धीमी और स्थिर दौड़ - खरगोश और कछुए की कहानी The Story of Rabbit and Turtle

हम सभी बचपन में खरगोश और कछुए की दौड़ की कहानी सुनते हुए बड़े हुए हैं। यह एक प्रसिद्ध कहानी है जो हमें धैर्य, दृढ़ता और मेहनत के महत्व के बारे में सिखाती है।

धीमी और स्थिर दौड़ - खरगोश और कछुए की कह...
धीमी और स्थिर दौड़ - खरगोश और कछुए की कह...


खरगोश और कछुए की दौड़ की कहानी

कहानी एक तेज दौड़ने वाले खरगोश और एक धीमे चलने वाले कछुए के बीच एक दौड़ के बारे में है। खरगोश अपनी गति के लिए जाना जाता था, जबकि कछुआ धीमा और स्थिर था। दौड़ शुरू होने से पहले, हर कोई खरगोश को जीत का दावेदार मानता था।

दौड़ शुरू हुई और खरगोश ने तेज गति से दौड़ लगाई। कुछ दूर दौड़ने के बाद, उसे लगा कि वह बहुत आगे निकल गया है। इसलिए, उसने आराम करने का फैसला किया और एक पेड़ के नीचे सो गया।

दूसरी ओर, कछुआ धीमी लेकिन लगातार चलता रहा। वह कभी नहीं रुका और धीरे-धीरे अपनी गति से आगे बढ़ता रहा। जब खरगोश सो गया, तो कछुआ धीरे-धीरे उससे आगे निकल गया।

जब खरगोश जागा, तो उसने देखा कि कछुआ लगभग फिनिश लाइन पर पहुंच चुका है। उसने जल्दी से उठकर दौड़ना शुरू किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ फिनिश लाइन पार कर चुका था और दौड़ जीत गया था।

सीख:

खरगोश और कछुए की कहानी हमें कई महत्वपूर्ण सबक देती है:

  • धीमी और स्थिर दौड़ जीतता है: कहानी हमें सिखाती है कि सफलता हमेशा गति के बारे में नहीं होती। कभी-कभी, धैर्य, दृढ़ता और निरंतर प्रयास अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
  • आत्मविश्वास से ज्यादा जरूरी है मेहनत: कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि केवल आत्मविश्वास ही काफी नहीं है। सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत और निरंतर प्रयास करना जरूरी है।
  • छोटे-छोटे कदम भी मायने रखते हैं: कहानी हमें यह सिखाती है कि छोटे-छोटे कदम भी लंबी यात्रा में अहम भूमिका निभाते हैं। निरंतर प्रगति ही सफलता की ओर ले जाती है।

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