात है, एक गाँव में रमा नाम की एक लड़की रहती थी। रमा दयालु और परोपकारी स्वभाव की थी। वह हमेशा जरूरतमंदों की मदद करती थी। एक दिन, रमा जंगल से लकड़ी इकट्ठा कर रही थी, तभी उसे एक बूढ़ी औरत दिखाई दी। बूढ़ी औरत थकी हुई और भूखी थी। रमा ने उसे अपने घर ले जाकर खाना और पानी दिया। बूढ़ी औरत रमा की दयालुता से बहुत प्रभावित हुई। उसने रमा को एक जादुई बीज दिया और कहा, "यह बीज तुम्हारी दयालुता का फल देगा। इसे अपने बगीचे में लगाओ और इसकी अच्छी देखभाल करो।"
रमा ने बूढ़ी औरत का धन्यवाद किया और बीज को अपने बगीचे में लगा दिया। रमा ने बीज की बहुत अच्छी देखभाल की। रोज सुबह, वह उसे पानी देती और उसकी मिट्टी को ढीला करती। कुछ ही दिनों में, बीज अंकुरित हो गया और एक सुंदर पौधा बन गया। पौधे पर खूबसूरत फूल खिले। रमा बहुत खुश थी।
एक दिन, रमा बगीचे में फूलों को देख रही थी, तभी उसने देखा कि एक गाय उसके बगीचे में घुस आई है और फूलों को खा रही है। रमा को गुस्सा आ गया। उसने गाय को भगाने के लिए पत्थर फेंका। पत्थर गाय के पैर में लग गया और गाय घायल हो गई।
रमा को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसे पछतावा हुआ कि उसने गाय को पत्थर मारा। उसने गाय की घाव पर दवा लगाई और उसे चारा खिलाया। गाय रमा की दयालुता से बहुत प्रभावित हुई।
कुछ दिनों बाद, रमा ने देखा कि पौधे पर एक फल लगा है। फल बहुत बड़ा और सुंदर था। रमा ने फल को तोड़ा और उसे अंदर ले गई। उसने फल को काटा और देखा कि उसके अंदर सोने के सिक्के भरे हुए हैं।
रमा बहुत खुश थी। उसे एहसास हुआ कि जैसी करनी वैसी भरनी। उसने अपनी दयालुता से दूसरों की मदद की और उसे बदले में फल मिला।
नैतिकता:
जैसी करनी वैसी भरनी। हम जो कर्म करते हैं, उसका फल हमें जरूर मिलता है।
कहानी 2: चालाक लोमड़ी और ईमानदार कबूतर
एक घने जंगल में, एक चालाक लोमड़ी रहती थी। लोमड़ी को कभी किसी की मदद करने में यकीन नहीं था। वह हमेशा दूसरों को धोखा देकर अपना फायदा उठाती थी।
एक दिन, लोमड़ी को बहुत तेज बारिश हो गई। वह भीग चुकी थी और भूखी भी थी। पास ही एक पेड़ पर एक कबूतर बैठा हुआ था। लोमड़ी ने कबूतर से मदद मांगी। कबूतर एक ईमानदार पक्षी था। उसने लोमड़ी को अपने घोंसले में आने का आग्रह किया।
लोमड़ी घोंसले में गई और आराम से सूखी। कबूतर ने उसे फल और कीड़े लाकर खिलाए। लोमड़ी पूरी तरह से स्वस्थ हो गई, लेकिन उसका लालच जागा। उसने सोचा कि कबूतर के घोंसले में ही रहकर उसके सारे दाने खा लेगी।
लोमड़ी ने कबूतर को धोखा देने की योजना बनाई। उसने कबूतर से कहा कि वह बीमार है और उड़ नहीं सकती। कबूतर ने उस पर विश्वास कर लिया और दूर-दूर से उसके लिए भोजन लाने लगा।
एक दिन, जंगल से एक शेर गुजरा। उसने देखा कि कबूतर बार-बार एक ही पेड़ पर जाता है। शेर पेड़ के नीचे छिप गया और कबूतर के आने का इंतजार करने लगा।
जब कबूतर भोजन लेने आया, तो शेर ने उस पर हमला कर दिया। कबूतर भागने लगा, लेकिन शेर ने उसे पकड़ लिया। तभी, पेड़ से लोमड़ी निकली और हंसने लगी।
लेकिन लोमड़ी की खुशी ज्यादा देर नहीं टिकी। शेर ने लोमड़ी को देखा और उस पर भी हमला कर दिया। उसने सोचा कि लोमड़ी और कबूतर मिलकर कोई जाल बिछा रहे हैं। लोमड़ी को अपनी चालाकी की वजह से ही सजा मिली।
नैतिकता: जैसी करनी वैसी भरनी। दूसरों को धोखा देने से कभी फायदा नहीं होता।
कहानी 3: ईर्ष्यालु मोर और मेहनती चिड़िया
जंगल में एक खूबसूरत मोर रहता था। उसके पास रंगीन पंख थे, लेकिन वह बहुत ईर्ष्यालु था। वह हमेशा दूसरे पक्षियों की खूबियों से जलता था।
एक दिन, मोर ने एक छोटी सी चिड़िया को देखा जो बहुत मेहनत से घोंसला बना रही थी। मोर ने चिड़िया से पूछा, "तुम इतनी मेहनत क्यों कर रही हो? तुम्हारा घोंसला इतना छोटा और साधारण है।"
