धनतेरस क्या है? इतिहास और महत्व
“धन” और “तेरस” शब्द मिलकर “धनतेरस” बनता है — जहाँ “धन” का अर्थ है संपत्ति और “तेरस” तेरहवाँ दिन। धनतेरस हिंदू पंचतत्व एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दीपावली पर्व की शुरुआत का संकेत देता है।
ऋषियों के समय से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है — संपदा और स्वास्थ्य की कामना लिए।
लोक-कथाएँ और पौराणिक कथाएँ
धनतेरस की सबसे प्रसिद्ध कहानी है राजा हिम के पुत्र की जिसे चार दिन के विवाह के बाद साँप के काटने से मरने की भविष्यवाणी थी। उसकी नवविवाहिता पत्नी ने सारी चतुराई लगाई — सोने-चाँदी और आभूषणों को बाहर रखा, दीप जलाये और रात भर कहानियाँ सुनाईं। जब यमराज साँप के रूप में आए वह आभूषणों की चमक से चकमका गए और कहानियाँ सुनते-सुनते समय निकल गया। परिणामस्वरूप पुत्र की जान बची और उसी रात से यह त्योहार मनाया जाने लगा।
इसके अलावा, समु्द्र मंथन की कथा कहती है कि इसी दिन देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। इस कारण धनतेरस को स्वास्थ्य और आयु से भी जोड़कर देखा जाता है।
धनतेरस 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
2025 में धनतेरस 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। तिथि दिन में आरंभ होकर अगली दोपहर तक रहेगी।
शुभ मुहूर्त (Lakshmi Puja काल) 7:16 PM to 8:20 PM बताया गया है।
महत्वपूर्ण समय और सलाह
- पूजा से पहले घर को अच्छी तरह साफ-सफाई करना चाहिए।
- दीप जलाना और यमदीपदान करना शुभ माना जाता है।
- लक्ष्मी जी की पूजा उसी मुहूर्त में करें जो सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है।
- सोने-चांदी या नए बर्तन खरीदना शुभ फल देता है।
- दिन में भोजन हल्का हो और शाम को हल्का फलाहार रखें।
धनतेरस की पूजा विधि: स्टेप बाय स्टेप
नीचे एक विशेष पूजा विधि दी जा रही है जिसे आप पालन कर सकते हैं:
1. तैयारी एवं स्थान चयन
पूजा स्थान साफ हो कपाट व दरवाजे खुले हों। गोमती चक्र, रोली-चावल, फूल, गंध, गुलाब जल, मोदक या मिश्री आदि सामग्री तैयार रखें।
2. देवताओं की स्थापना
मूर्तियाँ या तस्वीरें — देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, भगवान धन्वंतरि, और कुबेर — एकत्र कर पवित्र स्थान पर रखें।
3. प्रणाम एवं दीप प्रज्वलन
सबसे पहले यमदीपदान विधि करें — घर के पिछले भाग की दिशा (दक्षिण दिशा) में दीप जलाना। यह यमराज को प्रसन्न करने और पारिवारिक कल्याण हेतु।
4. पूजा एवं मंत्र जाप
सब देवताओं को स्नान (गंगाजल), वस्त्र चढ़ाना, फूल, रोली, अक्षत अर्पित करें। लक्ष्मी मंत्र एवं धन्वंतरि मंत्र कम-से-कम 108 बार जपें — “ॐ धन्वंतरये स्वाहा” आदि।
5. अर्पण एवं आरती
खीर, फल, मिठाइयाँ आदि प्रसाद चढ़ाएं। भोग लगाकर आरती करें। अंत में कुबेर-लक्ष्मी आरती करें और “श्रीं लक्ष्म्यै नमः” आदि मंत्र बोलें।
6. धनवापसी और भेंट वितरण
पूजा के बाद सदस्य घर में घूम-घूमकर देवता के आसपास प्रसाद वितरित करें।
धनतेरस पर खरीदारी और शुभ क्रय टिप्स
धनतेरस दिन को “संपत्ति वृद्धि” से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए सोना, चाँदी, नए बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि खरीदना शुभ माना जाता है।
क्या खरीदें?
- सोना / चांदी की ज्वैलरी या सिक्के
- नए बर्तन / किचनवेयर
- नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
- प्रॉपर्टी या जमीन — बड़े निवेश को शुभ माना जाता है
क्या नहीं खरीदें?
किसी भी कर्ज़, लोन या उधार को इस दिन लेना शुभ नहीं माना जाता। कांच के बर्तन या ग्लास की वस्तुएँ खरीदने से बचें।
धनतेरस: स्वास्थ्य, समृद्धि और सामूहिक भावना
धनतेरस सिर्फ वित्तीय समृद्धि का त्योहार नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, समय, सामूहिक सहयोग और संकल्प का पर्व भी है।
भगवान धन्वंतरि की पूजा से यह सिख मिलती है कि धन और स्वास्थ्य दोनों साथ-साथ चाहिए।
जब परिवार, पड़ोसी, समाज — सब मिलकर दीप जलाते हैं तो अँधेरी रात भी उजाले में बदल जाती है।
धनतेरस और आयुर्वेद संबंध
धनतेरस को ही राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के देवता माना जाता है।
इस दिन हल्का भोजन, उचित दिनचर्या, योग और ध्यान को शामिल किया जाना शुभ रहता है।
धनतेरस कैसे मनाते हैं – विभिन्न प्रदेशों में विविधता
भारत के अलग-अलग भागों में धनतेरस के अनुष्ठान और परंपराएँ अलग होती हैं।
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत
यहाँ धनतेरस को “धनत्रयोदशी” कहते हैं। कई जगहों पर “मरुन्डू” तैयार किया जाता है — औषधीय मिश्रण जिसे पूजा के बाद ग्रहण किया जाता है।
गुजरात, राजस्थान, उत्तर भारत
लक्ष्मी जी और कुबेर को विशेष पूजा देकर नए घरेलू सामान की खरीदारी की जाती है। घरों को दीपों और रंगोली से सजाया जाता है।
जैन धर्म में धनतेरस / धान्यतेरस
जैनों द्वारा इस दिन “धान्यतेरस” मनाया जाता है जो मोक्ष और संयम की ओर इशारा करता है।

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