रानी की दुकान: छोटी सी दुकान, बड़े दिल की कहानी! A Small Hindi Story with Moral

रानी की दुकान सिर्फ गांव की दुकान नहीं, बल्कि दया, उम्मीद और खुशी का केंद्र है. इस कहानी में जानिए कैसे रानी दादी एक घायल चिड़िया की मदद करती हैं और उससे हम क्या सीख सकते हैं.

रानी की दुकान: छोटी सी दुकान, बड़े दिल क...
रानी की दुकान: छोटी सी दुकान, बड़े दिल क...


रानी की दुकान

गाँव में सबसे छोटी सी दुकान थी रानी की दुकान. रानी दादी खुद दुकान चलाती थीं. उनकी झुरिदार चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती थी. दुकान के बाहर एक बूढ़ा पीपल का पेड़ था, जिसकी ठंडी छाँव में बैठकर गाँव के लोग अक्सर रानी दादी की कहानियाँ सुनते थे.

घायल चिड़िया

एक दिन, एक छोटी सी चिड़िया रानी की दुकान के बाहर गिरी. उसकी टांग टूट गई थी. गाँव के बच्चों ने चिड़िया को उठाकर रानी दादी के पास लाया. रानी दादी ने चिड़िया को ध्यान से देखा और उसे एक छोटे से डिब्बे में रखकर रूई से उसकी टांग को बांधा. बच्चों ने पूछा, "रानी दादी, यह चिड़िया कब उड़ पाएगी?"

रानी दादी ने मुस्कुराते हुए कहा, "जब उसका घोंसला उसे बुलाएगा."

दया और देखभाल

कुछ दिनों तक रानी दादी ने चिड़िया की देखभाल की. उसे दाने खिलाए, पानी पिलाया और उसकी टांग को साफ रखा. धीरे-धीरे चिड़िया ठीक होने लगी.

घर वापसी

एक सुबह, रानी दुकान खोलने आईं तो देखा चिड़िया डिब्बे में नहीं थी. उसकी जगह पर एक छोटा सा पंख का टुकड़ा रखा था. रानी दादी जान गईं चिड़िया स्वस्थ होकर अपने घर वापस चली गई है.

मिठाई और खुशियाँ

उस दिन रानी की दुकान पर मिठाई बंटी. बच्चों ने खुशी से मिठाई खाई और रानी दादी की दुकान फिर से कहानियों और हँसी से गूंज उठी.

Also Read: दादी की कहानी: पहाड़ों की रानी, रानी रजवाड़ी और उनके सोने का शहर! Short Story in Hindi

चर्चा में