बेताल की चाल और राजा विक्रम की बुद्धि
उज्जयिनी के सम्राट विक्रमादित्य एक शांत शाम जंगल में बिता रहे थे। अचानक, एक पेड़ से लटकता हुआ एक भयानक बेताल उनकी नजरों में आया। बेताल ने विक्रम को देखकर जोर से हंसा और बोला, "महाराज! आप बड़े साहसी सम्राट हैं, ऐसा लगता है मौत को भी आपसे डर लगता है।"
राजा विक्रम बेताल की धृष्टता से क्रोधित हुए, लेकिन उन्होंने जल्द ही अपना आपा संभाला। वे जानते थे कि बेताल को मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें उसकी 25 पहेलियों का जवाब देना होगा।
बेताल का पेचीदा सवाल
बेताल ने मुस्कुराते हुए कहा, "महाराज, आप तो न्याय के लिए जाने जाते हैं। तो फिर बताइए, इस जंगल में कौन सबसे बड़ा अपराधी है?"
राजा विक्रम ने चारों ओर देखा। जंगल सन्नाटे में डूबा हुआ था। पेड़ों की पत्तियां हवा में सरसरा रहीं थीं। कुछ दूर चिड़ियों का चहचहाना सुनाई दे रहा था।
जवाब की तलाश
राजा विक्रम जानते थे कि बेताल का सवाल सीधा नहीं है। जंगल में पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सभी प्रकृति का हिस्सा हैं। उनमें से कोई अपराधी नहीं हो सकता।
राजा विक्रम ने सोच-विचार किया। उन्होंने जंगल के वातावरण का निरीक्षण किया। सूरज ढल रहा था, जल्द ही अंधेरा छा जाएगा। तभी, उनकी नजर एक पेड़ की टहनी पर बैठी एक चालाक लोमड़ी पर पड़ी।
बुद्धि का जवाब
कुछ देर सोचने के बाद, राजा विक्रम ने बेताल को उत्तर दिया, "मित्र बेताल, इस जंगल में सबसे बड़ा अपराधी वही लोमड़ी है।"
बेताल चौंका। उसने कहा, "लोमड़ी? वह तो एक साधारण जीव है। उसने ऐसा कौन सा अपराध किया?"
राजा विक्रम ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेताल, देखो सूरज ढल चुका है। जल्द ही अंधेरा हो जाएगा। लोमड़ी रात में शिकार करती है। वह कमजोर जीवों का शिकार कर अपना पेट भरेगी। क्या यह अपराध नहीं है?"
बेताल स्तब्ध रह गया। राजा विक्रम ने प्रकृति के चक्र को समझाते हुए, लोमड़ी के शिकार को ही अपराध का रूप दे दिया था।
कहानी का सार
इस प्रकार, राजा विक्रम ने अपनी बुद्धि से बेताल की चाल का जवाब दिया। बेताल पहेली का जवाब स्वीकार करने को मजबूर हो गया। यह बेताल पच्चीसी की कहानियों में से एक है, जो राजा विक्रम की बुद्धि और न्यायप्रियता का उदाहरण देती है।

Comments (0)