जीवविज्ञानी चार्ल्स डार्विन की जीवनी और उनके कार्य! जीवन परिचय और उपलब्धियां Biography of Charles Darwin

चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन (1809-1882) एक अंग्रेजी प्रकृति वैज्ञानिक, भूविज्ञानी और जीवविज्ञानी थे, जिन्हें व्यापक रूप से विकासवाद (Evolution) के सिद्धांत के जनक के रूप में जाना जाता ह...

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चार्ल्स डार्विन: शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

डार्विन की शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई। बाद में उन्हें श्राउस्बरी स्कूल और फिर एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए भेजा गया। हालांकि, चिकित्सा के खूनी विच्छेदन से उनका मन नहीं लगा। 1827 में, वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र की पढ़ाई के लिए चले गए। वहां उन्हें प्राकृतिक इतिहास (Natural History) में गहरी रुचि पैदा हुई।

चार्ल्स डार्विन: बीगल यात्रा

1831 में, डार्विन को रॉयल नेवी जहाज "बीगल" पर एक प्रकृतिवादी के रूप में पांच साल की विश्व यात्रा पर जाने का अवसर मिला। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने दक्षिण अमेरिका, गैलापागोस द्वीपसमूह (Galapagos Islands), ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि कई स्थानों का दौरा किया। इस यात्रा में देखे गए विभिन्न जीवों और जीवाश्मों ने उनके मन में कई सवाल खड़े किए। खासकर, गैलापागोस द्वीपसमूह के अलग-अलग द्वीपों पर पाए जाने वाले फिंच प्रजातियों (Finch species) के विभिन्न रूपों ने उन्हें चकित कर दिया।

चार्ल्स डार्विन: विकासवाद का सिद्धांत

बीगल यात्रा से लौटने के बाद, डार्विन ने कई वर्षों तक अपने अवलोकनों और डेटा का गहन अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि विभिन्न प्रजातियां समय के साथ धीरे-धीरे बदलती रहती हैं। उनका मानना था कि जीव प्राकृतिक चयन (Natural Selection) की प्रक्रिया से विकसित होते हैं। प्राकृतिक चयन का मतलब है कि किसी वातावरण में जीवित रहने और प्रजनन करने के लिए कुछ लक्षण अधिक अनुकूल होते हैं। ये अनुकूल लक्षण अगली पीढ़ी को दिए जाते हैं, जिससे आबादी में धीरे-धीरे बदलाव आते हैं।

1859 में, डार्विन ने अपनी पुस्तक "ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज" (On the Origin of Species) प्रकाशित की। इस पुस्तक में उन्होंने अपने विकासवाद के सिद्धांत को विस्तार से बताया। इस पुस्तक ने वैज्ञानिक जगत में क्रांति ला दी और धार्मिक मान्यताओं को भी चुनौती दी।

चार्ल्स डार्विन: विरासत

चार्ल्स डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत आज भी जीव विज्ञान का आधार स्तंभ माना जाता है। उनके कार्य ने जीवों की विविधता को समझने में क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। डार्विन को उनके असाधारण योगदान के लिए कई सम्मान मिले, जिनमें रॉयल सोसाइटी का फेलोशिप (Fellowship of the Royal Society) शामिल है।

उनकी मृत्यु 19 अप्रैल, 1882 को डाउंस (Downe) इंग्लैंड में हुई।

डार्विन की जीवनी हमें जिज्ञासा, अवलोकन और वैज्ञानिक सोच के महत्व का पाठ पढ़ाती है। उनके कार्य ने हमें यह समझने में मदद की है कि जीवन पृथ्वी पर कैसे उत्पन्न हुआ और किस प्रकार विकसित हुआ।

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