दादी का तोहफा! प्यार और त्याग की कहानी A Short Inspirational Story in Hindi

जानिए दादी का तोहफा सिर्फ एक तोहफा नहीं, बल्कि प्यार, त्याग और जीवन के अनमोल सबक का प्रतीक कैसे बन जाता है। पूरी कहानी पढ़कर प्रेरणा लें और अपने सपनों को पाने की राह पर चलें!

दादी का तोहफा! प्यार और त्याग की कहानी A...
दादी का तोहफा! प्यार और त्याग की कहानी A...


दादी का तोहफा! प्यार और त्याग की कहानी

शीतल एक दस साल की जिज्ञासु लड़की थी। उसे नई चीजें सीखना और दुनिया घूमना बहुत पसंद था। एक दिन, शीतल ने अपनी दादी से पूछा, "दादी, आप कभी स्कूल नहीं गईं, फिर भी आप इतनी सारी कहानियाँ कैसे जानती हैं?"

दादी ने मुस्कुराते हुए कहा, "बच्ची, स्कूल ज़रूरी है, लेकिन सीखने का एक ही रास्ता नहीं होता। मैंने ज़िंदगी के तजुर्बे से बहुत कुछ सीखा है।"

शीतल को दादी की बात समझ नहीं आई। दादी ने उसे बताया कि कैसे उन्होंने बचपन में गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा सकीं। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने घर के कामों में मदद की, खेतों में काम किया और दूसरों से कहानियाँ सुनकर सीखती रहीं।

कुछ दिनों बाद, शीतल की परीक्षा थी। वह बहुत घबराई हुई थी। दादी ने उसे आश्वासन दिया और कहा, "शीतल, मेहनत करो और ईमानदार रहो। सफलता जरूर मिलेगी।"

शीतल ने दादी की बात मानी और परीक्षा की तैयारी में लग गई। उसने दिन-रात मेहनत की और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए। शीतल बहुत खुश हुई और दादी को गले लगा लिया।

उस रात, दादी ने शीतल को एक छोटा सा डिब्बा दिया। डिब्बा खोलकर शीतल हैरान रह गई। डिब्बे में एक खूबसूरत घड़ी थी। दादी ने बताया कि यह घड़ी उन्होंने बचपन में देखी थी और उसे बहुत पसंद आई थी। लेकिन गरीबी के कारण वह कभी नहीं खरीद सकीं।

शीतल को दादी का तोहफा समझ आ गया। यह सिर्फ एक घड़ी नहीं थी, बल्कि दादी के प्यार, त्याग और शिक्षा का प्रतीक थी। शीतल ने दादी को गले लगा लिया और वादा किया कि वह हमेशा मेहनत करेगी और अपने सपनों को पूरा करेगी।

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