टैक्सी नंबर 56: बरसात की रात (Short Horror Story)
विकास देर रात को पार्टी से लौट रहा था। चारों तरफ घनघोर बारिश हो रही थी और सड़कें सुनसान पड़ी थीं। उसने कैब बुक करने की बहुत कोशिश की, लेकिन कहीं से भी कोई कैब नहीं मिली। तभी उसे दूर से एक पीली रोशनी दिखाई दी। एक पुरानी सी, काली टैक्सी धीमी गति से उसकी तरफ आ रही थी।
अचानक मदद
विकास ने राहत की सांस ली और टैक्सी को रुकवाया। टैक्सी का ड्राइवर एक बूढ़ा आदमी था। उसके चेहरे पर गहरी झुर्रियां थीं और आंखें बेजान सी लग रही थीं। टैक्सी के अंदर एक अजीब सी गंध थी, जैसे कुछ सड़ चुका हो। विकास जल्दी से घर का पता बताया और पीछे की सीट पर बैठ गया।
गलत रास्ता
टैक्सी चल पड़ी। विकास थका हुआ था और उसे नींद आने लगी। अचानक उसे एहसास हुआ कि टैक्सी गलत रास्ते पर जा रही है। उसने ड्राइवर से पूछा, "ये रास्ता कहाँ जाता है? मेरा घर तो दूसरी तरफ है।"
डरावनी आवाज
ड्राइवर ने पीछे मुड़े बिना धीमी आवाज में जवाब दिया, "रास्ता वही है, जो जाना है।" उसकी आवाज खुरदरी और डरावनी थी। विकास घबरा गया। उसने फिर पूछा, "आप मुझे कहाँ ले जा रहे हैं?"
इस बार ड्राइवर ने कोई जवाब नहीं दिया। टैक्सी एक सुनसान जंगल के बीच पहुंच गई। बारिश और भी तेज हो गई थी और चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था। विकास डर के मारे कांपने लगा। उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह किसी चीज से अटका हुआ था।

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