कोयल की पहचान
- कोयल का आकार लगभग कबूतर के बराबर होता है।
- इसके पंख ज्यादातर भूरे रंग के होते हैं, और सीने पर सफेद धारियां होती हैं।
- नर कोयल का सिर काला होता है, जबकि मादा कोयल के सिर पर हल्का भूरा रंग होता है।
- कोयल की सबसे खास पहचान इसकी मीठी और तेज आवाज है, जिसे हम अक्सर "कू-कू" के रूप में सुनते हैं।
कोयल का व्यवहार
- कोयल घोंसला नहीं बनाती है। यह दूसरे पक्षियों, खासकर कौवे और मैना के घोंसलों में अपने अंडे दे देती है।
- कोयल का बच्चा मेजबान पक्षी के बच्चों से पहले जल्दी से अंडे से बाहर निकल आता है और मेजबान पक्षी के बच्चों को धीरे-धीरे घोंसले से बाहर फेंक देता है।
- मेजबान पक्षी कोयल के बच्चे को अपना बच्चा समझकर उसका पालन-पोषण करती है।
- कोयल फल, कीड़े और छोटे जीवों को खाती है।
कोयल का सांस्कृतिक महत्व
- भारत में कोयल को वसंत ऋतु का प्रतीक माना जाता है। इसकी मीठी कूक गर्मी के आगमन का संकेत देती है।
- हिंदी साहित्य में भी कोयल का वर्णन मिलता है। कवियों ने कोयल की मधुर कूक की तारीफ करते हुए कई रचनाएं लिखी हैं।
- कुछ आदिवासी समुदायों में कोयल को पवित्र पक्षी माना जाता है।
कोयल के बारे में रोचक तथ्य
- कोयल की लगभग 130 उप-जातियां पाई जाती हैं।
- नर कोयल ही गाते हैं, मादाएं नहीं गातीं।
- कोयल की आवाज की नकल करना बहुत मुश्किल होता है।
- कुछ कोयल प्रवासी पक्षी होती हैं, जो सर्दियों में गर्म इलाकों की ओर चली जाती हैं।
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कोयल के अनसुने रोचक तथ्य
कोयल, अपनी मधुर कूक और अनोखे व्यवहार के लिए जानी जाती है, लेकिन उसके बारे में कई अनसुने रोचक तथ्य भी हैं। आइए, आज उन्हीं अनसुने तथ्यों पर गौर करें:
कोयल छलिया चोर नहीं, चालाक रणनीतिकार: भले ही कोयल को घोंसला न बनाने और दूसरे पक्षियों के घोंसलों में अंडे देने के लिए "चोर" कहा जाता है, लेकिन यह व्यवहार वास्तव में एक चालाक रणनीति है। कोयल के अंडे जल्दी से विकसित होते हैं और उसका बच्चा जल्दी निकलकर मेजबान पक्षी के बच्चों को धीरे-धीरे बाहर फेंक देता है।
विभिन्न गीतों का खजाना कोयल: कोयल की कूक सिर्फ "कू-कू" तक ही सीमित नहीं है। नर कोयल विभिन्न प्रकार की ध्वनियों का उपयोग करके जमीन पर भोजन की उपलब्धता, खतरे की चेतावनी, और मादाओं को आकर्षित करने के लिए संवाद करते हैं।
कोयल कीअद्भुत स्मृति: कोयल में अद्भुत स्मृति होती है। वे उस क्षेत्र को याद रख सकती हैं जहां उन्होंने पहले भोजन पाया था और बाद में उसी स्थान पर लौट सकती हैं।
कोयल के विविध आहार: कोयल सिर्फ फल और कीड़े ही नहीं खातीं, बल्कि वे छिपकली, सांप के बच्चे, और छोटे पक्षियों के अंडे भी खा सकती हैं।
प्राकृतिक कीटनाशक कोयल: कोयल के शरीर में कुछ खास रसायन होते हैं, जो मच्छरों और अन्य कीटों को दूर भगाने में मदद करते हैं।
कोयल की प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में भूमिका: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कोयल के अंडे खाने से मेजबान पक्षियों के शरीर में कुछ ऐसे प्रोटीन बनते हैं जो उन्हें कीट जनित रोगों से बचाते हैं। यह अप्रत्यक्ष रूप से मेजबान पक्षी आबादी के स्वस्थ रहने में योगदान देता है।
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