चिड़िया ने जवाब दिया, "मैं अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित घर बना रही हूं। भले ही मेरा घोंसला छोटा हो, लेकिन यह प्यार और मेहनत से बना है।"
मोर चिड़िया की बातों से और भी ज्यादा जल गया। उसने सोचा कि वह चिड़िया से भी ज्यादा खूबसूरत घोंसला बनाएगा। उसने जंगल से सबसे चमकदार पत्ते और फूल इकट्ठा किए। उसने घोंसला बनाने में जल्दबाजी की और उसे ठीक से मजबूत नहीं बनाया।
कुछ दिनों बाद, तेज हवा चली। मोर का घोंसला हवा में उड़ गया और उसका सारा सामान बिखर गया। मोर को बहुत दुख हुआ। उसे एहसास हुआ कि सिर्फ दिखावे से फायदा नहीं होता। मेहनत और लगन से किया गया काम ही सफल होता है।
नैतिकता: जैसी करनी वैसी भरनी। हमें दूसरों से जलने के बजाय मेहनत करनी चाहिए। ईर्ष्या से कभी कुछ हासिल नहीं होता।
कहानी 4: सहायक बंदर और स्वार्थी शेर
एक घने जंगल में, एक शेर राजा था। वह बहुत ताकतवर था, लेकिन दूसरों की मदद करना पसंद नहीं करता था। वह हमेशा दूसरों से काम करवाता और खुद आराम फरमाता।
जंगल में एक चतुर बंदर भी रहता था। बंदर हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था। एक दिन, शेर शिकार के लिए जंगल में गया, लेकिन उसका पैर एक जाल में फंस गया। शेर जोर लगाकर निकलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह जाल से छूट नहीं पा रहा था।
तभी, बंदर शेर को फंसा हुआ देखकर पेड़ से नीचे आया। उसने शेर को जाल से निकालने में मदद की। शेर बंदर का शुक्रिया अदा करना भूल गया और गुस्से से बोला, "तू यहां क्या कर रहा है? जल्दी भाग जा, नहीं तो तुझे अपना शिकार बना लूंगा!"
बंदर शेर की बात सुनकर हैरान रह गया। उसने शेर को बताया कि उसने उसकी मदद की है। शेर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने बंदर से माफी मांगी।
कुछ दिनों बाद, शेर को एक गहरी खाई पार करनी थी। शेर खुद खाई पार नहीं कर सकता था। बंदर ने शेर को पीठ पर बिठाकर खाई पार करवाई। इस बार शेर ने बंदर का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।
उस दिन से, शेर ने दूसरों की मदद करना सीख लिया। वह समझ गया कि जैसी करनी वैसी भरनी। दूसरों की मदद करने से ही कभी-कभी हमें भी मदद मिलती है।
कहानी 5: ईमानदार किसान और लालची व्यापारी
एक गाँव में एक ईमानदार किसान रहता था। वह हमेशा मेहनत करता था और सच्चे दिल से कमाई करता था। गाँव में ही एक लालची व्यापारी भी रहता था। वह हमेशा दूसरों को धोखा देकर ज्यादा पैसा कमाने की कोशिश करता था।
एक दिन, किसान के खेत में बहुत अच्छी फसल हुई। वह अपनी फसल लेकर बाजार गया। रास्ते में, उसकी मुलाकात लालची व्यापारी से हुई। व्यापारी ने किसान को धोखा देने की योजना बनाई।
व्यापारी ने किसान से कहा कि उसकी तराजू खराब है। उसने किसान को कम तौल में गेहूं बेचने के लिए मजबूर किया। किसान को व्यापारी की बातों पर शक हुआ, लेकिन वह व्यापारी से बहस नहीं करना चाहता था।
बाजार से लौटते समय, किसान एक संत से मिला। किसान ने संत को सारी बात बताई। संत ने किसान को सलाह दी कि वह ईमानदारी का रास्ता चुने।
अगले दिन, किसान फिर से बाजार गया। इस बार, उसने राजा के दरबार में जाकर सारी बात बता दी। राजा ने व्यापारी को सजा दी और किसान को ईमानदारी के लिए सम्मानित किया।
इस घटना के बाद, गाँव के सभी लोगों को पता चल गया कि जैसी करनी वैसी भरनी। ईमानदारी का रास्ता ही सही रास्ता है। लालची व्यापारी को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने ईमानदारी से काम करने का वादा किया।
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