असफलता से सीखें, आसमान छूने का हौसला कहानी Motivational Short Story in Hindi

यह कहानी आपको वही जज्बा जगाने के लिए है। पढ़िए मनोज की कहानी, जिससे सीखें कि कैसे असफलता से सबक लेकर सफलता की ऊंचाईयों को छुआ जा सकता है।

असफलता से सीखें, आसमान छूने का हौसला कहा...
असफलता से सीखें, आसमान छूने का हौसला कहा...


असफलता से सीखें, आसमान छूने का हौसला

मनोज एक हंसमुख और जिज्ञासु लड़का था। उसे पतंग उड़ाने का बहुत शौक था। हर रोज शाम ढलते ही वह छत पर जाकर रंगीन पतंगों को आसमान में नाचता हुआ देखता। एक दिन, उसके पिताजी उसे बाजार से एक खूबसूरत, लाल रंग की पतंग लाकर दिए। मनोज खुशी से उछल पड़ा।

उसने तुरंत छत पर दौड़ लगाई और पतंग को हवा में उड़ाने की कोशिश की। परन्तु, हवा कमजोर थी और पतंग जमीन से कुछ ही ऊपर उठी और फिर वापस आ गिरी। मनोज ने हार नहीं मानी। उसने बार-बार कोशिश की, लेकिन हर बार पतंग जमीन पर आ गिरी। निराश होकर, वह छत के कोने में जाकर बैठ गया।

आंसू भरी आंखों से उसने आसमान की ओर देखा, जहां ऊंची-ऊंची इमारतों को छूती हुई दूसरी पतंगें लहरा रही थीं। मनोज को लगा कि उसकी पतंग कमजोर है, इसीलिए वह नहीं उड़ पा रही है। उसी समय, उसके पीछे से एक आवाज आई। यह उसके पिताजी थे।

पिताजी ने मनोज के कंधे पर हाथ रखा और पूछा, "क्या हुआ, बेटा? पतंग क्यों नहीं उड़ रही?" मनोज ने निराश होकर बताया कि उसने बहुत कोशिश की, लेकिन पतंग जमीन से ऊपर नहीं जा पा रही है। पिताजी मुस्कुराए और बोले, "बेटा, पतंग उड़ने के लिए सिर्फ मजबूत धागा और अच्छी पतंग ही काफी नहीं होती। हवा की जरूरत भी होती है।"

मनोज को उनकी बात समझ में आ गई। उसने पूछा, "तो क्या अब मैं इसे उड़ा नहीं सकता?" पिताजी ने कहा, "नहीं बेटा। थोड़ा इंतजार कर। अभी हवा कमजोर है। जब तेज हवा चलेगी, तब हम फिर कोशिश करेंगे।"

शाम ढलने के कुछ देर बाद, हवा में थोड़ी तेज गति आई। पिताजी ने मनोज को पतंग पकड़ा दी और कहा, "अब कोशिश कर।" मनोज ने पतंग को हवा में छोड़ा। इस बार हवा ने पतंग को सहारा दिया और वह ऊपर उठने लगी। थोड़ी देर में वह ऊंची इमारतों के बराबर पहुंच गई। मनोज खुशी से चिल्ला उठा। उसका चेहरा हवा से लहराते हुए पतंग की तरह चमक रहा था।

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