तुम पृथ्वी से आई हो, और तुम्हें वापस जाना होगा! आंचल की चंद्रमा की यात्रा! A Dream Short Story

एक छोटी लड़की आंचल को एक चंद्रमा की यात्रा का सपना आता है। वह चंद्रमा पर जाकर अद्भुत दृश्य देखती है और चंद्रमा के बारे में जानती है। लेकिन यह सपना था या सच्चाई, उसे कभी पता नहीं चल...

तुम पृथ्वी से आई हो, और तुम्हें वापस जान...
तुम पृथ्वी से आई हो, और तुम्हें वापस जान...


आंचल की चंद्रमा की यात्रा

चांदनी रात थी। आसमान में तारे इस तरह टिमटिमा रहे थे, मानो किसी ने अनगिनत हीरे आकाश में बिखेर दिए हों। रात की ठंडी हवा, जैसे सर्दी की एक कोमल चादर, पूरे गांव में सुकून का अहसास करा रही थी। चारों ओर एक अद्भुत शांति थी, जैसे प्रकृति ने खुद को एक गहरी नींद में लपेट लिया हो। लेकिन एक अद्वितीय प्रकाश था—चाँद। उसकी चांदी जैसी रोशनी ने धरती को एक जादूई चादर से ढक रखा था, जैसे वह सब कुछ अद्भुत बना देना चाहता हो।

आंचल का सपना

गांव की एक छोटी सी लड़की, आंचल, उस रात जाग रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में एक चमक थी, मानो वह किसी गहरे ख्वाब में डूबी हो। वह खिड़की से बाहर चाँद को टकटकी लगाए देख रही थी। चांदनी में नहाया हुआ गांव किसी परीकथा के संसार जैसा लग रहा था, जहां हर चीज़ अपनी अद्भुतता में खोई हुई थी।

आंचल का हमेशा से एक सपना था चंद्रमा पर जाने का। उसके मन में ख्याल आता कि क्या वहां भी पेड़-पौधे होंगे? क्या वहां लोग रहते होंगे? क्या चंद्रमा की दुनिया में सब कुछ जादुई और अनोखा होगा? यह सब सोचते-सोचते उसके दिल में एक जिज्ञासा पनपने लगी।

चंद्रमा की रहस्यमयी यात्रा

फिर, अचानक, आंचल ने महसूस किया कि वह चंद्रमा की ओर उड़ रही है! उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद हो गईं। जब उसने उन्हें खोला, तो वह खुद को एक जादुई जगह पर पाया। आसमान, जो यहां नीला नहीं था, बल्कि गहरा काला था। तारे ऐसे चमक रहे थे, जैसे कोई अनगिनत दीप जलाए गए हों। चंद्रमा पास ही था—विशाल, गोल और चमचमाता हुआ। उसके ऊपर सफेद बादल तैर रहे थे, जैसे बादल खुद चांद की रोशनी से नहा रहे हों।

आंचल ने देखा कि वहां के पेड़-पौधे पृथ्वी से एकदम अलग थे। उनकी पत्तियाँ चमक रही थीं, जैसे उन पर सोने की परत चढ़ी हो। फूलों के रंग इतने अद्भुत थे कि वे किसी चित्रकार के जादुई ब्रश से बने हों। वह एक झील के पास पहुंची, जिसका पानी चाँद की रोशनी में झिलमिला रहा था। झील में छोटी-छोटी रंग-बिरंगी मछलियां तैर रही थीं, मानो इंद्रधनुष पानी में उतर आया हो।

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