महावीर स्वामी: जीवन परिचय(Mahavir Swami Biography in Hindi)
महावीर स्वामी (Mahavir Swami), जिन्हें वर्धमान भी कहा जाता है, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। उनका जन्म ईसा पूर्व 540 या 542 में कुंदग्राम (वैशाली, बिहार) में हुआ। उनके पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला थीं। जैन ग्रंथों में वर्णित है कि माता त्रिशला ने पुत्र के जन्म से पहले 14 शुभ स्वप्न देखे थे। इन्हीं कारणों से बालक का नाम वर्धमान रखा गया। बाद में वे महावीर (Great Warrior) के नाम से प्रसिद्ध हुए।
प्रारंभिक जीवन
महावीर स्वामी बचपन से ही संवेदनशील और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। उन्हें hinsa aur bhog-vilas में रुचि नहीं थी। वे करुणा, दया और spiritual growth की ओर अग्रसर थे।
दीक्षा और कठोर तपस्या
28 वर्ष की आयु में माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने rajsi jeevan tyag दिया और Digambar Jain sant के रूप में दीक्षा ली। इसके बाद उन्होंने 12 years तक कठोर तपस्या की। इस दौरान वे नग्न अवस्था में रहते, बहुत कम भोजन करते और gahan dhyan aur atma-manan में लीन रहते।
केवलज्ञान की प्राप्ति (Mahavir Swami Keval Gyan)
लगातार 12 वर्षों की साधना के बाद, Mahavir Swami ko Keval Gyanपावापुरी (झारखंड) में एक साल वृक्ष के नीचे ध्यान करते समय प्राप्त हुआ। इसके बाद उन्हें सर्वज्ञ (omniscient) और निर्ग्रंथ (moh-maya se mukta) कहा जाने लगा।
उपदेश और योगदान (Teachings of Mahavir Swami)
महावीर स्वामी ने 30 years तक पूरे भारत में भ्रमण कर उपदेश दिए। उन्होंने Ahimsa (Non-violence), Satya (Truth), Asteya (Non-stealing), Brahmacharya (Celibacy) और Aparigraha (Non-possessiveness) को जीवन का आधार बनाया।
- Ahimsa Parmo Dharma hai – किसी जीव को कष्ट न देना।
- Satya bolo – सत्य पर डटे रहो।
- Chori mat karo – अस्तेय का पालन करो।
- Brahmacharya – इन्द्रियों पर नियंत्रण।
- Aparigraha – अनावश्यक वस्तुओं का त्याग।
उन्होंने varna vyavastha और वैदिक कर्मकांडों का विरोध किया और सभी प्राणियों के प्रति equal vision का उपदेश दिया। इस काल में उन्होंने Digambar Jain Dharma की स्थापना की।
निर्वाण (Mahavir Swami Nirvana)
ईसा पूर्व 468 में, 72 वर्ष की आयु में, Mahavir Swami ka nirvanaपावापुरी में हुआ। जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह सबसे पवित्र अवसर है।
महावीर जयंती (Mahavir Jayanti 2025)
महावीर स्वामी का जन्मदिवस महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसे जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन अनुयायी upvaas, pooja aur pravachan करते हैं।
महावीर स्वामी: व्यक्तिगत जानकारी
| पूरा नाम | वर्धमान महावीर |
| जन्म | ईसा पूर्व 540 या 542, कुंदग्राम (वैशाली, बिहार) |
| पिता | सिद्धार्थ |
| माता | त्रिशला |
| दीक्षा | 28 वर्ष की आयु में, दिगंबर जैन संत |
| तपस्या | 12 वर्षों तक कठोर साधना |
| केवलज्ञान | पावापुरी, झारखंड |
| धर्म | दिगंबर जैन धर्म |
| निर्वाण | ईसा पूर्व 468, पावापुरी |
| स्थान | जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर |
महावीर स्वामी की विरासत (Legacy of Mahavir Swami)
महावीर स्वामी की शिक्षाओं ने आगे चलकर Mahatma Gandhi जैसे महान नेताओं को भी प्रभावित किया। उनका संदेश ahimsa aur tyag आज भी modern world में प्रासंगिक है।

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