ऊँची दुकान फीके पकवान मुहावरे पर आधारित 10+ अनोखी कहानियाँ (लघु कथाएँ)
इस लेख ऊँची दुकान फीके पकवान में हम 10+ कहानियों के माध्यम से सीखेंगे कि कैसे केवल बाहरी चमक-धमक या बड़े नाम पर भरोसा करना गलत साबित हो सकता है। महंगी वस्तुएं और बड़े ब्रांड हमेशा...
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कहानियाँ Last Update Thu, 13 February 2025, Author Profile Share via
ऊँची दुकान फीके पकवान - 15 अनोखी कहानियाँ
इन कहानियों के माध्यम से यह सिखाने की कोशिश की गई है कि हमें केवल बाहरी आकर्षण और महंगे नामों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। गुणवत्ता का असली माप हमेशा दिखावे से परे होता है।
1. महंगे जूते का धोखा
राहुल को नए जूते खरीदने थे और उसने सोचा कि इस बार कुछ खास खरीदना चाहिए। उसने शहर के एक महंगे मॉल की बड़ी दुकान से जूते खरीदने का निर्णय लिया। दुकान की सजावट बहुत शानदार थी और वहां रखे जूतों की चमक देखकर राहुल प्रभावित हो गया। उसने महंगे जूते खरीदे, यह सोचकर कि ये टिकाऊ और आरामदायक होंगे। जब वह उन्हें पहनकर घर आया, तो पहले कुछ दिन तो आराम से बीते, लेकिन कुछ ही दिनों में जूते की सोल टूट गई और चमड़ा भी उखड़ने लगा।
राहुल को समझ आया कि केवल दुकान की भव्यता और जूतों की कीमत देखकर उसने गलती की। दिखावा ही सब कुछ नहीं होता, असली गुणवत्ता कहीं और छिपी होती है।
2. महंगी गाड़ी की निराशा
रोहित ने नई गाड़ी खरीदने का सपना देखा था। उसे एक आलीशान गाड़ी चाहिए थी, जो उसके स्टेटस को दर्शा सके। उसने अपने सपनों की गाड़ी खरीद ली – एक ऐसी गाड़ी जो दिखने में बेहद आकर्षक थी और हर कोई उसकी तारीफ करता था।
लेकिन कुछ ही महीनों बाद, गाड़ी की बैटरी जल्दी खत्म होने लगी, गियर बॉक्स में दिक्कतें आने लगीं और सर्विस सेंटर के चक्कर लगाने पड़े। रोहित को एहसास हुआ कि गाड़ी का बाहरी लुक तो शानदार था, लेकिन अंदर की गुणवत्ता कमजोर थी। "ऊँची दुकान फीके पकवान," यह बात उसके साथ सटीक बैठ गई।
3. फाइव-स्टार होटल का बेस्वाद खाना
विनय अपने दोस्तों के साथ एक खास मौके पर फाइव-स्टार होटल में डिनर के लिए गया। होटल की सजावट अद्भुत थी – सुनहरे पर्दे, चमचमाते फर्नीचर और बेहतरीन लाइटिंग। खाने के लिए उनके सामने शानदार मेन्यू था, लेकिन जब भोजन आया, तो उसका स्वाद बेहद निराशाजनक था।
दोस्तों ने खाना खाने के बाद एक-दूसरे की ओर देखा और विनय ने हंसते हुए कहा, "इस होटल में तो सच में 'ऊँची दुकान फीके पकवान' ही है!" उन्होंने सीखा कि बाहर से कितनी भी चमकदार चीज दिखे, असलियत स्वाद और गुणवत्ता में होती है।
4. ब्रांडेड कपड़ों की असलियत
सुमन ने एक बड़े ब्रांड के कपड़े खरीदने का फैसला किया। उसने अपने पसंदीदा फैशन ब्रांड से महंगे कपड़े खरीदे, यह सोचकर कि ये न सिर्फ स्टाइलिश होंगे, बल्कि टिकाऊ भी। लेकिन कुछ धुलाई के बाद ही कपड़ों का रंग फीका पड़ने लगा और कपड़ा ढीला हो गया। सुमन को बहुत अफसोस हुआ कि उसने केवल ब्रांड के नाम पर भरोसा किया था।
