दादी की कहानियों का जादू
अनामिका एक जिज्ञासु बच्ची थी। हर रात सोने से पहले वह अपनी दादी से कहानी सुनने की जिद करती। दादी की कहानियों में जादू था। परियों की दुनिया, जंगल के राजा शेर और चालाक लोमड़ी, ये सब अनामिका को इतना सच लगता मानो वह खुद उन कहानियों का हिस्सा हो।
नया स्कूल, नई परेशानी
कुछ समय बाद अनामिका के पापा का तबादला हो गया। उन्हें एक नए शहर में रहना पड़ा। अनामिका को नया स्कूल, नए दोस्त और नया माहौल सब कुछ अजीब लग रहा था। वह अकेली रहती थी, स्कूल में भी कोई उससे बात नहीं करता था। शाम ढलते ही उसे दादी की कहानियों की याद आती थी। मां उसे कहानियां सुनाने की कोशिश करती थीं, पर मां के स्वर और कहने के अंदाज़ में वो जादू नहीं था।
खोया हुआ आत्मविश्वास
कुछ दिनों में ही अनामिका उदास रहने लगी। उसका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। एक दिन मां ने अनामिका की उदासी का कारण पूछा। अनामिका ने बताया कि उसे दादी की कहानियां बहुत याद आती हैं। मां ने मुस्कुराते हुए कहा, "अच्छा, तो क्यों न तू खुद ही कहानियां लिखना शुरू कर दे?"
कलम का जादू
पहले तो अनामिका को अजीब लगा। लेकिन मां ने उसे पुरानी डायरी और रंगीन पेंसिल देकर कहानी लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। अनामिका ने सोचा, "चलो, कोशिश करके देखती हूं।" उसने दादी की कहानियों को याद करने की कोशिश की। फिर उसने अपनी कल्पना का सहारा लिया और एक जादुई जंगल की कहानी लिख डाली। कहानी लिखते समय उसे बड़ा मजा आया। उसने कहानी में रंगीन तस्वीरें भी बनाईं।
सफलता की खुशी
दूसरे दिन स्कूल में अनामिका ने अपनी कहानी कुछ बच्चों को पढ़कर सुनाई। बच्चों को उसकी कहानी बहुत पसंद आई। वे उससे और कहानियां सुनाने का अनुरोध करने लगे। धीरे-धीरे अनामिका ने नए दोस्त बना लिए। वह स्कूल में खुश रहने लगी। उसे एहसास हुआ कि कहानी लिखना उसे उतना ही अच्छा लगता है, जितना दादी की कहानियां सुनना।
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर किसी में कोई न कोई प्रतिभा होती है। जरूरत है उसे पहचानने और निखारने की। अनामिका को दादी की कहानियों से प्रेरणा मिली और उसने खुद कहानी लिखना शुरू कर दिया।

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