स्वर्ग का सबसे आसान रास्ता - बेताल की पहेली और राजा विक्रम का जवाब!
बेताल पच्चीसी की इस कहानी में, बेताल राजा विक्रम से स्वर्ग जाने का सबसे आसान रास्ता पूछता है। राजा विक्रम बेताल की पहेली को टालते हुए, धर्म की सच्ची परिभाषा समझाते हैं।

कहानियाँ Last Update Sun, 28 July 2024, Author Profile Share via
बेताल की शर्त और राजा विक्रम की परीक्षा
राजा विक्रमादित्य एक चिलचिलाती दोपहर में घने जंगल से गुजर रहे थे। अचानक, एक ऊँचे पेड़ की डाल पर लटका हुआ एक भयानक बेताल उनकी नजरों में आया। बेताल ने राजा को देखते ही कहा, "महाराज! आप धर्म और अधर्म को बखूबी समझते हैं। तो बताइए, स्वर्ग जाने का सबसे आसान रास्ता क्या है?"
राजा विक्रम जानते थे कि बेताल की बातों में फंसना नहीं चाहिए। उन्होंने बेताल को जवाब देने से पहले उसकी शर्त पूछी। बेताल ने कहा, "महाराज, यदि आप मेरी इस पहेली का जवाब दे पाए, तो मैं पेड़ से नीचे उतर जाऊंगा। लेकिन, अगर आप गलत जवाब देंगे, तो आपको मेरा भोजन बनना होगा!"
राजा विक्रम ने बेताल की शर्त स्वीकार कर ली। उन्हें पता था कि बेताल की पहेली सीधी नहीं होगी, उसमें कोई गहरा अर्थ छिपा होगा।
जटिल पहेली
राजा विक्रम ने गंभीर स्वर में कहा, "बेताल, मैं तुम्हारा जवाब दूंगा, लेकिन इससे पहले तुम मुझे ये बताओ कि स्वर्ग जाने का रास्ता कोई एक ही क्यों हो? हर व्यक्ति अलग होता है, उसके जीवन का सफर भी अलग होता है। क्या स्वर्ग तक पहुंचने के कई रास्ते नहीं हो सकते?"
बेताल चौंक गया। उसने सोचा नहीं था कि राजा विक्रम उसकी पहेली को टालने की कोशिश करेंगे। बेताल ने मुस्कुराते हुए कहा, "महाराज, आप बिल्कुल सही कहते हैं। स्वर्ग तक पहुंचने के कई रास्ते हो सकते हैं। लेकिन, मैं आपसे सबसे आसान रास्ता जानना चाहता हूँ।"
राजा का जवाब
राजा विक्रम ने कुछ देर सोचा और फिर कहा, "बेताल, स्वर्ग जाने का सबसे आसान रास्ता है - अपना कर्तव्य निष्ठा से पूरा करना।"
बेताल ने आश्चर्य से पूछा, "कर्तव्य? लेकिन कर्तव्य तो हर किसी का अलग होता है। राजा का कर्तव्य प्रजा की रक्षा करना है, वहीं एक किसान का कर्तव्य अन्न उपजाना है।"
राजा विक्रम ने समझाते हुए कहा, "बेताल, कर्तव्य चाहे कोई भी हो, उसे निष्ठा से पूरा करना ही सबसे बड़ा धर्म है। जब कोई व्यक्ति अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, तो वह समाज का भला करता है, दूसरों की मदद करता है। यही सच्चा धर्म है और यही स्वर्ग जाने का सबसे आसान रास्ता है।"
बेताल स्तब्ध रह गया। राजा विक्रम ने न सिर्फ उसकी पहेली का जवाब दिया, बल्कि उसे धर्म का सच्चा अर्थ भी समझाया।
कहानी का सार
यह बेताल पच्चीसी की एक कहानी है, जो हमें सिखाती है कि धर्म कोई कर्मकांड नहीं है। यह हमारे कर्तव्यों को ईमानदारी से पूरा करने में निहित है। यही वह रास्ता है जो हमें जीवन में सफलता और मोक्ष दोनों दिलाता है।
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