वह अब समझ चुकी थी कि केवल नाम बड़ा होना गुणवत्ता की गारंटी नहीं देता। 'ऊँची दुकान फीके पकवान' की सीख उसे अपनी इस खरीदारी में मिली।
5. शानदार घर, पर सुविधाएं साधारण
विक्रम ने शहर के एक महंगे इलाके में घर खरीदने का निर्णय लिया। घर बाहर से बहुत ही सुंदर और आलीशान था। उसकी खिड़कियों पर महंगे पर्दे थे और बगीचा भी बहुत खूबसूरत था। लेकिन जब उसने घर के अंदर रहना शुरू किया, तो पता चला कि घर की पानी की व्यवस्था खराब थी, बिजली की लाइनें भी पुरानी थीं और घर में कई जगह सीलन थी।
विक्रम ने समझा कि केवल बाहरी दिखावा देखकर घर खरीदना बड़ी भूल थी। असल में, घर की अंदरूनी सुविधाओं पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है। 'ऊँची दुकान फीके पकवान' वाली बात यहां भी पूरी तरह सटीक बैठी।
6. डिजाइनर बैग का सच
किरण ने अपने दोस्तों के साथ एक मॉल में घूमते हुए एक आकर्षक डिजाइनर बैग देखा। बैग का रंग, उसका पैटर्न और ब्रांड देखकर वह तुरंत खरीदने के लिए तैयार हो गई। हालांकि, वह बैग उसके बजट से बाहर था, फिर भी उसने सोचा कि ये उसकी स्टाइल में चार चांद लगा देगा।
कुछ हफ्तों बाद बैग की सिलाई उधड़ने लगी और उसकी चमक भी फीकी पड़ने लगी। किरन को एहसास हुआ कि महंगी चीजें सिर्फ नाम की होती हैं, उनकी गुणवत्ता हमेशा उतनी अच्छी नहीं होती जितनी उम्मीद होती है। तब उसे समझ आया, "ऊँची दुकान फीके पकवान।"
7. फर्जी कोचिंग सेंटर की सच्चाई
रवि ने एक बड़े नाम वाले कोचिंग सेंटर में दाखिला लिया, जहाँ हर कोई कहता था कि यहाँ पढ़ाई का स्तर बहुत ऊँचा है। सेंटर की बिल्डिंग बड़ी थी, कक्षाएं डिजिटल स्क्रीन से सुसज्जित थीं और सभी कोचिंग के बारे में बड़ी-बड़ी बातें की जाती थीं। लेकिन कुछ ही दिन बाद रवि को समझ में आ गया कि असल पढ़ाई के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा था।
शिक्षकों का ध्यान केवल नामी छात्रों पर था और बाकी छात्रों को ध्यान से पढ़ाने की कोई कोशिश नहीं होती थी। रवि को जल्दी ही समझ में आ गया कि इस कोचिंग का बाहरी चमक-दमक और नाम तो बड़ा है, लेकिन असलियत में कुछ खास नहीं है। "ऊँची दुकान फीके पकवान" वाली बात यहाँ पूरी तरह लागू होती थी।
8. महंगे रेस्तरां का बेस्वाद खाना
रीमा ने अपने दोस्तों के साथ एक महंगे रेस्तरां में जाकर खाना खाने का प्लान बनाया। रेस्तरां की सजावट इतनी शानदार थी कि अंदर जाकर वो खुद को किसी फैंटेसी दुनिया में महसूस कर रही थी। उन्होंने सबसे महंगे व्यंजन का ऑर्डर दिया। लेकिन जैसे ही पहला निवाला लिया, उन्हें बहुत निराशा हुई।
खाना देखने में जितना आकर्षक था, स्वाद में उतना ही बेस्वाद। रीमा ने सोचा कि इतने बड़े और महंगे रेस्तरां से ऐसी उम्मीद नहीं थी। तब उसे एहसास हुआ कि सिर्फ बाहरी दिखावे पर भरोसा करना गलत होता है।
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